नयी दिल्ली : राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिये जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने शरद यादव को झटका दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने सदस्यता मामले में राज्यसभा के सभापति के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए शरद यादव को राज्यसभा के भत्ते, अनुलाभ लेने और सरकारी बंगले में रहने की इजाजत दे दी. लेकिन, उन्हें संसद के मौजूदा सत्र में भाग लेने से मना कर दिया. साथ ही अदालत ने शरद यादव को अयोग्य घोषित किये जाने को चुनौती देनेवाली उनकी याचिका पर राज्यसभा के सभापति और जदयू सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह से जवाब मांगा है. मालूम हो कि शरद यादव ने 14 दिसंबर, 2017 को दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यसभा के सभापति द्वारा सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के फैसले को चुनौती दी थी.
क्या है मामला
पार्टी समेत महागठबंधन से अलग होकर बिहार के मुख्यमंत्री सह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार द्वारा भाजपा के साथ सरकार बनाये जाने के बाद से शरद यादव लगातार विरोध करते रहे हैं. साथ ही नीतीश कुमार के फैसले का खुलकर विरोध भी किया था. महागठबंधन में शामिल कांग्रेस और राजद के कार्यक्रमों में शामिल होने को जदयू ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होना बताया. इसके बाद शरद यादव ने दावा किया कि उनकी अगुआई वाला जदयू ही असली है. इसके बाद जदयू में शरद गुट और नीतीश गुट बन गये. शरद यादव ने चुनाव आयोग के समक्ष भी जदयू के चुनाव चिह्न तीर पर दावा ठोंक दिया. हालांकि, चुनाव आयोग ने शरद गुट के दावे को खारिज कर दिया. इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति के पास शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता रद्द किये जाने की शिकायत की. जदयू ने कहा कि शरद यादव और अली अनवर ने पार्टी के फैसले के खिलाफ जाकर विपक्षी पार्टियों के कार्यक्रमों में शामिल होकर जदयू का स्वत: त्याग कर दिया है. इसलिए दोनों नेताओं की राज्यसभा सदस्यता खत्म कर देनी चाहिए. इसके बाद राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने चार दिसंबर को शरद यादव के साथ-साथ अली अनवर को भी राज्यसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराया दिया. मालूम हो कि शरद यादव पिछले साल ही राज्यसभा के लिए चुने गये थे. उनका कार्यकाल 2022 में खत्म होनेवाला था. जबकि, अली अनवर का कार्यकाल अगले साल की शुरुआत में ही खत्म होनेवाला था.