डॉक्टरों की हड़ताल से पटना में 11 हजार मरीज बिना इलाज के लौटे

कोलकाता में रेप के बाद मेडिकल छात्रा की हत्या के विरोध में शुक्रवार को मेडिकल कॉलेजों व अन्य सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा व्यवस्था ठप रही. सिर्फ पटना में करीब 11 हजार से अधिक मरीज बिना इलाज के लौट गये और 154 से अधिक ऑपरेशन टाल दिये गये.

By Prabhat Khabar News Desk | August 17, 2024 1:32 AM

संवाददाता, पटना/पटना सिटी: कोलकाता में रेप के बाद मेडिकल छात्रा की हत्या के विरोध में शहर के आइजीआइएमएस, पीएमसीएच, एनएमसीएच, पटना एम्स के अलावा न्यू गार्डिनर रोड, एलएनजेपी हड्डी अस्पताल व गर्दनीबाग अस्पताल में शुक्रवार को चिकित्सा व्यवस्था ठप रही. डॉक्टरों की हड़ताल के कारण ओपीडी में मरीजाें को नहीं देखा गया. इमरजेंसी सेवी बाधित रही और ऑपरेशन नहीं किया गया. इनके ओपीडी से करीब 11 हजार से अधिक मरीज बिना इलाज के लौट गये और 154 से अधिक ऑपरेशन टाल दिये गये. हालांकि बाद में आइजीआइएम और पीएमसीएच में डॉक्टर काम पर लौट आये. लेकिन शनिवार को भी इमरजेंसी छोड़ कर ओपीडी व अन्य विभागों में जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर रहेंगे. आइजीआइएमएस और पीएमसीएच में रेजिटेंड और इंटर्न डॉक्टर इंसाफ की मांग को लेकर नारेबाजी करते रहे.

आइजीआइएमएस के मेन गेट व इमरजेंसी व ओपीडी में जड़ा ताला :

आइजीआइएमएस में सुबह करीब साढ़े आठ बजे ओपीडी भवन का दरवाजा खुला. मरीजों से पहले रजिडेंट डॉक्टर भवन में धमक पड़े. मरीज पर्चा जांच और शुल्क जमा करने के लिए अलग-अलग कतार में लग गये. काउंटर पर बैठे कर्मचारियों ने काम शुरू किया, तो रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया. ओपीडी कमराें को बंद कर ताला जड़ दिया. इतना ही नहीं, जैसे ही उन्हें मेन गेट से मरीजों के आने की सूचनी मिली, एकजुट डॉक्टर मेन गेट पहुंच गये और जबरन गेट को बंद कर दिया. इससे ओपीडी व इमरजेंसी मरीजों का प्रवेश परिसर में बंद हो गया. इस दौरान बेली रोड पर जाम लग गया. बढ़ते जाम देखते हुए शास्त्रीनगर और ट्रैफिक थाने की पुलिस पहुंची, कड़ी मशक्कत के बाद जाम हटाया गया.

आइजीआइएमएस की इमरजेंसी में 12 घंटे तक एक भी मरीज नहीं हुआ भर्ती

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आइजीआइएमएस में इंटर्न डॉक्टरों ने इमरजेंसी सेवा बंद कर दी. वे इमरजेंसी गेट को बंद कर धरने पर बैठ गये. छात्र-छात्राओं ने एप्रेन को लाल रंग में रंग पेड़ पर लटका दिया और विरोध प्रदर्शन किया. 12 घंटे तक इमरजेंसी पूरी तरह से ठप रही. इस दौरान 65 से अधिक मरीजों को लौटना पड़ा. इमरजेंसी वार्ड से कैंटीन तक आधा दर्जन एंबुलेंस में गंभीर मरीज थे, लेकिन इंटर्न डॉक्टरों ने एक नहीं सुनी. सभी परिजन अपने गंभीर मरीजों को लेकर निजी अस्पतालों में चले गये.

पीएमसीएच में ओपीडी से लेकर इमरजेंसी व जांच तक ठप :

पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी, इमरजेंसी, ट्रामा, आइसीयू, ओटी, रेडियोलॉजी और अन्य जांच को ठप कर दिया़ मरीज दोपहर 12 बजे तक ओपीडी में रजिस्ट्रेशन खुलने का इंतजार करते रहे. काउंटर से मना होने पर सभी बिना डॉक्टर को दिखाये चले गये. इसमें पटना के अलावा पूरे बिहार के मरीज रेफर होकर आये थे. 1200 से अधिक जांच नहीं हो पायी. ओपीडी में सिर्फ पुराने रोगियों को देखा गया.

पीएमसीएच में शाम से इमरजेंसी में काम पर लौटे जूनियर डॉक्टर :

पीएमसीएच में आठ घंटे तक इमरजेंसी सेवा ठप रही. सुबह 11 बजे से रात सात बजे जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी वार्ड में काम नहीं किया. सीनियर डॉक्टर की बदौलत ही इलाज किया गया. हालांकि, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की बैठक के बाद जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड में काम पर लौट गये. वहीं, जेडीए का कहना है कि इमरजेंसी छोड़ कर बाकी जगहों पर वे हड़ताल पर रहेंगे.

एम्स में जूनियर डॉक्टरों ने निकाला कैंडल मार्च :

कोलकाता में मेडिकल छात्रा के साथ रेप और हत्या के विरोध में पटना एम्स में शुक्रवार को भी ओपीडी में कोई काम नहीं हुआ.जूनियर डॉक्टरों ने कैंडल मार्च निकाला और देर शाम मानव शृंखला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया़ डॉक्टर की हड़ताल के चलते दूर-दराज से इलाज के लिए पहुंच रहे मरीजों को लौटना पड़ रहा है.

एनएमसीएच में एक मरीज की हुई मौत :

एनएमसीएच में शुक्रवार काे जूनियर डॉक्टरों ने अस्पताल के मुख्य गेट को बंद कर दिया. केंद्रीय पंजीयन काउंटर और ओपीडी की सेवा भी ठप कर दी. आपरेशन भी ठप रहा. ओपीडी और इमरजेंसी में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ़ इससे परिजनों ने गेट पर हंगामा किया. इधर जूनियर डॉक्टरों ने शुक्रवार को आक्रोश मार्च निकाला.

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