बाल विवाह के खिलाफ मुखर हुईं बेटियां, बिहार भर में 153 ने अपनी शादी रुकवायी

अनुपम कुमारी पटना : राज्य की किशोर उम्र की लड़कियां अब न सिर्फ कच्ची उम्र में विवाह का विरोध करने लगी हैं, बल्कि इसके प्रति घरवालों को भी जागरूक कर रही हैं. ये लड़कियां अब पढ़ना, खेलना चाहती हैं. इन लड़कियों की मानें तो जो मां-बाप अपनी लड़की को बोझ समझ कच्ची उम्र में उनकी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2017 6:53 AM
अनुपम कुमारी
पटना : राज्य की किशोर उम्र की लड़कियां अब न सिर्फ कच्ची उम्र में विवाह का विरोध करने लगी हैं, बल्कि इसके प्रति घरवालों को भी जागरूक कर रही हैं. ये लड़कियां अब पढ़ना, खेलना चाहती हैं. इन लड़कियों की मानें तो जो मां-बाप अपनी लड़की को बोझ समझ कच्ची उम्र में उनकी शादी कर अपना बोझ हलका करना चाहतेहैं, उन्हें यह बताना जरूरी है कि हम लड़कियां बोझ नहीं. हम मां-बाप की जिम्मेदारियों को कम करने में मददगार हैं और बेटों से कम नहीं हैं.
बेटियों में आ रही इस जागरूकता के पीछे राज्य में चलाये जा रहे बाल विवाह और दहेज-प्रथा के खिलाफ अभियान को माना जा रहा है जिसका असर अब दिखना शुरू हो गया है.महिला हेल्पलाइन में दर्ज शिकायतों से इसका अंदाजा लगाया भी जा सकता है कि अब बेटियां कम उम्र में ब्याह के प्रति मुखर हुई हैं.
बीते तीन माह में महिला हेल्पलाइन में जहां 15 बाल विवाह के मामले दर्ज किये गये, वहीं पूरे बिहार भर में 153 बेटियां बाल-विवाह की शिकार होने से बच गयी हैं. अब ये बेटियां स्कूलों में पढ़ाई भी कर रही हैं. लड़कियां अब कम उम्र में शादी से इन्कार कर रही हैं. इसके लिए वह घर से बाहर तक विरोध कर रही हैं.
केस-1
अगमकुआं लोहिया नगर निवासी की स्वीटी (परिवर्तित नाम) की शादी 15 वर्ष में ही उससे अधिक उम्र के लड़के से तय कर दी गयी थी. इस बात की उसे जानकारी तक नहीं थी.
जब उसे रस्म अदायगी को लेकर तैयारी करने की बात कही गया तो उसे पता चला. उसने शादी करने से मना किया, लेकिन घरवालों ने एक न सुनी. उसने महिला विकास निगम के टॉल फ्री नंबर पर फोन कर शादी रुकवाने के लिए मदद मांगी. उसके बाद महिला हेल्पलाइन में उसके परिजनों को बुलाकर काउंसेलिंग किया गया और शादी रुकवा दी गयी.
केस-2
दानापुर निवासी नेहा (परिवर्तित नाम) की शादी उसके माता-पिता ने उससे अधिक उम्र के लड़के से तय कर दी थी. नेहा शादी नहीं करना चाहती थी. वह पढ़ लिखकर नौकरी करना चाहती है.उसके माता-पिता उसकी शादी के लिए जबरन दबाव बनाया जा रहा था. नेहा ने अपनी शादी रुकवाने के लिए टॉल फ्री नंबर 181 पर फोन कर मदद मांगी. इसके बाद नेहा के माता-पिता को हेल्पलाइन बुलाकर काउंसेलिंग की गयी. माता-पिता को बताया गया कि बाल-विवाह कानूनन अपराध है. तब जाकर शादी टली. अब वह अपना सपना पूरा करने के लिए स्कूल जा रही है.
फोन कर अपनी, सहेलियों तक की रुकवा रही हैं शादी
ये दोनों केस तो उदाहरण मात्र हैं. ऐसे केसों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. बेटियां अब 18 वर्ष से पहले ब्याही जाने के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. हेल्पलाइन की मानें, तो अब लड़कियां फोन पर भी शादी की सूचना दे रही हैं. इतना ही नहीं इसके बारे में माता-पिता को बिना सूचना दिये, अपना नाम गुप्त रखने की मांग भी कर रही हैं. हेल्पलाइन पर कई लड़कियों ने अपनी और अपनी सहेलियों की शादी रुकवायी है. महिला हेल्पलाइन फोन की सत्यता जांच कर शादी की इंक्यावरी भी कर रही हैं.
लड़कियां अब बाल-विवाह की भनक लगते ही सूचना दे रही हैं. इनकी मदद से 10 से 12 मामले शादी तय होने से पहले ही रोके गये हैं. दो लड़कियों की तो शादी तय कर दी गयी थी. लेन-देन भी हो गया था, पर सूचना मिलने पर लड़कियों की न केवल शादी रुकवायी गयी, बल्कि दहेज का रकम भी लौटाया गया. इसके अलावा जो भी शिकायत बाल-विवाह से संबंधित आ रहे हैं. उन मामलों में पूरी छानबीन कर कार्रवाई की जा रही है.
-साधना सिंह, वरीय काउंसेलर महिला हेल्पलाइन

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