अस्पतालों में सप्ताह में एक दिन ‘सिर्फ महिला दिवस’ पर विचार

‘बिहार में स्वास्थ्य पर साक्ष्य आधारित शोध’ पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार पटना : हालांकि बिहार सामाजिक क्षेत्र, स्वास्थ्य और शिक्षा पर काफी रकम खर्च करता है, लेकिन मुख्य चुनौती क्रियान्वयन है. मंगलवार को होटल मौर्या में आद्री स्थित सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी द्वारा ‘बिहार में स्वास्थ्य पर साक्ष्य आधारित शोध’ विषय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 20, 2017 8:03 AM
‘बिहार में स्वास्थ्य पर साक्ष्य आधारित शोध’ पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने रखे विचार
पटना : हालांकि बिहार सामाजिक क्षेत्र, स्वास्थ्य और शिक्षा पर काफी रकम खर्च करता है, लेकिन मुख्य चुनौती क्रियान्वयन है. मंगलवार को होटल मौर्या में आद्री स्थित सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी द्वारा ‘बिहार में स्वास्थ्य पर साक्ष्य आधारित शोध’ विषय पर आयोजित परामर्श कार्यशाला में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने आगे कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं तक महिलाओं की पहुंच अभी भी कम है. बिहार सरकार अस्पतालों में सप्ताह में एक दिन को ‘सिर्फ महिला दिवस’ घोषित करने पर विचार कर रही है.
मुख्य सचिव ने आगे कहा कि मानसिक स्वास्थ्य, विकास और दिव्यांगता ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी को काम करना चाहिए. उन्होंने मानव संसाधन और उपकरणों की कमी दूर करने पर भी जोर दिया.
मौके पर मौजूद विकास आयुक्त शिशिर सिन्हा ने भी सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी जैसे केंद्र की स्थापना का स्वागत किया. साथ ही, आने वाले दिनों में इससे काफी उम्मीदें भी व्यक्त की. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को बड़ी चुनौती बताया.
उन्होंने कहा कि रक्षामूलक स्वास्थ्य ऐसा क्षेत्र है, जिसमें और अधिक प्रयास की जरूरत है. शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, और कुल प्रजनन दर में कमी लाना तथा प्रतिरक्षण का विस्तार एक बड़ी उपलब्धि है, जो इन दिनों 84 प्रतिशत है. वर्ष 2005 में स्वास्थ्य केंद्रों में जहां प्रति माह मात्र 39 लोग पहुंचते थे, वहीं यह संख्या बढ़ कर अब 10 हजार से भी अधिक हो गयी है.
किशोर-किशोरियों का मानसिक स्वास्थ्य चुनौती : सेंटर फॉर हेल्थ पॉलिसी के निदेशक डॉ बासुदेव गुहा ने कार्यशाला में कहा कि साक्षरता, जीविका, जाति और अवस्थिति का भी स्वास्थ्य लाभ संबंधी विभिन्न सूचकों पर पड़ता है. बिहार की जनसांख्यिकी पर हुए अध्ययन में साक्षरता का कुल प्रजनन दर व शिशु मृत्यु दर, दोनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध पाया गया है. परामर्श कार्यशाला में मानसिक स्वास्थ्य, खास कर किशोर-किशोरियों के मानसिक स्वास्थ्य को एक उभरती चुनौती के रूप में रेखांकित किया गया. कार्यशाला में स्वास्थ्य प्रणाली के सुदृढ़ीकरण में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर भी उदाहरण के साथ चर्चा की गयी.

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