घरेलू कामगारों के लिए बने कानून

पटना : बिहार घरेलू कामगार यूनियन की ओर से बुधवार को कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स में सातवें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें घरेलू कामगारों की समस्याएं व उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाये जाने आदि मुद्दों पर बात की गयी. एटक के अध्यक्ष गजनफर नवाब ने कहा कि घरेलू काम भारतीय शहरी महिलाओं का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2017 7:18 AM
पटना : बिहार घरेलू कामगार यूनियन की ओर से बुधवार को कुल्हड़िया कॉम्प्लेक्स में सातवें वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें घरेलू कामगारों की समस्याएं व उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाये जाने आदि मुद्दों पर बात की गयी. एटक के अध्यक्ष गजनफर नवाब ने कहा कि घरेलू काम भारतीय शहरी महिलाओं का एक सबसे बड़ा पेशा है.
2001 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक इनकी संख्या करीब 64 लाख है, जबकि संगठनों के अनुमान के अनुसार इनकी संख्या तीन से चार करोड़ है. कार्यक्रम में सुजाता हास्दा ने अपनी आपबीती बतायी. उन्हाेंने कहा कि उनकी बेटी दलाल के हाथों फंस गयी. कम पैसे में बेटी से काम कराया जा रहा था. बहुत मुश्किल से संगठन के जरिये बेटी को निकाला गया. सहयोगी संस्था की रजनी ने कहा कि घरेलू कामगारों के लिए समान अधिकार और समान वेतन जरूरी है.
मुद्दे और मांगें
-भविष्य निधि, बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य निधि और घर की व्यवस्था प्रदान करें
-वृद्धा पेंशन और विधवा पेंशन, वृद्धावस्था में आश्रय, बीपीएल सूची में नाम जोड़ने आदि
-मजदूरी में वार्षिक वृद्धि, आेवरटाइम की मजदूरी, बोनस व प्रवासी कामगारों के लिए योजनाएं

Next Article

Exit mobile version