जब बिहार सरकार ने नयी खनन नीति को वापस ले लिया है, तो बिहार बंद क्यों ?

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की पार्टी राजद ने बालू नीति को लेकर आज बिहार बंद किया है. इस दौरान कई जगहों पर झड़प होने के साथ राजद कार्यकर्ताओं ने ट्रेनों का परिचालन प्रभावित किया है. इतना ही नहीं गोपालगंज चीनी मिल हादसे में घायल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2017 12:55 PM

पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव की पार्टी राजद ने बालू नीति को लेकर आज बिहार बंद किया है. इस दौरान कई जगहों पर झड़प होने के साथ राजद कार्यकर्ताओं ने ट्रेनों का परिचालन प्रभावित किया है. इतना ही नहीं गोपालगंज चीनी मिल हादसे में घायल मजदूर, जिन्हें इलाज के लिए पटना लाया जा रहा था, उनमें से एक की मौत भी हो गयी है. बड़ा सवाल यह है कि जब बिहार सरकार ने नयी खनन नीति को वापस ले लिया है, और अब पुरानी नीति पर ही बालू का खनन होगा, तो फिर यह बिहार बंद क्यों. सवाल उठना लाजिमी है कि बुधवार की देर शाम को बिहार के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने इसकी घोषणा की और कहा कि बिहार सरकार ने 2013 में जो खनन नीति बनायी थी, अब उसी के आधार पर बालू का खनन होगा.

राजद की ओर से बिहार सरकार द्वारा 2017 में बनायी गयी नयी खनन नीति का विरोध हो रहा था. ट्रांसपोर्टरों के साथ मजदूरों और राजनीतिक दल भी इसका जमकर विरोध कर रहे थे. यह मामला जब पटना हाइकोर्ट पहुंचा, तो कोर्ट ने नयी नीति पर रोक लगा दी और उसके बाद सरकार ने निर्णय लिया कि पुराने नियम के अनुसार ही बालू का खनन होगा. बिहार सरकार की ओर से पूरे मामले को स्पष्ट कर दिया गया, उसके बाद बिहार को बंद करना और आम जनजीवन को अस्त व्यस्त करना, यह समझ से परे है. जदयू का कहना है कि लालू प्रसाद ने अपने कार्यकाल में जंगलराज स्थापित किया था. नीतीश कुमार ने सुशासन स्थापित किया. लालू प्रसाद ने बिहार को बदनाम किया, नीतीश कुमार ने बिहार को सम्मान दिलाया. अब फिर राजद नेता बिहार बंद कर बिहार को बदनाम कर रहे हैं.

जदयू ने इस बंद पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अब देश में परिवारवाद की राजनीति करने वाले अपना बोरिया बिस्तर पैक कर लें. उनको लगातार अब जवाब मिलना शुरू हो गया है. लालू प्रसाद तो अब अपने परिवार के साथ अज्ञातवास की तैयारी कर लें. बिहार की जनता आगे इनके परिवार को बर्दाश्त नहीं करने वाली है. उधर, बालू वाले मामले पर बुधवार को ही मीडिया से बातचीत में मुख्य सचिव ने स्पष्ट कहा कि अवैध खनन और बालू के अवैध स्टोरेज पर प्रतिबंध रहेगा और अब 100 हेक्टेयर से ज्यादा खनन का पट्टा नहीं दिया जायेगा. साथ ही जिसे पहले से ही 100 हेक्टेयर से ज्यादा का टेंडर मिला है उन पर कोई रोक नहीं होगी.

इतना ही नहीं, पूर्व में तेजस्वी यादव ने यह बयान भी दिया था कि यदि सरकार नयी खनन नीति को वापस ले लेती है, तो वे लोग बिहार बंद को वापस ले लेंगे. दूसरी ओर सरकार द्वारा ऐसा निर्णय लिये जाने के बाद भी बिहार बंद किया गया. गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के बालू, गिट्टी और मिट्टी के खनन, बिक्री और परिवहन के लिए बनाए गए नई नियमों पर फिलहाल रोक लगा दी थी. कोर्ट ने पुराने नियमों के तहत काम करने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. बिहार में अवैध बालू खनन पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने इस साल नये नियम बनाएं. इसे 10 अक्तूबर 2017 को बिहार गजट में प्रकाशित किया गया था. 14 नवंबर को बालू-गिट्टी का रेट जारी किया गया. लेकिन यह नया नियम खनन कंपनियों और ट्रांसपोर्टरों को पसंद नहीं आया. उसी के समर्थन में राजद ने बिहार बंद का ऐलान किया है.


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