पटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया और राजद सुप्रीमो लालू यादव को बहुचर्चित चारा घोटाले में सीबीआइ की विशेष कोर्ट द्वारा दोषी करार देते ही बिहार की सियासत में तूफान आ गया है. राजनीतिक दलों और नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गयी है. सबसे पहले बात करें, तो राजद के नेताओं ने कहा कि एक ही मामले में जगन्नाथ मिश्र को जमानत और लालू को सजा कैसे मिल गयी. यह सरासर अन्याय है. राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि वह आगे अपील करेंगे. एक और नेता ने कहा कि राजनीतिक विद्वेष के तहत शुरू से ही लालू प्रसाद यादव को बलि का बकरा बनाया गया है.
राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता और मनेर विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार का उत्पीड़न किया गया है. उन्होंने कहा कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद की कोई भूमिका नहीं थी और ना ही उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ही ठहर पाया. राजद नेता ने कहा कि लालू प्रसाद यादव के पास से आज तक एक भी गलत रुपया नहीं पकड़ा गया, लेकिन इसके बावजूद उन पर जबरन मुकदमा चलाया गया. उन्होंने कहा कि वह देश की गरीबों के आवाज हैं, इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है.
भाई वीरेंद्र ने कहा कि कहा कि राजद चट्टान के साथ मजबूती से खड़ा है और लालू राबड़ी परिवार के साथ कार्यकर्ता मजबूती के साथ डटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक शक्तियों की गोद में खेलने वाले नीतीश कुमार ने जाल बुनकर भाजपा की मदद से लालू प्रसाद यादव के खिलाफ माहौल बनाया था. वहीं दूसरी ओर फैसला आने के बाद जदयू नेताओं का कहना है कि यह सत्य की जीत है. केसी त्यागी ने कहा कि इससे राजनीति में पारदर्शिता आयेगी और लोगों को सीख मिलेगी.
दोषी करार दिये जाने के बाद जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा जैसी करनी वैसी भरनी. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री रहते जैसा अपराध किया था वे आज उसी की सजा भुगत रहे हैं. उन्होंने कहा कि चारा घोटाले की जानकारी राजद अध्यक्ष को उनके मुख्यमंत्री रहते बहुत पहले हो चुकी थी. उस वक्त वे मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ वित्त मंत्री भी थे लेकिन जांच का आदेश देने की बजाय मामले को दबाए रखा. उन्होंने कहा कि 2 साल तक मामले को दबाकर रखने वाले लालू प्रसाद यादव आज व्हिसलब्लोवर बनने का दावा कर रहे हैं.
गौर हो कि सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जिस मामले में फैसला सुनाया है वह मामला देवघर कोषागार से जुड़ा हुआ है. चारा घोटाले की जांच के दौरान यह बात सामने आई थी कि देवघर कोषागार से 95 लाख 8 हजार 140 रूपए 10 पैसे की अवैध निकासी हुई थी. इस मामले में 1996 में मामला दर्ज किया गया था. सीबीआई ने एक साल के बाद 1997 में 38 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था. सीबीआई ने 38 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिसमें ग्यारह आरोपियों की मौत हो चुकी थी और 1997 में सीबीआई ने जब आरोप पत्र दाखिल किया तो उस दौरान तीन आरोपी सरकारी गवाह बन गए थे. दो आरोपियों ने निर्णय से पहले ही अपना दोष स्वीकार कर लिया था. जिन 22 आरोपियों ने आरोप स्वीकार नहीं किया था उन्हीं 22 आरोपियों के खिलाफ आज फैसला आया है.
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