रांची: चारा घोटाले से संबंधित देवघर के कोषागार से अवैध तरीके से धन की निकासी के मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई की विशेष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को आईपीसी की धारा 420 एवं 120बी के तहत आपराधिक षड्यंत्र तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) के तहत भ्रष्टाचार का दोषी पाया. अदालत इस मामले में तीन जनवरी को दोषियों को सजा सुनाएगी. वहीं चारा घोटाले से बरी होने परपूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रनेकहा, यह सत्य और न्याय की जीत है.हमें बहुत इंतजार करना पड़ा.
जगन्नाथ मिश्र ने कहा कि बहुत ज्यादा दुख उठाया, लेकिन अंत में न्याय की जीत हुई. मैं तो मंत्री भी नहीं था. मैं लालूयादव का राजनीतिक प्रतिद्वंदी रहा हूं. मैं उस व्यक्तिसे कैसे षड़यंत्र कर सकता हूं जिसने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया हो.
This is victory of truth & judiciary. We have to wait, suffer a lot, but justice prevails in the end. I wasn't even a min. I have been a political rival of Lalu Yadav. How can I be in conspiracy with a man who mistreated me?: Jagannath Mishra after being acquitted in #FodderScam pic.twitter.com/xrV9DzpHMP
— ANI (@ANI) December 23, 2017
वहीं, लालू प्रसाद के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में राजद प्रमुख को अधिकतम सात वर्ष एवं न्यूनतम एक वर्ष कैद की सजा हो सकती है. सीबीआई ने बताया कि देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा कर अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू एवं अन्य के खिलाफ उसने आपराधिक साजिश, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत भी मुकदमा दर्ज किया था.
1996 में हुआ चारा घोटाले का खुलासा
अविभाजित बिहार सरकार में 1996 में 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का खुलासा हुआ. वर्ष 2000 में बिहार से अलग कर झारखंड राज्य के गठन के बाद 61 में से 39 मामले नये राज्य हस्तांतरित कर दिया गया. मामले में 20 ट्रकों पर भरे दस्तावेज थे. मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने आज बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को दोषी करार दिया गया.
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मामले के घटनाक्रम इस प्रकार हैं :
– जनवरी, 1996 : चाईबासा के उपायुक्त अमित खरे ने पशुपालन विभाग में छापेमारी की जिसके बाद चारा घोटाले का खुलासा हुआ.
– मार्च, 1996 : पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआई से चारा घोटाले की जांच करने को कहा. सीबीआई ने चाईबासा (अविभाजित बिहार में) कोषागार से अवैध निकासी मामले में प्राथमिकी दर्ज की.
– जून, 1997 : सीबीआई ने आरोपपत्र दायर किया, लालू प्रसाद को आरोपी के तौर पर नामजद किया.
– जुलाई, 1997 : लालू ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया. सीबीआई अदालत में आत्मसमर्पण किया. न्यायिक हिरासत में भेजे गये.
– अप्रैल, 2000 : राबड़ी को भी मामले में आरोपी बनाया गया, लेकिन उन्हें जमानत दे दी गयी.
– अक्तूबर, 2001 : उच्चतम न्यायालय ने बिहार के विभाजन के बाद मामला झारखंड उच्च न्यायालय को हस्तांतरित किया.
– फरवरी, 2002 : झारखंड में विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई शुरू हुई.
– दिसंबर, 2006 : पटना की एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में लालू और राबड़ी को बरी किया.
– मार्च, 2012 : लालू और जगन्नाथ मिश्रा के खिलाफ आरोप तय किये गये.
– सितंबर, 2013 : एक दूसरे चारा घोटाला मामले में लालू, मिश्रा और 45 अन्य दोषी करार दियेगये. लालू को रांची की जेल में भेजा गया और लोकसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराया गया, चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गयी.
– दिसंबर, 2013 : उच्चतम न्यायालय ने लालू को जमानत दी.
– मई, 2017 : उच्चतम न्यायालय के आठ मई के आदेश के बाद सुनवाई दोबारा शुरू हुई. उच्चतम न्यायालय ने निचली अदालत से देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में उनके खिलाफ अलग से मुकदमा चलाने को कहा.
– 23 दिसंबर, 2017 : सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू और 17 अन्य को दोषी करार दिया. लालू को अब छह में से दो मामलों में दोषी करार दिया जा चुका है.
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