रांची : चारा घोटाले के एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद सहित 16 लोगों को आज दोषी ठहराने वाली यहां की एक विशेष सीबीआई अदालत ने फैसला सुनाते हुए नसीहत के लहजे में कहा कि दोषियों को जेल में जाकर शांतिपूर्वक आत्मचिंतन करना चाहिए. विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने अपना फैसला सुनाने के बाद न्यायिक हिरासत के कागजात तैयार किये जाने के दौरान यह टिप्पणी की. दोषी करार दिये जाने के बाद राजदसुप्रीमो लालू प्रसाद अभी बिरसा मुंडा कारागार में हैं. इस बीच यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या लालू यादव इस बार बेल के जरिये जेल से बाहर आ पायेंगे.
न्यायाधीश ने कहा…
न्यायाधीश ने कहा, आप लोग सामाजिक तौर पर बहुत व्यस्त रहते हैं तो आप लोगों को समय नहीं मिल पाता है. अब आप लोगों को जेल में अकेले रहने और आत्मचिन्तन का अच्छा समय मिलेगा. इस दौरान आप सभी को अपने पिछले कामकाज के बारे में आत्मचिंतन करना चाहिए. अदालत ने अनेक दोषियों की जेल में दवा की व्यवस्था करने, गरम कपड़ों की व्यवस्था करने और अन्य सुविधाओं के अनुरोध को भी स्वीकार कर लिया और उसके अनुसार जेल प्रशासन को निर्देश जारी किये.
बिरसा मुंडा जेल भेजे गये लालू सहित दोषी सभी 16 लोग
इस मामले में दोषी ठहराये गये लालू सहित दोषी सभी 16 लोगों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया. हालांकि अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत समेत छह लोगों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया. विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने नौ सौ पचास करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे मेंशनिवार को यह फैसला सुनाया.
यह हैं मामला
यह मामला वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से अवैध तरीके से रुपये की निकासी से संबंधित है. सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी, 64 ए, 1996 दर्ज किया था और लगभग 21 वर्षों बाद इस मामले में आज फैसला सुनाया गया.
मामले में कुल 38 लाेगों को बनाया गया था आरोपी
इस मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था. इनमें से 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गये जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था. जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गयी थी. इसके बाद 22 आरोपी बच गये थे, जिनको लेकर आज फैसला सुनाया गया. इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपये अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है.
लालू के लिए बेल पर जेल से बाहर आ पाना मुश्किल : कानूनी जानकार
वहीं, कानूनी जानकारों की मानें तो इस बार लालू प्रसाद यादव के लिए जमानत पर जेल से बाहर आ पाना मुश्किल होगा.जानकारों के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि अब लालू की गिनती बार-बार जेल आनेवाले दोषी के रूप में होगी और ऐसे मामलों में जमानत मिलना मुश्किल होता है. चारा घोटाले से जुड़े एक अन्य मामले में लालू यादव पहले भी दोषी करार दिये जा चुके हैं.
2013 में अदालत नेलालू को अवैध निकासीका पाया था दोषी
2013 में अदालत ने उन्हें चाईबासा कोषागार से 37.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का दोषी पाया था. तब लालू कोपांच साल जेल की सजा हुई थी और 25 लाख रुपये जुर्माना लगा था. अब शनिवार को कोर्ट ने देवघर के सरकारी कोषागार से 84.53 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है. स्पेशल सीबीआई कोर्ट लालू समेत कुल 16 दोषियों के लिए 3 जनवरी को सजा का एलान करेगा. इससेपहले लालू यादव को 2013 में भी हाई कोर्ट से नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी.
दो मामलों में दोषी करार दिये जा चुके है लालू
इस मामले से एक प्रमुख समाचार पत्र में छपी रिपोर्ट में सीबीआई सूत्रों के मुताबिक बताया गया है कि लालू के नाम पर पांच मामले झारखंड में और एक मामला बिहार में दर्ज है. झारखंड के 5 मामलों में लालू दो में दोषी करार दिये जा चुके हैं. बाकी 3 मामलों में ट्रायल जारी है. इनमें दुमका ट्रेजरी से 3.97 करोड़ रुपये, चाईबासा ट्रेजरी से 36 करोड़ रुपये, डोरंडा ट्रेजरी से 184 करोड़ रुपये. जबकि बिहार की भागलपुर ट्रेजरी से 45 लाख रुपये अवैध निकासी के मामले शामिल हैं.
चारा घोटाला की जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी ने कहा…
अमरावती : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और 15 अन्य को चारा घोटाले के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद आंध्र प्रदेश कैडर के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मामला तार्किक निष्कर्ष तक पहुंच गया. दरअसल, उन्होंने मामले की जांच की थी. यह मामला 21 साल पहले उजागर हुआ था. उस वक्त अपने गृह राज्य बिहार में प्रतिनियुक्ति पर तैनात वरुण सिंधु के. कौमुदी ने पशुपालन घोटाला इकाई, पटना के सीबीआई पुलिस अधीक्षक होने के नाते मामले की करीबी निगरानी की थी और मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया था.
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दो दशक से भी पुराने मामले को याद करते हुए कौमुदी ने कहा कि पटना स्थित सीबीआई अदालत को ट्रक भर दस्तावेजों की प्रति सौंपी गयी थी. उन्होंने बताया, मुझे इससे जुड़े एक अन्य मामले में लालू प्रसाद को गिरफ्तार करने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था. उन्होंने खुशी जतायी कि मामला इतने साल बाद तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचा. वह फिलहाल नयी दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात हैं.