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बिहार : न दवा-न उपकरण, सिर्फ ऑक्सीजन के साथ दौड़ रही एंबुलेंस

आनंद तिवारी पटना : स्वास्थ्य विभाग की ओर से चल रहे एंबुलेंस में न तो जरूरी उपकरण हैं और न ही दवाएं. इतना ही नहीं कई एंबुलेंस खटारा होने की कगार पर पहुंच गयी हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बीते कई वर्षों से एक बार भी इन एंबुलेंस की […]

आनंद तिवारी
पटना : स्वास्थ्य विभाग की ओर से चल रहे एंबुलेंस में न तो जरूरी उपकरण हैं और न ही दवाएं. इतना ही नहीं कई एंबुलेंस खटारा होने की कगार पर पहुंच गयी हैं. स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बीते कई वर्षों से एक बार भी इन एंबुलेंस की जांच नहीं की है. यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत भी मिल चुका है. जांच नहीं होने का नतीजा है कि राजधानी में जर्जर एंबुलेंस बेरोक-टोक दौड़ रही हैं. राज्य स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों की इस बात की जानकारी है, लेकिन कोई ध्यान नहीं देते हैं.
मिल चुकी हैं गड़बड़ियां
जानकारों के मुताबिक प्रदेश के तीन जिलों में पांच साल पहले जांच की गयी थी, इसमें पटना भी शामिल था. उस समय इन जिलों में चल रहे एंबुलेंस की जांच की गयी, तो यहां भी कई खामियां मिलीं.
इन एंबुलेंसों में न तो वेंटिलेटर चल रहे थे और न ही पल्स ऑक्सीमीटर. इतना ही नहीं एंबुलेंस में न तो दवाएं थीं और न ही व्हील चेयर को स्टोर रूम में बंद करके रखा गया था. जबकि एंबुलेंस संचालन के एवज में स्वास्थ्य विभाग की ओर से लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं.
-60 की जगह 30 की स्पीड से चल रही एंबुलेंस: 108 एंबुलेंस पर विभाग का ध्यान नहीं जाने की वजह से ये जर्जर हो गयी हैं. इसके चलते 60 से 65 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़नेवाली एंबुलेंस को मात्र 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाना पड़ रहा है. इससे मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में अनावश्यक विलंब भी हो रहा है. कई मरीजों ने देर से पहुंचने की शिकायत भी की है. पर ध्यान नहीं जा रहा है.
नहीं हो रही है सर्विसिंग
एंबुलेंस की जर्जर हालत के बारे में जब पूछताछ की गयी, तो इसको चलाने वाले कर्मचारियों ने बताया कि उनकी गाड़ियां दिन भर दौड़ती हैं. ऐसे में 10 हजार किमी पर सर्विसिंग की जरूरत पड़ती है. लेकिन पैसे बचाने के लिए 20 हजार किमी से ज्यादा चलने के बावजूद भी इन गाड़ियों की सर्विसिंग नहीं की जा रही है.
मिल रही हैं ये खामियां
प्रभात खबर ने जब शहर में चलने वाले एंबुलेंस की जांच की तो कई गड़बड़ियां मिलीं. पीएमसीएच और गर्दनीबाग अस्पताल के कैंपस में लगी 108 एंबुलेंस में सिर्फ ऑक्सीजन सिलिंडर, नीली सायरन बत्ती आदि कुछ सुविधाएं हैं. लेकिन इनमें न तो दवाएं हैं और न ही ईसीजी व वेंटिलेटर मशीन. यह स्थिति सिर्फ पटना ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में लगी एंबुलेंसों की हैं. इनमें वेंटिलेटर, शूगर नापने वाला ग्लूको मीटर, ब्लड प्रेशर उपकरण, व्हील चेयर नहीं रहती है. साथ ही थर्मामीटर, लैरिंगोस्कोप, आईवी फ्लूड, डिलिवरी किट सहित कई दवाएं भी एंबुलेंस में नहीं होती हैं.
सिर्फ ऑक्सीजन के बल पर 108 एंबुलेंस दौड़ायी जा रही हैं. सिविल सर्जन डॉ पीके झा का कहना है कि पहला ध्यान होता है कि मरीजों को समय पर एंबुलेंस मिले. समय-समय पर मेंटनेंस भी होता है. अगर एंबुलेंस में किसी तरह की कोई परेशानी मिली, तो उसे उच्च अधिकारियों से कह कर सही कराने के लिए कहा जायेगा.

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