हर साल करोड़ों में होता है एडमिशन फॉर्म का धंधा

अंकुश लगाने को राज्य में नहीं है नियम पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में सत्र 2018-19 के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कुछ स्कूलों ने एडिशन फार्म वितरण की तिथि घोषित कर दी है, तो कुछ जल्द ही या जनवरी माह में करेंगे. यह भी स्कूलों की कमाई का एक जरिया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 28, 2017 8:24 AM
अंकुश लगाने को राज्य में नहीं है नियम
पटना : राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में सत्र 2018-19 के लिए एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कुछ स्कूलों ने एडिशन फार्म वितरण की तिथि घोषित कर दी है, तो कुछ जल्द ही या जनवरी माह में करेंगे. यह भी स्कूलों की कमाई का एक जरिया है. इससे स्कूल करोड़ रुपये तक का धंधा कर लेते हैं. जिले में छोटे-बड़े प्राइवेट स्कूलों की संख्या 2000 के करीब है.
लेकिन इनमें सीबीइसइ व आइसीएसइ से संबद्ध स्कूलों की संख्या 120 के करीब है. इसलिए वहां अच्छी-खासी संख्या में आवेदन (एडमिशन फार्म) आते हैं. जिले के बड़े व सीबीइसइ-आइसीएसइ से संबद्धता प्राप्त स्कूलों में इंट्री क्लास (एलकेजी) में सीटों की संख्या लगभग 10 हजार है. जबकि आवेदन फार्म का मूल्य 200 से 600 रुपये तक है. इसके अलावा नौवीं व 11वीं क्लास में भी एडमिशन की मारामारी रहती है. बड़ी कक्षाओं में एडमिशन फार्म का मूल्य और अधिक होता है. इस तरह केवल एडमिशन फार्म से ही ये स्कूल अच्छी-खासी आय प्राप्त करते हैं, जिसे कुल करोडों में आंका जा सकता है.
हर स्कूल में रजिस्ट्रेशन फीस
अनिवार्य : दूसरी ओर शहर समेत जिले भर में स्थित स्कूलों की संख्या करीब 2270 है. इस तरह इंट्री क्लास में सीटो की संख्या करीब 20 हजार है, जहां एडमिशन से पूर्व रजिस्ट्रेशन फीस (एडमिशन फार्म का मूल्य) चुकाना अनिवार्य है. इसके बाद एडमिशनफीस के नाम पर अभिभावकों को कम से कम 8 से 10 हजार रुपये का भुगतान करना पड़ता है. कुल मिला कर देखा जाये, तो एडमिशन का खेल करोड़ों रुपये का है.
विभाग से कोई गाइडलाइन नहीं
अभिभावक संदीप व सत्येंद्र कुमार ने बताया कि स्कूलों की मनमानी पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है. राज्य सरकार की ओर से भी कोई गाइडलाइन तय नहीं की गयी है. इस कारण स्कूल हर वर्ष मनमाने तरीके से एडमिशन फार्म का मूल्य ही नहीं फीस वृद्धि भी करते हैं. इसके लिए सरकार को आगे आने की जरूरत है.
एडमिशन के लिए रजिस्ट्रेशन हो या फीस, इस पर अंकुश लगाने की दिशा में विभाग की ओर से कोई गाइडलाइन या निर्देश जारी नहीं किया गया है. विभागीय स्तर से अधिकारियों के आदेश प्राप्त होते हैं, तो कार्रवाई की जायेगी.
-राम सागर प्रसाद, डीपीओ, पटना

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