पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द न जाने कोय, लालू के लिए तेजस्वी की लिखी कविता पर JDU का जवाब
पटना : राजद सुप्रीमो लालू यादव के जेल जाने के बाद सत्ता पक्ष और राजद के बीच लगातार बयानबाजी का दौर चल रहा है. उधर, लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव सोशल मीडिया के जरिये लगातार लालू के समर्थन में कविता, तस्वीर और ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने गुरुवार को लालू यादव […]
पटना : राजद सुप्रीमो लालू यादव के जेल जाने के बाद सत्ता पक्ष और राजद के बीच लगातार बयानबाजी का दौर चल रहा है. उधर, लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव सोशल मीडिया के जरिये लगातार लालू के समर्थन में कविता, तस्वीर और ट्वीट पोस्ट कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने गुरुवार को लालू यादव को शेर की संज्ञा देते हुए एक कविता पोस्ट किया. फिर क्या था, उसके जवाब में जदयू के विधान पार्षद सह प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी जवाब दिया है. नीरज कुमार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आदरणीय लालु जी, काल का चक्र महत्वपूर्ण होता है, कालचक्र ने आपको रांची के होटवार जेल में कैदी नंबर – 3351 घोषित करवा दिया भ्रष्टाचार के आरोप में.
नीरज कुमार नेकहा है कि पिंजरे के पंछी रे, तेरा दर्द न जाने कोय. अपने आप को शेर घोषित करने वाला शख्स पिंजरे में कराह रहा है कैदी नंबर – 3351 के रूप में, कि हमने तो लोहिया, लोकनायक जय प्रकाश नारायण, जननायक कर्पूरी ठाकुर का नारा लगाया था लेकिन जब मौका मिला तो संपत्ति संग्रहण में गर्दा छोड़ा दिया. नीरज ने कहा कि यह जो मानस पीड़ा है, उसी का प्रकटीकरण और अपनी संपत्ति बचाने के लिए सामाजिक न्याय का लबादा ओढ़ने के पाखंड के अलावा कुछ नहीं है.
नीरज ने आगे कहा है कि जेल नियमावली के अनुसार सजायाफ्ता कैदियों को खाने-पीने और मुलाकात आदि की सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती हैं. जेल में कैदियों के लिए उपलब्ध खान-पान एक सामान्य मनुष्य के लिए बेहतर मानक माना जाता है. इसलिए हमें लगता है कि राजद के नेता सहानुभूति बटोरने के लिए और समाज के अंदर भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानने के लिए इस तरह की कवायद कर रहे हैं. लालूजी को जब जेल मैन्यूअल के अनुरूप टी.वी. अखबार, खाने- पीने की सामग्री, सब सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो इस तरह की फफड़दलाली करने की क्या जरूरत है ?
नीरजने आगे हमला करते हुए लिखा है कि बिहार के सजायाफ्ता लाल को जब सुबह शाम जेल के नियमों के अनुसार हाजिरी के लिए पुकार होती होगी कैदी न.- 3351, तब आदरणीय लालुजी कहते होंगे देखो हम चारा खाकर आ गए, यही लालुजी की दहाड़ है जेल में ! जेल की दहाड़ इन्हें आत्मिक पीड़ा देती होगी, कि गरीबों-वंचितों को रहने की जगह नहीं है और खुद के लिए पटना में आलीशान मॉल से दिल्ली तक में संपत्ति संग्रहण कर लिए. इसलिए लालूजी जेल में ही दहाड़िए, वहां जितने भी अपराधी, गुंडा-मवाली है सब के प्रेरणास्रोत तो आप ही हैं न! क्यूंकि बिहार में आपने, अपने और पत्नी के शासनकाल में अपराधियों की समानांतर सरकार चलाई है। इसलिए – संगत से गुण होत है, संगत से गुण जात.
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