कुपोषण के नाम पर खूब किये खर्च अब हिसाब देने से लगे कतराने

आईसीडीएस में ‘स्निप’ के तहत खर्च हुई राशि का मांगा जा रहा उपयोगिता प्रमाणपत्र पटना : केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का फोकस कुपोषण खत्म करने पर है. इसलिए कुपोषण के नाम पर विभिन्न जिलों में हाथ खोल कर पैसे खर्च किये जा रहे हैं, परंतु हिसाब देने में जिला स्तर से हीला-हवाली की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2017 6:37 AM

आईसीडीएस में ‘स्निप’ के तहत खर्च हुई राशि का मांगा जा रहा उपयोगिता प्रमाणपत्र

पटना : केंद्र से लेकर राज्य सरकार तक का फोकस कुपोषण खत्म करने पर है. इसलिए कुपोषण के नाम पर विभिन्न जिलों में हाथ खोल कर पैसे खर्च किये जा रहे हैं, परंतु हिसाब देने में जिला स्तर से हीला-हवाली की जा रही है. प्रदेश के 18 ऐसे जिले हैं, जिनको बार-बार कहा गया, परंतु खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराया गया. न ही खर्च का ब्योरा ही दिया जा रहा है. ऐसा नहीं होने से महालेखाकार की ओर से होनेवाली ऑडिट में भी विलंब होना लाजिमी है.
एक बार फिर से समेकित बाल विकास सेवाएं (आईसीडीएस) निदेशालय के डायरेक्टर ने संबंधित जिलों के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी को पत्र लिखा है. उन्होंने अनुशासनिक कार्रवाई की चेतावनी तक दी है. आईसीडीएस की ओर से ‘स्निप’ के तहत बड़े पैमाने पर बजट खर्च किया जा रहा है. कुपोषण व बौनापन से जूझ रहे जिलों में ज्यादा काम हो रहा है.
इसको लेकर विभिन्न स्तरों पर धनराशि का आवंटन किया गया है. निदेशालय से लिखे गये पत्र पर गौर करें, तो महालेखाकार की ओर से की जानेवाली ऑडिट का हवाला दिया गया है. निदेशक ने संबंधित जिला प्रोग्राम पदाधिकारियों को लिखा है कि अगस्त, सितंबर व अक्तूबर में पत्र जारी करते हुए खर्च का ब्योरा और उपयोगिता प्रमाणपत्र की मांग की गयी थी. फिर भी इसका अनुपालन नहीं हुआ. बाकायदा संबंधित जिलों के लिए तिथि तय की गयी. परंतु पदाधिकारियों ने दिलचस्पी नहीं ली है.
निदेशक ने स्पष्ट लिखा है कि निर्देश का अनुपालन नहीं करना कार्यों के प्रति उदासीनता है. उन्होंने वित्तीय वर्ष 2016-17 में किये गये वास्तविक व्यय का प्रतिवेदन और उपयोगिता प्रमाणपत्र जिला व परियोजना का प्रपत्र तैयार करा कर रोकड़बही के साथ अकाउंटेंट को निदेशालय में भेजा जाये. तय तिथि पर नहीं आने पर संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
इन जिलों से नहीं मिला ब्योरा
बक्सर, भागलपुर, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, जमुई, जहानाबाद, मधुबनी, मधेपुरा, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, वैशाली व पश्चिमी चंपारण.

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