कोहरे का कहर : लगातार तीसरे दिन भी पटना एयरपोर्ट का रहा हाल बुरा, ट्रेनों के विलंब से आने-जाने के कारण बढ़ी परेशानी

पटना : शनिवार को लगातार तीसरे दिन घने कोहरे से पटना का एयर ट्रैफिक अस्त-व्यस्त रहा. खराब मौसम की पूर्व सूचना से सुबह वाले विमान दोपहर एक बजे के बाद पटना के लिए रवाना हुए. इसके बावजूद कम दृश्यता के कारण उन्हें पटना के आसमान में आधे से एक घंटे तक चक्कर काटना पड़ा. इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2017 6:47 AM

पटना : शनिवार को लगातार तीसरे दिन घने कोहरे से पटना का एयर ट्रैफिक अस्त-व्यस्त रहा. खराब मौसम की पूर्व सूचना से सुबह वाले विमान दोपहर एक बजे के बाद पटना के लिए रवाना हुए. इसके बावजूद कम दृश्यता के कारण उन्हें पटना के आसमान में आधे से एक घंटे तक चक्कर काटना पड़ा. इस दौरान 13 फ्लाइट रद्द किये गये, जबकि छह डायवर्ट किये गये. चार फ्लाइट को होल्ड पर रखा गया.

शनिवार को सबसे पहले शुक्रवार की रात ग्राउंडेड हुए पांच विमानों को उड़ाने का निर्णय हुआ क्योंकि इनके कारण पार्किंग स्पेस फूल था. लेकिन विजिबिलिटी के महज 600 मीटर होने के कारण दोपहर 12 बजे से इनको उड़ाना संभव नहीं हो सका. एक बजे में विजिबिलिटी 800 मीटर से ऊपर होने पर ग्राउंडेड विमानों की उड़ान शुरू हुई. पांच पांच मिनट के अंतराल पर इंडिगो के तीन विमान आैर एयर इंडिया का एक विमान उड़ा. पांच में से चार विमानों के उड़ने से पार्किंग स्पेस में जगह तो बना लेकिन विमानों को उतारने में विजिबिलिटी तब भी बाधक बनी रही दोपहर 3 बजे के बाद क्यू में लगे विमानों को लैंडिंग की इजाजत मिली.

मौसम ने दिया दगा
पटना. हिमाचल प्रदेश से स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को शनिवार को पटना वापस लौटना था. लेिकन कम दृश्यता की वजह से उनकी फ्लाइट को बनारस के आसपास से फिर दिल्ली के लिए डायवर्ट कर दिया गया. वहीं, पटना एयरपोर्ट के निदेशक आरएस लाहौरिया का विमान भी खराब मौसम व दृश्यता की कमी के कारण रद्द हो गया.

रद्द विमान एयरलाइन फ्लाइट सं. मार्ग
जेट एयरवेज 373 पटना-दिल्ली
जेट एयरवेज 728 पटना-दिल्ली
जेट एयरवेज 731 पटना-दिल्ली
गो एयर 150 पटना-दिल्ली
इंडिगो 508 पटना-दिल्ली
इंडिगो 902 पटना-बंगलुरु
इंडिगो 485 बंगलुरू-पटना
इंडिगो 6325 पटना-दिल्ली
इंडिगो 708 पटना-कोलकाता
स्पाइस जेट 832 पटना-हैदराबाद

सूटकेस-ट्रॉली पर बैठे दिखे यात्री
टर्मिनल भवन में मौजूदा क्षमता से दोगुने से भी अधिक है. इससे आधे से अधिक लोगों को बैठने की जगह भी नहीं मिल रही थी. कुछ खड़े थे जबकि कुछ जमीन पर बैठे या चादर बिछा कर लेटे दिखे. कई लोग सूटकेस-ट्रॉली को भी कुर्सी की तरह इस्तेमाल कर रहे थे.

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