चारा घोटाला फैसला : सजा सुनाये जाने के बाद लालू ने बिहारवासियों के नाम लिखा ये मार्मिक खत…पढ़ें
पटना : चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. इसके अलावा अदालत ने लालू परपांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. लालू की सजा को लेकर एक ओर जहां राजनीतिक गलियारों […]
पटना : चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आज राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है. इसके अलावा अदालत ने लालू परपांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. लालू की सजा को लेकर एक ओर जहां राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की प्रतिक्रयाएं सामने आने लगी हैं.वहीं लालू याद ने कोर्ट द्वारा सजा सुनाये जाने के बाद बिहारवासियों के नाम एक मार्मिक खत लिखा है. पढ़ें…उन्होंने खत में क्या लिखा है…
मेरे प्रिय बिहारवासियों ,
आप सबों के नाम ये पत्र लिख रहा हूं और याद कर रहा हूं अन्याय और ग़ैर बराबरी के खिलाफ अपने लंबे सफर को, हासिल हुए मंजिलों को और ये भी सोच रहा हूं कि अपने दलित पिछड़े और अत्यंत पिछड़े जनों के बाकी बचे अधिकारों की लड़ाई को.
बचपन से ही चुनौतीपूर्ण और संघर्ष से भरा रहा है जीवन मेरा. मुझे वो सारे क्षण याद आ रहे हैं जब देश में गरीब पिछड़े शोषित और वंचित लोगों की लड़ाई लड़ना कितना कठिन था. वो ताकतें जो सैकड़ों साल से इन्हें शोषित करती चली आ रही थी वो कभी नहीं चाहते थे कि वंचित वर्ग के हिस्से का सूरज भी कभी जगमगाए, लेकिन पीड़ितों की पीड़ा और सामूहिक संघर्ष ने मुझे अद्भुत ताकत दी और इसी कारण से हमने सामंती सत्ता के हजारों साल के उत्पीड़न को शिकस्त दी. लेकिन, इस सत्ता की जड़ें बहुत गहरी हैं और अभी भी अलग अलग संस्थाओं पर काबिज हैं. आज भी इन्हें अपने खिलाफ उठने वाला स्वर बर्दास्त नहीं होता और येनकेन प्रकारेण विरोध के स्वर को दबाने की चेष्टा की जाती है. आप तो समझ ही रहे होंगे कि छल, कपट, षड्यंत्र और साजिशों का ऐसा खेल खेला जाता है जिससे सामाजिक न्याय की धारा कमजोर हो और इस धारा का नेतृत्व करने वाले लोगों का मुंह बंद कर दिया जाये.
इतिहास गवाह है कि मनुवादी सामंतवाद की शक्तियां कहां-कहां और कैसे सक्रिय होकर न्याय के नाम पर अन्याय करती आयी हैं. शुरू से ही इन शक्तियों को कभी हजम नहीं हुआ कि एक पिछड़े गरीब का बेटा दुनिया को रास्ता दिखाने वाले बिहार जैसे राज्य का मुख्यमंत्री बने. यही तो जननायक करपुरी ठाकुर के साथ हुआ था.
मुझे बचपन की वो सामाजिक व्यवस्था याद आ रही जहां ‘बड़े लोगों’ के सामने हम ‘छोटे लोगों’ का सर उठाकर चलना भी अपराध था. फिर बदलाव की वो बयार भी देखी जिसमें असंख्य नौजवान जेपी के आंदोलन से प्रभावित हो उसमे शामिल हो गए. आपका अपना लालू भी उनमें से एक था जो कूद पड़ा था सत्ता के खिलाफ संघर्ष में, और निकल पड़ा तानाशाही, सामंतवाद और भ्रष्टाचार के विरुद्ध लौ जलाने. सफर में अनगिनत मुश्किलें थी लेकिन कांटों भरी इस यात्रा ने आपके लालू को और उसके इरादों को और मजबूत किया.
आपातकाल के दौरान आपके इसी नौजवान को जेल में डाल दिया गया था, लौ चिंगारी में जहां परवर्तित हुई थी वो जेल ही थी और आज महसूस करता हूं की वो चिंगारी अब ऐसी मशाल बन चुकी है जो जब तक रोशन रहेगी, तानाशाही और सामंतवादी के खिलाफ लोगो को जगाने का काम करेगी. भारत के संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर की भी यही इच्छा थी तथा इन्हीं उद्देश्यों के किये डॉ लोहिया, स्व. जगदेव बाबू, स्व चौधरी चरण सिंह, जननायक करपुरी ठाकुर तथा वीपी सिंह ने समय-समय पर इस संघर्ष को मजबूत किया था.
सच कहूं तो जिस दिन आंदोलन में कूदा था उस दिन से ही मुझे आभास था की राह आसान नहीं होगी, जेल में डाला जायेगा, प्रताड़ित किया जायेगा, झूठे आरोपों की बरसात होगी, झूठे तमगे दिये जायेंगे, लेकिन एक बात तय थी कि मेरी व्यक्तिगत परेशानी गरीब और वंचित जनता की सामूहिक ताकत को बलवती बनाकर सामाजिक न्याय की धारा के लोगों की राह आसान बनायेगी. आप लोग मेरे लिए परेशान ना हों मेरी एक-एक कुर्बानी आपको मजबूती देगी. किसी की मजाल नहीं की आपके हिस्सेदारी से कोई ताकत आपको महरूम कर दे. आपकी लड़ाई, आपका संघर्ष और मेरे लिए आपका प्रेम ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है और मैं आपके लिए सौ वर्षों तक जेल में रहने को तैयार हूं. सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में आपकी संपूर्ण भागीदारी की ये छोटी सी कीमत हैं और मैं और मैं इसे चुकाने को तैयार हूं.
जब मैं जातिगत जनगणना के खुलासे की बात करता हूं, आरक्षण के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ता हूं. किसान, मजदूर और गरीबों की आवाज बुलंदी से उठाता हूं तो सत्ता की आंखों में खटकता हूं, क्योंकि निरकुंश सत्ता को गूंगे-बहरे चेहरे चाहिए. इस सत्ता को ‘जी हां हुजूर’ वाले लोग चाहिए जो आपका लालू कभी हो नहीं सकता. क्या हम नहीं जानते हैं कि तानाशाही सत्ता को विरोध की आवाज हमेशा खटकती है, इसलिए उसका जोर होता है की साम-दाम-दंड-भेद से उस आवाज को खामोश कर दिया किया जाये. लोकतंत्र को जिंदा रखने के लिए विरोध का स्वर जरूरी है. आपका लालू अपने आखिरी दम तक आवाज उठाता रहेगा. जो बिहार के हित में है, जो देशहित में हैं , गरीबों, पिछड़ों, दलितों के हित में है और सबसे आगे जो मानवता के हित में है. लालू ने हमेशा वो किया और करता रहेगा. और मैं ये सब इसलिए कर पाया हूं और करता रहूंगा क्योंकि मेरी ताकत आप करोड़ों लोग हैं. खेत-खलिहानों में, मलिन बस्तियों में, शहर और गांव की गुमनाम बस्तियों में…
लालू का रास्ता सच के लिए संघर्ष का रास्ता है इसलिए हमारे लिए जनता ही जनार्दन है और उसकी बेहतर जिंदगी ही मेरे जीवन का ध्येय है ना की कुर्सी. यही वजह है आडवाणी का रथ रोकते हुए मैंने सत्ता नहीं देखी, मेरे जमीर ने कहा की ये रथ बिहार के भाईचारे को कुचलता है, तो रोक दिया रथ …
कितना कुछ खेल खेला है इन मनुवादियों नें ….सीबीआई पीछे लगाई, मेरे परिवार को घसीटा गया, मुझे अरेस्ट करने के लिए आर्मी तक बुलावा भेजा. मेरे नादान बच्चों पर मुकदमे कर उन्हें प्रताड़ित कर उनका मनोबल तोड़ने का कुचक्र रचा, देश की सभी जांच एजेंसियों के छापे, चूल्हे से लेकर तबले तक को झाड़-पोंछकर खोजबीन की, पूछताछ की. चरित्र हनन करने के षडयंत्र रचे, सभी नजदीकियों को प्रताड़ित किया, चोर दरवाजे से घुसकर सत्ता से बेदखल किया, लेकिन परेशानियां और प्रताड़ना अपनी जगह आपके लालू के चेहरे पर शिकन नहीं आयी. जानते हैं क्यों, क्योंकि जिसके पास करोड़ों गरीबों की बेपनाह मुहब्बत हो उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता.
आप तो देख ही रहे हैं किस प्रकार देश का प्रधानमंत्री, राज्य का मुख्यमंत्री, केंद्र और राज्य की सरकारें, देश की तीन सबसे बड़ी एजेंसियां इनकम टैक्स, सीबीआई और ईडी, सरकार समर्थित अन्य संस्थान और कई प्रकार के जहरीले लोग हमारे पीछे लगे हैं. बच्चों को भी झूठ और फरेब की कहानियां बनाकर दुश्मनी निकाल रहे है. इन मनुवादियों ने सोचा इतना करने के बाद अब तो लालू खामोश हो जायेगा, समझौता कर लेगा, लेकिन लालू बिहार की महान माटी का लाल है किसी अत्याचार के खिलाफ खामोश नहीं होने वाला. लालू किसी से डरकर नहीं डटकर लड़ाई लड़ता है. वह आंखों में आंख नहीं जरूरत पड़ने पर आंखो में ऊंगली डालकर भी बात करना जानता है और ये कर पाने का बलव ऊर्जा आपकी ताकत, आपके संघर्ष और मेरे लिए आपके असीम स्नेह के कारण संभव हो पाता है. आप हैं तो आपका लालू है.
हां, आपके लालू का एक दोष जरूर है कि उसने जातिवाद और फासीवाद की सबसे बड़ी पैरोकार संस्था आरएसएस के सामने झुकने से लगातार इनकार किया. इन मनुवादियों को ये पता होना चाहिए कि करोड़ों बिहारियों के स्नेह की पूंजी जिस लालू के पास है उसे पाताल में भी भेज दो तो वहां से भी तुम्हारे खिलाफ और तुम्हारी दलित-पिछड़ा विरोधी मानसिकता के खिलाफ बिगुल बजाता रहेगा.
क्या आप नहीं समझते कि इन मनुवादियों को अपनी सत्ता का इतना घमंड हो गया है कि भैस-गाय पालने वाले, फक्कड़ जीवनशैली अपनाने वाले आपके लालू को घोटालेबाज कहते हैं. जिंदगीभर गरीब आदमी के लिए लड़ने वाले के सिर पर इतनी बड़ी तोहमत के पीछे का सच क्या किसी से छुपा हुआ है? अरे सत्ता में बैठे निरंकुश लोगो!! असली घोटालेबाज तो तुम हो जो कमल छाप साबुन से बड़े बड़े घोटालेबाजों की ‘समुचित’ सफाई कर उन्हें मनुवादी-फासीवाद का सिपाही बनाते हो..
मेरे भाइयों और बहनों! परेशान और हताश न होयें आप.. बस ये जरूर सोचना और बार-बार सोचना कि ‘तथाकथित’ भ्रष्टाचार के सभी मामलों में वंचित और उपेक्षित वर्गों के लोग ही जेल क्यों भेजे जाते है? ये भी सोचना जरूर कि कुछ हमारे जमात के लोग इनके दुष्प्रचार का शिकार क्यों हो जाते है? ये सारी नापाक हरकते और पाखंड सिर्फ लालू को प्रताड़ित करने के लिए नहीं हो रहा है बल्कि इनका असली निशाना आपको सत्ता और संसाधन से बेदखल करना है. लालू तो बहाना है असली निशाना है कि दलित, महादलित, पिछड़े-अतिपिछड़ों और अल्पसंख्यकों को फिर से हाशिये पर धकेल दिया जाये.
आप में से कई लोग सोचते होंगे कि आपका लालू चुप क्यों नहीं हो जाता, समझौता क्यों नहीं कर लेता? तो सुन लो, आपका लालू आज भी जमीन पर गरीब के बीच रहता है और देखता है कि किस कदर लोगों को सताया जा रहा है. आज भी दलित-पिछड़े समाज की हर मुसीबत मेरी व्यक्तिगत मुसीबत है. आज भी इन वर्गों की हर परेशानी मुझे चैन से सोने नहीं देती. मैं मानता हूं कि, कदम कदम पर पहरे है, सत्ता तेरे गरीबों को दिये जख्म बहुत गहरे हैं. शायद इसलिए बाकी लोगों की तरह आपका लालू भी अगर समझौता कर सत्ता की गोद में बैठ जायेगा तो बेबस जनता की आवाज कौन सुनेगा, उनके हक के लिए कौन लड़ेगा? लालू को लोकतंत्र की परवाह है इसलिए बोलता है, लालू को भाईचारे की परवाह है इसलिए बोलता है.
झूठ अगर शोर करेगा
तो लालू भी पुरजोर लड़ेगा
मर्जी जितने षड्यंत्र रचो,
लालू तो जीत की ओर बढ़ेगा
अब, इंकार करो चाहे अपनी रजा दो
साजिशों के अंबार लगा दो
जनता की लड़ाई लड़ते हुए, आपका
लालू तो बोलेगा चाहे जो सजा दो
मैं सिर्फ हाथ जोड़कर आप सबों से विनती करता हूं कि आप हताश और निराश ना हों, आप रोये नहीं, जैसा मैंने पहले कहा कि आपका स्नेह और मुहब्बत आपके लालू को ताकत देता हैं. आपकी परेशानी से आपका लालू परेशान होता है. भरोसा देता हूं कि मुझे डर नहीं, मुझे भय नहीं. मेरे साथ समूचा बिहार है. आप सब मेरे परिवार हैं. जिस व्यक्ति के पास इतना बड़ा करोड़ों लोगों का परिवार हो उसे दुनिया की कोई ताकत डरा नहीं सकती. आपकी ताकत ही आपके लालू को लालू बनाती है.
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