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लालू का राजनीतिक भविष्य : अभी 11 साल चुनाव लड़ने के हैं अयोग्य, जानें… क्या है उनकी सियासी ताकत

पटना: रांची स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत नेशनिवार को 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. लालू प्रसाद को साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा […]

पटना: रांची स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत नेशनिवार को 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाला से जुड़े एक मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. लालू प्रसाद को साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले में दूसरी बार आपराधिक षड्यंत्र एवं भ्रष्टाचार की धाराओं के तहतशनिवारको सजा सुनायी गयी. इससे पहले चारा घोटाले के ही चाईबासा कोषागार से जुड़े एक मामले में उन्हें तीन अक्तूबर, 2013 को भी इन्हीं धाराओं के तहत पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी थी. इस मामले में वे जमानत मिलने के बाद से जेल से बाहर निकल गये थे. कानूनी जानकारों की मानें तो इस बार लालू यादव को जमानत मिलना आसान नहीं होगा. इसे देखते हुए लालू की परेशानियां अभी कमहोती नहीं दिख रही है.

लालू को दूसरी बार आपराधिक षड्यंत्र एवं भ्रष्टाचार के लिए सजा मिली

रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले में दूसरी बार आपराधिक षड्यंत्र एवं भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत आज सजा सुनायी गयी. इससे पहले चारा घोटाले के ही चाईबासा कोषागार से जुड़े एक मामले में उन्हें3 अक्तूबर, 2013 को भी इन्हीं धाराओं के तहत पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी गयी थी. लालू प्रसाद को विशेष सीबीआई अदालत नेशनिवार को देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के गबन के आरोप में भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 420, 467, 471एवं 477ए के तहत जहां साढ़े तीन वर्ष कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी वहीं उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 :2:, धारा 13 :1: सी एवं डी के आधार पर दोषी करार देते हुए भी अलग से साढ़े तीन वर्ष कैद एवं पांच लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी.

लालू की दोनों सजायें एक साथ चलेंगी
अदालत ने बाद में स्पष्ट किया कि लालू की दोनों सजायें एक साथ चलेंगी. जुर्माना न अदा करने की स्थिति में लालू यादव को छह माह अतिरिक्त जेल की सजा काटनी होगी.शनिवार को कुल मिलाकर लालू यादव को अदालत ने साढ़े तीन वर्ष कैद एवं दस लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी. चारा घोटाले के ही चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये के गबन से जुड़े आरसी 20ए96 मामले में प्रवास कुमार सिंह की विशेष सीबीआई अदालत ने 30 सितंबर, 2013 को लालू यादव को दोषी ठहराने के बाद तीन अक्तूबर, 2013 को सजा सुनायी थी.

इस मामले में भी अदालत ने लालू को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी, 420, 409, 469, 468, 471, 477ए तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13:2: एवं 13 :1: डी के तहत ही दोषी करार देते हुए पांच वर्ष कैद तथा 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी थी. वर्ष 2013 में अदालत ने लालू प्रसाद को भारतीय दंड संहिता की धारा 409 में अतिरिक्त दोषी ठहराया था जो सरकारी कर्मचारी पर आपराधिक विश्वासघात के लिए लगाया जाता है. लालू को अब उच्च न्यायालय में अपील के दौरान आदतन अपराधी के आरोप का भी सामना करना पड़ेगा.

लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल पांच मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे जिनमें चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें तथा जगन्नाथ मिश्रा को 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराये जाने के बाद तीन अक्तूबर को क्रमश: पांच वर्ष कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने एवं चार वर्ष कैद की सजा सुनायी जा चुकी है. लालू प्रसाद यादव के खिलाफ चारा घोटाले में यह दूसरा ऐसा मामला है जिसमें आज सजा सुनायी गयी है.

इन मामले में सुनवाई अंतिम दौर में
इसके अलावा उनके खिलाफ रांची में डोरंडा कोषागार से 184 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी से जुड़ा आरसी 47बटा 96, दुमका कोषागार से तीन करोड़ 97 लाख रुपये निकासी का आरसी 38 बटा 96 एवं चाईबासा कोषागार से अवैध रुप से 36 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा आरसी 68बटा 96 के मुकदमे अभी चल रहे हैं, जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है. ऐसे में लालू की परेशानियां अभी कम होने की स्थिति नहीं दिख रही है.

लालू अभी 11 साल नहीं लड़ सकते हैं चुनाव
लालू प्रसाद को चारा घोटाले के चर्चित मामले आरसी 20/96 में पहली बार 3 अक्टूबर 2013 को सजा मिली थी. उन्हें पांच साल के लिए सजा मिली और 11 साल के लिए चुनाव लड़ने से उन्हें अयोग्य माना गया था. लालू प्रसाद पर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था. जुर्माना नहीं भरने पर छह माह अतिरिक्त सजा काटने का आदेश दिया गया था. चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ की फर्जी निकासी से संबधित मामले में उन्हें उक्त सजा मिली थी. इस मामले में उन्हें 30 सितंबर 2013 को दोषी करार देकर जेल भेजा गया था. कानूनविदों का कहना है कि इस बारशनिवार को कोर्ट द्वारा सुनायी गयी सजा के बाद राजद प्रमुख के चुनाव लड़ने को लेकर अयोग्य होने की अवधि और साढ़े तीन साल तक बढ़ सकती है. उनका यह भी कहना है कि वैसे इस बाबत निश्चित रूप से फैसले की प्रति देखकर ही कुछ कहा जा सकता है.

ये हैं लालू की सियासी ताकत

राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजदसुप्रीमो लालू प्रसाद की सियासी ताकत सामाजिक समीकरण है. यादव और मुस्लिम वोटों पर राजद की मजबूत पकड़ मानी जाती है. बताया जा रहा है कि लालू प्रसाद के जेल में होने से सबसे ज्यादा प्रभाव यादव मतदाताओं पर पड़ेगाऔर वह पूरी तरह गोलबंद हो जायेगा. वहीं, मुस्लिम मतदाताओं में विकल्पहीनता के कारण थोड़ा बिखराव की स्थिति आ सकती है. ग्लोबल डेवलपर्स एकेडमी केमुताबिक राज्य में यादव मतदाता 14 प्रतिशत एवं मुसलमान मतदाता 16 प्रतिशत हैं. अन्य पिछड़ी जातियों में कुशवाहा जाति के वोट बैंक को गोलबंद करने की कवायद जेल जाने के पूर्व शुरू हो चुकी है. वहीं, अति पिछड़ी जाति मल्लाह, चंद्रवंशी, व धानुक राजनीतिक रूप से मजबूत जातियां हैं. दलित की भी कई उपजातियों का वोट राजद के साथ गोलबंद हो सकता है, उनका लालू के प्रति सहानुभूति है.

कानून सबके लिए बराबर : भाजपा- जदयू
नयी दिल्ली/पटना : चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत द्वारा लालू प्रसाद को सजा सुनाये जाने के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल जदयू ने कहा कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है. वहीं राजद ने कहा कि उसके नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भगवा पार्टी की साजिश के शिकार हुए हैं. उधर, भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि फैसला यह दिखाता है कि कानून सबके लिए बराबर है. हुसैन ने कहा, अदालत ने अपना काम किया है और संदेश यह है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह महत्वपूर्ण क्यों ना हो, अगर देश को लूटता है तो कानून सबके लिए बराबर है. इस फैसले से बिहार के लोगों के साथ न्याय हुआ है क्योंकि उनके धन की लूट हुई थी.

वहीं, जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि अदालत के फैसले से नया राजनीतिक अध्याय शुरू हुआ है और इसका आशय यह है कि नेता किसी तरह के गलत काम से डरेंगे. अदालत के फैसले के महत्व के बारे में पूछे जाने पर त्यागी ने कहा, अब राजद को एकजुट रखना मुश्किल होगा और नेता डरेंगे. उन्होंने कहा, यह लालू जी के नेतृत्व द्वारा शुरू किये गये अध्याय का समापन है, जिसमें भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और कुशासन की राजनीति की जाती थी.

इसी बीच पटना में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान लालू के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि मकर संक्रांति के बाद पार्टी राजद प्रमुख के खिलाफ नीतीश कुमार और भाजपा की साजिश को उजागर करने के लिए लोगों के पास जायेगी. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, लालू भाजपा के खिलाफ अपने रुख से समझौता नहीं करने की कीमत चुका रहे हैं. अगर उन्होंने समझौता कर लिया होता तो उनके विरोधी उनकी तुलना राजा हरिश्चन्द्र से करते. उन्होंने उन आशंकाओं को खारिज किया कि शीर्ष नेता के जेल जाने के बाद पार्टी में बिखराव देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा, हमें जितना परेशान किया जायेगा, लोग उतनी ही मजबूती के साथ हमारे पक्ष में खड़े होंगे. लालू लोगों के दिल में बसते हैं.

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तेजस्वी ने कहा, वह (लालू) जेल में हैं, फिर भी हर आदमी उन्हीं के बारे में बात कर रहा है. बिहार के लोग हमारे साथ हैं और इसी से हमारे विरोधी डरे हुए हैं. बिहार के सत्तारुढ़ जदयू-भाजपा गठबंधन पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा, दोहरे इंजन को बिहार की भलाई के लिए कुछ करने दीजिए। राजद के भविष्य के बारे में ऊर्जा खर्च करने की बजाय उनको अपना घर बचाना चाहिए.

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