बच्चों का शरीर देख कर उम्र तय करते हैं स्कूल
पटना : यदि अपने बच्चे का एडमिशन राजधानी के किसी प्राइवेट स्कूल की प्रवेश कक्षा (नर्सरी / एलकेजी) में कराना है, तो आवेदन फॉर्म के साथ जन्म प्रमाणपत्र देकर ही निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है. बल्कि स्कूलों में होनेवाले इंटरेक्शन के दौरान भी उम्र सीमा के आकलन में बच्चे को पास होना होगा. बच्चे […]
पटना : यदि अपने बच्चे का एडमिशन राजधानी के किसी प्राइवेट स्कूल की प्रवेश कक्षा (नर्सरी / एलकेजी) में कराना है, तो आवेदन फॉर्म के साथ जन्म प्रमाणपत्र देकर ही निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है. बल्कि स्कूलों में होनेवाले इंटरेक्शन के दौरान भी उम्र सीमा के आकलन में बच्चे को पास होना होगा. बच्चे की उम्र को लेकर शक होने पर परेशानी बढ़ सकती है.
स्कूलों की मानें, तो उन्हें सरकारी कार्यालयों से निर्गत जन्म प्रमाणपत्र पर शत-प्रतिशत भरोसा नहीं होता. इसलिए बच्चों को माता-पिता या अभिभावकों के साथ इंटरेक्शन के लिए बुलाते हैं. हालांकि स्कूलों का आकलन भी सही नहीं होता, न ही स्कूल बच्चों की सही उम्रसीमा और न ही उनके प्रमाण पत्रों का सही आंकलन कर पाते हैं. बहरहाल, शहर में प्रवेश कक्षाओं में एडमिशन की प्रक्रिया आरंभ हो गयी है.
शरीर व वजन देखते हैं स्कूल
उम्र की जांच के लिए स्कूल किस विधि या फार्मूले का इस्तेमाल करते हैं, यह पूछने पर कोई जवाब नहीं मिलता. लेकिन यह बताया जाता है कि उनके शरीर, लंबाई, वजन आदि देखा जाता है. साथ ही उससे कुछ सवाल पूछे जाते हैं, जिससे उम्र का अंदाजा लगाया जाता है.
पहले इंटरेक्शन
एक स्कूल की ओर से बताया गया कि एडमिशन के लिए आये आवेदन फॉर्म की स्क्रूटनी के लिए इंटरेक्शन की प्रक्रिया अपनायी जाती है. उसके बाद फॉर्म को लॉटरी में शामिल किया जा सके. जबकि जानकार बताते हैं कि लॉटरी से पूर्व वैसे फॉर्म को ही रद्द किया जा सकता है जिसमें सूचनाएं अपूर्ण हों.
जन्म प्रमाणपत्र में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होती. कभी-कभी गड़बड़ी के मामले प्रकाश में आते भी हैं, तो वेरीफिकेशन में पकड़े जाते हैं. ऐसा शायद ही होता है. हालांकि सत्यापन के लिए स्कूलों की ओर से जन्म प्रमाणपत्र आते हैं, उनमें फर्जी भी निकते हैं, जो यहां के नहीं होते हैं.
डॉ सुधीर, चिकित्सा पदाधिकारी, नगर निगम, पटना