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बिहार : लालू को फेफड़े व हार्ट वॉल्‍व में संक्रमण का खतरा, कोर्ट को दी है जानकारी

राजद सुप्रीमो के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद का दावा, कोर्ट को दी है जानकारी पटना : लालू प्रसाद के वकील चित्तरंजन प्रसाद सिन्हा ने लालू की तरफ से कोर्ट में कहा कि 23 दिसंबर को अारसी 64(ए)/96 केस में लालू दोषी करार दिये गये हैं. पर यह बताना प्रासंगिक होगा कि 79 वर्षीय लालू प्रसाद के […]

राजद सुप्रीमो के अधिवक्ता चितरंजन प्रसाद का दावा, कोर्ट को दी है जानकारी
पटना : लालू प्रसाद के वकील चित्तरंजन प्रसाद सिन्हा ने लालू की तरफ से कोर्ट में कहा कि 23 दिसंबर को अारसी 64(ए)/96 केस में लालू दोषी करार दिये गये हैं. पर यह बताना प्रासंगिक होगा कि 79 वर्षीय लालू प्रसाद के साथ स्वास्थ्य संबंधी कई मुद्दे जुड़े हैं.
एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट, मुंबई में उनका अोरोटिक वाल्व रीप्लेसमेंट (एवीआर) हुआ है. अस्पताल के मेडिकल बोर्ड ने लालू को सलाह दी है कि वह स्पायरोमेटरी तथा लंबी श्वांस वाला व्यायाम करें, अपनी दांतों सहित शारीरिक स्वच्छता पर ध्यान दें. दवाई के साथ-साथ अपने लिपिड प्रोफाइल व ब्लड शूगर की रेगुलर जांच कराएं. यह भी कहा गया है कि एवीआर के मरीज का पूरा ख्याल नहीं रखा गया, तो लालू को जख्म, फेफड़े, ब्लाडर व हार्ट वाल्व में संक्रमण (इंफेक्शन) सहित उच्च रक्त स्राव (इससे दूसरे अॉपरेशन की जरूरत भी पड़ सकती है), खून जमने, ट्रांजियेंट इस्केमिक अटैक, दिल की अनियमित धड़कन तथाकिडनी संबंधी समस्या होने का भारी खतरा है.
लालू प्रसाद का मधुमेह संबंधी इलाज भी चलता है. उन्हें सलाह दी गयी है कि वह अपने खून की जांच नियमित रूप से करायें. उन्हें चल रही अलग-अलग तरह की 18 दवाइयों के अलावा संतुलित अाहार लेना है और व्यायाम करना है. अधिवक्ता श्री सिन्हा ने यह भी कहा कि ब्लड शूगर का स्तर बढ़ने से रक्त धमनियों व छोटे ब्लड वेसेल, पैरों, अांख की त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है. इससे हार्ट अटैक का भी खतरा है. लालू की पहले हुई रक्त जांच की रिपोर्ट के अनुसार उनका क्रेटिनाइन लेवल, एचबीए1सी-डीसीसीटी, ग्लूकोज रैंडम तथा ई-एजी बढ़ा हुअा है.
अधिवक्ता ने कहा कि लालू प्रसाद को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हैं. यदि पर्याप्त सावधानी न बरती जाये, तो वह ठीक नहीं रह सकते. अभी भी वह ठीक नहीं है. उन्हें वाटर रिटेंशन की समस्या है, जो किडनी को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है. अधिवक्ता श्री सिन्हा ने कहा कि बिरसा मुंडा कारा तथा झारखंड में सुपर मेडिकल फैसिलिटी व संरचना कहीं नहीं है. ऐसे में यदि आरोपी के साथ कोई असंगत बात होती है, तो उन्हें पूरी व पर्याप्त मेडिकल सुविधा नहीं मिल सकेगी.
चोर होता तो जेल में नहीं, भाजपा में होता
बहुचर्चित चारा घोटाला के एक मामले में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद भले ही जेल में बंद हैं, लेकिन उनके ट्विटर से भाजपा पर लगातार निशाना साधा जा रहा है. लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल से सोमवार को एक ट्वीट में भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा गया कि लालू चोर होता तो जेल में नहीं, भाजपा में होता. इसके अलावा लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल पर राजस्थान के नेता डॉ किरोड़ीमल मीणा के उस ट्वीट को रिट्वीट किया गया था जिसमें अपने हुंकार महारैली में उन्होंने कहा था कि लालू प्रसाद पर जातीय अमानवीयता हुई है. इस पर लालू प्रसाद ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि मेहनतकश किसानी कौम को जागरूक करने की जरूरत है.
– ट्वीट की गयी कविता
लालू चोर होता तो जेल नहीं बीजेपी में होता
झूठ अगर शोर करेगा, तो लालू भी पुरजोर लड़ेगा
मर्जी जितने षड्यंत्र रचो,लालू तो जीत की ओर बढ़ेगा
अब, इंकार करो चाहे अपनी रजा दो
साजिशों के अंबार लगा दो
जनता की लड़ाई लड़ते हुए
लालू तो बोलेगा चाहे जो सजा दो
लालू की सुरक्षा कैटेगरी नहीं हटेगी
– सिर्फ हट सकता है सुरक्षा घेरा
पटना : चारा घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को रांची स्थित सीबीआई कोर्ट ने साढ़े तीन साल जेल की सजा सुनाई है. सजा का ऐलान होने के बाद उनके ‘जेड’ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. लालू प्रसाद का नाम जेड श्रेणी की सुरक्षा घेरे वाले वीवीआइपी की लिस्ट से नहीं कटेगा.
बल्कि, उन्हें हमेशा घेरे रखने वाले सीआरपीएफ के जवानों का सुरक्षा घेरा हटाया जा सकता है. लालू प्रसाद को बेल नहीं मिलने के बाद मौजूदा हालात के अनुसार वह सजायफ्ता हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा में तैनात किये गये सीआरपीएफ के जवानों को हटाया जा सकता है. जब वह जेल से बाहर आ जायेंगे, तो उनकी सुरक्षा में फिर से इन जवानों को तैनात किया जा सकता है.
जब लालू प्रसाद ही नहीं है, तो आखिर ये जवान किनकी सुरक्षा करेंगे. यह महत्वपूर्ण मुद्दे के आधार पर ही फैसला लिया जा सकता है. वर्तमान में लालू की सुरक्षा में करीब 34 सीआरपीएफ के जवान तैनात हैं. हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई और न ही कोई आदेश जारी किया गया है. परंतु प्राप्त सूचना के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के गृह विभाग से लालू की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अपडेट रिपोर्ट मांगी है. इस रिपोर्ट में मंत्रालय ने यह भी पूछा है कि आखिर यहां से रांची तक उनके सभी सुरक्षा गार्ड्स साथ कैसे जाते हैं.
लालू प्रसाद को जो जेड सुरक्षा प्रदान की गयी है, वह केंद्रीय स्तर से ही मिला है. इससे उन्हें जेड सुरक्षा हटाने से जुड़ा फैसला भी केंद्र को ही अंतिम रूप से लेना है. राज्य के स्तर पर इससे संबंधित रिपोर्ट मांगी गयी है. इस आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी.
जानकारी के अनुसार, चूकिं लालू प्रसाद को ही सिर्फ जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. ऐसे में उनके जेल चले जाने के बाद सुरक्षा कर्मियों की तैनाती किनके इर्द-गिर्द होगी. या, उनके घर पर बेवजह तैनात रखने का मतलब नहीं बनता है. क्योंकि उनके परिवार का कोई सदस्य इस जेड श्रेणी की सुरक्षा के अधीन नहीं आता है. उनकी बेल कितने दिनों में होगी, इसका भी फिलहाल कोई निश्चित समय नहीं है. ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात करके रखने का कोई ठोस कारण नहीं बनता है.
सुरक्षा घेरा हटा
राजद प्रमुख की तरह ही एक मामला सीवान के भाजपा नेता जितेंद्र स्वामी की भी है. उन्हें भी वाय श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था मिली हुई है. परंतु एक मामले में उन्हें सजा होने के बाद उनकी वाय श्रेणी नहीं हटायी गयी है. सिर्फ सुरक्षा घेरा हटा लिया गया है. बीच में एक बार जब वह पेरॉल पर बाहर आये थे, तो उन्हें वाय श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गयी थी.
पहले ही कटौती हो चुकी
लालू प्रसाद को पहले ‘जेड प्लस’ की सुरक्षा व्यवस्था एनएसजी के कमांडों घेरे के साथ थी. नवंबर 2017 में एनएसजी कमांडों घेरा हटाते हुए इसे जेड श्रेणी में तब्दील कर दी गयी थी.

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