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15 साल से विकास की आस, हाल हो रहा और बेहाल

अनदेखी या अभिशाप. नहीं मिला पीने को पानी, एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं, यह कैसा शहर पटना : इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि राजधानी का नंबर एक वार्ड में अदद एक सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है. बरसात की बात कौन करे जाड़े में भी सड़कों पर जल जमाव हो रहा है. पता ही नहीं […]

अनदेखी या अभिशाप. नहीं मिला पीने को पानी, एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं, यह कैसा शहर
पटना : इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि राजधानी का नंबर एक वार्ड में अदद एक सार्वजनिक शौचालय तक नहीं है. बरसात की बात कौन करे जाड़े में भी सड़कों पर जल जमाव हो रहा है.
पता ही नहीं चलता कि सड़कों पर गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क. गलियां इतनी संकरी है कि दो वाहनों का एक साथ चलना तो दूर, आम आदमी का ठीक से चलना संभव नहीं हो पाता है. एक दो मुख्य सड़कों पर कुछ एक जगह यूरिनल बने हुए हैं, लेकिन फिलहाल इसमें इतनी गंदगी है कि कोई भी आम आदमी इसका उपयोग नहीं सकता. जहां तक पीने के पानी की बात है, अभी इस वार्ड में पाइप लाइन तक नहीं बिछी है.
15 वर्ष पहले निगम में हुए थे शामिल, अब तक नहीं बदले हालात : दीघा के निराला नगर, घुशुक टोला, जमाखारी, दुर्गा टोला, पाटीपुर, फ्लावर मील, लक्ष्मी टोला, पोस्ट ऑफिस, गणेश लाल रोड, शांति बिहार कॉलोनी, हरिजन टोला, माइका कॉलोनी सहित इन दर्जनों मुहल्लों को नगर निगम में 15 वर्ष पहले नगर निगम में शामिल किया गया था. इस दौरान ये पूरा इलाका देश के सबसे बड़े पंचायत के रूप में जाना जाता है.
वर्ष 2012 में जेनुआएम के तहत पेयजल की सप्लाई की योजना बनी थी, लेकिन काम नहीं हुआ. इसके अलावा पूरे क्षेत्र में अभी तक पेय जल की योजना नहीं है. मात्र चार समरसेबल व 17 चांपाकल से दो लाख की जनसंख्या को पानी दिया जाता है. अधिकांश घरों में अपने पर आश्रित होना पड़ता है.
पानी निकासी की व्यवस्था नहीं
पूरे क्षेत्र में पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है. सीवरेज व ड्रेनेज के लिए कोई सेंट्रल सिस्टम नहीं बनाया गया है. घरों सेनिकलने वाला पानी खाली प्लाट में गिरता है. इसके अलावा खाली जगह व गड्ढों में पानी गिरता है. बरसात के दिनों में पूरा इलाका
पानी में जल मग्न हो जाता है. इसके अलावा गंगा में बाढ़ के दौरान इसमें पानी भी भर जाता है. 15 वर्षों में नगर निगम ने कोई व्यवस्था नहीं की.
दीघा का वार्ड एक का क्षेत्र लगभग गंगा के किनारे पड़ता है. इस क्षेत्र में चार बड़े घाट पाटीपुर घाट, शिवा घाट, मीनार घाट,पोस्ट ऑफिस घाट व बिंद टोली घाट पड़ता है. फिलहाल जेपी सेतु बन जाने से इन घाटों की सुंदरता बढ़ गयी है. रात के समय सड़क की लाइट से पूरा घाट रोशन हो जाता है. मगर इलाका ओडीएफ नहीं होने से लोगों को गंदगी को लेकर काफी परेशानी होती है.
वर्तमान समय में घाटों का पाट काफी चौड़ा है, लेकिन सुबह शाम लोग इसका प्रयोग शौच के लिए करते हैं. निगम की ओर से इस पर ध्यान नहीं देने के कारण यहां काफी गंदगी रहती है.
– अभी तक एक भी सार्वजनिक शौचालय
नहीं: अभी तक नगर निगम ने एक भी सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं
कराया है. इस क्षेत्र में लगभग दो लाख की जनसंख्या निवास करती है. गंगा के दीयारा क्षेत्र से लोग यहां आते रहते हैं. चार सौ से अधिक लोग गरीबी रेखा से नीचे निवास करने वाले हैं, मगर बावजूद इसके निगम ने सार्वजनिक प्रशासन की कोई व्यवस्था नहीं की है. तीन सौ परिवार को निगम की ओर से व्यक्तिगत शौचालय का निर्माण किया जाना है, लेकिन अभी तक एक भी निर्माण नहीं किया जा सका है.

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