15 जनवरी को स्नान के बाद करें यह काम, मिलेगा पूरे परिवार को विशेष फल, पढ़ें

पटना : कहते हैं कि परंपरा और पर्व को मनाने का संस्कार भी दैवीय अनुभूति दे जाता है. मकर संक्रांति को भी लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं. मकर संक्रांति के दिन सही वक्त और सही समय पर किया गया दान, स्नान और पूजा जातकों को काफी लाभ प्रदान करता है. बिहार-झारखंड के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 10, 2018 2:44 PM

पटना : कहते हैं कि परंपरा और पर्व को मनाने का संस्कार भी दैवीय अनुभूति दे जाता है. मकर संक्रांति को भी लोग श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं. मकर संक्रांति के दिन सही वक्त और सही समय पर किया गया दान, स्नान और पूजा जातकों को काफी लाभ प्रदान करता है. बिहार-झारखंड के प्रसिद्ध ज्योतिषविद् डॉ. श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं कि मकर संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है. इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है. सामान्यतया सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायक है. यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है. मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है. प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होती है.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष 15 जनवरी को है. यह पर्व ही स्नान एवं दान का है. 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में रात्रि 9 बज कर 17 मिनट पर प्रवेश करेंगे रात्रि में संक्रांति के पुण्य काल का स्नान नहीं होता इस कारण 15 जनवरी सूर्योदय को स्नान के बाद मकर संक्रांति खिचड़ी का पवित्र पर्व का विशेष पुण्य काल रहेगा. इस दौरान जातक स्नान दान का लाभ ले सकते हैं. पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्मा, विष्णु, महेश,गणेश, आद्यशक्ति और सूर्य की आराधना एवं उपासना का पावन व्रत है. यह तन-मन-आत्मा को शक्ति प्रदान करता है. इसके प्रभाव से प्राणी की आत्मा शुद्ध होती है. पं श्रीपति त्रिपाठी कहते हैं शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है. इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है. ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़ कर पुन: प्राप्त होता है. इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है.

मकर संक्रांति को स्नान और दान का पर्व भी कहा जाता है. इस दिन तीर्थों एवं पवित्र नदियों में स्नान का बेहद महत्व है साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल एवं राशि अनुसार दान करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है. ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन किए गए दान से सूर्य देवत प्रसन्न होते हैं. विशेष रूप से गुड़ और घी के साथ खिचड़ी खाने का महत्व है. इसके अलावा तिल और गुड़का भी मकर संक्रांति पर बेहद महत्व है. मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा स्नान एवं गंगा तट पर दान को अत्यंत शुभ माना गया है. इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महा स्नान की संज्ञा दी गयी है. सामान्यतया सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किंतु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है. यह प्रवेश छह माह के अंतराल पर होती है. भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है. मकर संक्रांति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है.

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