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बिहार : बिस्तर न रजाई, इनकी रात खुले आसमान के नीचे कटती है भाई
पटना : पटना में शीतलहर कुछ इस कदर बह रही है कि देर शाम होते ही लोग रजाइयों पर दुबक जाते हैं. देर सुबह ही अपने घरों से निकलते हैं. इस परिदृश्य से परे शहर में एक आबादी ऐसी भी है, जो खुले आसमां तले रात गुजारती है. इनके पास न तो गर्म रजाई-गद्दे होते […]
पटना : पटना में शीतलहर कुछ इस कदर बह रही है कि देर शाम होते ही लोग रजाइयों पर दुबक जाते हैं. देर सुबह ही अपने घरों से निकलते हैं. इस परिदृश्य से परे शहर में एक आबादी ऐसी भी है, जो खुले आसमां तले रात गुजारती है. इनके पास न तो गर्म रजाई-गद्दे होते हैं और न कोई छत. ओस, शीतलहर,कोहरा सब कुछ इन्हें झेलना पड़ता है़ दरअसल ये उनकी बेबसी है़ राजधानी में आवास महंगे हैं़ इसलिए रिक्शा चलानेवाले व तमाम मजदूर, जिसमें महिलाएं भी शामिल होती हैं, फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं.
इन्हें रजाई मयस्सर नहीं है. इसलिए प्लास्टिक ओढ़ कर ये किसी तरह रात काटते हैं. ठंडी हवा तो रुक जाती है, लेकिन सड़क की सतह इन्हें सोने नहीं देती. इसलिए अधिकतर समय बैठ कर काट देते हैं. कुछ लोग तो रिक्शों के नीचे तक सो जाते हैं.
गांव से मजदूरी की आस में आये लोग अक्सर यहां फुटपाथ पर साेते देखे जा सकते हैं. कंबल और नाम मात्र के कुछ कपड़ों में ढके लोगों की रात कैसे कटती होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
फ्रेजर रोड
यहां लोग बस स्टॉपेज पर लोहे की बेंचों पर सो जाते हैं. हालांकि ठंड से बचने के लिए कुछ चादरें और प्लास्टिक ही पास होते हैं. इनकम टैक्स चौराहा पर भी लोग फुटपाथ और दूसरी पास की जगहों में खुले में सोते देखे जा सकते हैं.
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