आपके जीवन को असीम ऊर्जा से भर देंगे स्वामी विवेकानंद के यह 31 अनमोल विचार, पढ़ें

पटना : आज 12 जनवरी है. स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है, जिसे युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वह एक वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनके विचार आज भी युवाओं में असीम ऊर्जा का संचार करते हैं. पूरे विश्व में उनके विचारों पर गहन मंथन और शोध चल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2018 10:59 AM

पटना : आज 12 जनवरी है. स्वामी विवेकानंद की आज जयंती है, जिसे युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. वह एक वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे. उनके विचार आज भी युवाओं में असीम ऊर्जा का संचार करते हैं. पूरे विश्व में उनके विचारों पर गहन मंथन और शोध चल रहा है. स्वामी जी के विचारों से अवगत होना युवा पीढ़ी के लिए एक तोहफे की तरह है. उन्होंने 1893 में अमेरिका स्थित शिकागो के विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था. उनके कुछ ऐसे अनमोल विचार हैं, जिनके बारे में जानकर आप अपने जीवन को पूरी तरह बदल सकते हैं.

-उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक लक्ष्य न प्राप्त हो जाये.

-उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है, तुम तत्व के सेवक नहीं हो.

– ब्रह्मांड कि सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हमीं हैं, जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है!

– जिस तरह से विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न धाराएं अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार मनुष्य द्वारा चुना हर मार्ग,चाहे अच्छा हो या बुरा भगवान तक जाता है.

– किसी की निंदा ना करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढ़ाएं.अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये.

– कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है. ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है.अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल हैं.

-अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है,अन्यथा, यह सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है.

– जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिए, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है.

– उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.

-हम वो हैं, जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.

– जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पे विश्वास नहीं कर सकते.

-सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.

– विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.

– जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये–आप यकीन कर सकते है की आप गलत रास्ते पर सफर कर रहे है.

– यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दूसरों के लिए जीते है, वे वास्तव में जीते है.

– एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.

– भगवान की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए, इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़ कर.

-यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढ़ाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता.

– हम जितना ज्यादा बाहर जाएं और दूसरों का भला करें, हमारा हृदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमें बसेंगे.

– बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है.

– जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रूपी मंदिर में विराजमान हैं , जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा–उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त हूं , हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी, और मैं स्वतंत्र हूं.

– वेदान्त कोई पाप नहीं जानता, वो केवल त्रुटी जानता है. और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो, तुम पापी हो, एक तुच्छ प्राणी हो, और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये वो नहीं कर सकते.

– जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है.

– भला हम भगवान को खोजने कहां जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते.

– तुम्हें अंदर से बाहर की तरफ विकसित होना है. कोई तुम्हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है.

– पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है.

– दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो.

– किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं.

– स्वतंत्र होने का साहस करो. जहां तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो, और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो.

– किसी चीज से डरो मत. तुम अद्भुत काम करोगे. यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है.

-प्रेम विस्तार है,स्वार्थ संकुचन है. इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है. वह जो प्रेम करता है जीता है, वह जो स्वार्थी है मर रहा है. इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है,वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो.

यह भी पढ़ें-
बिहार : नवादा संत कुटीर आश्रम में 3 साध्वियों से रेप, सूबे में मचा हड़कंप

Next Article

Exit mobile version