बिहार : ….अब कर चोरी कर छिपना मुश्किल, दूसरे विभागों में जमा प्रपत्र खोलेंगे राज

बैंकों, डाकघरों और नगर निकायों से उनका असली ठिकाना ढूंढ निकालेंगे अधिकारी पटना : कर चोरी कर लापता होने वालों का पता पाना अब आयकर विभाग के लिए आसान होगा. इसमें दूसरे विभागों के दस्तावेज मदद करेंगे. जी हां, आयकर से बचने के लिए गलत पता देने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है. नयी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2018 6:52 AM
बैंकों, डाकघरों और नगर निकायों से उनका असली ठिकाना ढूंढ निकालेंगे अधिकारी
पटना : कर चोरी कर लापता होने वालों का पता पाना अब आयकर विभाग के लिए आसान होगा. इसमें दूसरे विभागों के दस्तावेज मदद करेंगे. जी हां, आयकर से बचने के लिए गलत पता देने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है.
नयी व्यवस्था में अब आयकर अधिकारी बैंकों, डाकघरों और नगर निकायों से उनका असली ठिकाना ढूंढ निकालेंगे. नियमों में बदलाव के बाद ‘छिपे’ और ‘फरार’ आयकर डिफॉल्टरों के मामले में अफसरों को अधिकार मिल गये हैं. इसमें बड़ा काम आधार नंबर भी करेगा. कई बार ऐसा होता है कि आयकर विभाग में रिटर्न दाखिल करने के बाद करदाता लापता हो जाता है. बाद में वह कर नहीं चुकाता. ऐसे लोगों को विभाग नॉन फाइलर में शुमार कर लेता है. साथ ही ऐसे मामले भी होते हैं, जिनमें आयकर नहीं चुकाने के लिए पता ही बदल लेते हैं. ये डिफॉल्टर की सूची में आते हैं.
नोटिस व समन जारी करने की तैयारी में आयकर
नियमों में बदलाव के बाद आयकर विभाग नोटिस व समन जारी करने की तैयारी में जुट गया है. लापता बकायेदारों से वसूली के लिए निकायों के डाटाबेस से भी उनके पते हासिल किये जायेंगे. अफसर बैंक, डाकघर, बीमा कंपनी, कृषि आय के रिटर्न और वित्तीय लेन-देन का ब्योरा एकत्रित करने की तैयारियों में जुट गये हैं. पहले केस को पता न मिलने पर एक्स पार्टी घोषित कर दिया जाता था, मगर अब ऐसा नहीं होगा. पैन कार्ड व आइटीआर के पते को ही सही माना जायेगा. इनके पते पर पहुंचे नोटिस को चाहे वह रिसीव हो या नहीं उसे तामील मान लिया जायेगा और डिफॉल्टर व्यक्ति को ढूंढने का प्रयास होगा.
सीबीडीटी ने किया है नियम में बदलाव
आयकर विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अब तक फरार आयकर डिफॉल्टरों और करदाताओं को उनके पैन या आयकर रिटर्न (आईटीआर) में दिये गये पते पर ही नोटिस जारी कर सकते थे. इस नियम में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने फेरबदल किया है.
बैंक, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत, पोस्ट ऑफिस, एलआईसी सहित अन्य सेक्टर जहां से डिफाॅल्टर के पते हासिल हो सकते हैं, वहां से आयकर विभाग इन्हें प्राप्त करने का प्रयास करेगा.

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