बिहार : टाल में दलहनी फसलों के लिए संजीवनी बनी शीतलहर…जानें कैसे
-बंटी कुमार- मोकामा : मोकामा टाल इलाके में दलहनी फसलों के लिए शीतलहर संजीवनी बन गयी है. यदि दलहनी पौधों के ग्रोथ की यही स्थिति रही तो इस बार अच्छी उपज की संभावना है. हालांकि, शीतलहर के प्रकोप से आलू की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन टाल इलाके में सर्वाधिक खेती दलहन की होती […]
-बंटी कुमार-
मोकामा : मोकामा टाल इलाके में दलहनी फसलों के लिए शीतलहर संजीवनी बन गयी है. यदि दलहनी पौधों के ग्रोथ की यही स्थिति रही तो इस बार अच्छी उपज की संभावना है. हालांकि, शीतलहर के प्रकोप से आलू की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन टाल इलाके में सर्वाधिक खेती दलहन की होती है.
इसको लेकर टाल की खेती पर शीतलहर का सकारात्मक प्रभाव ही माना जा रहा है. किसानों ने काफी मुश्किल से दलहन की बुआई की थी. इसी बीच 11 अक्तूबर को घनघोर बारिश हुई. वहीं, खेतों में डाले गये बीज अत्यधिक नमी मेें नष्ट हो गये थे. इसके बावजूद हिम्मत जुटा कर किसानों ने दोबारा दलहन की बुआई की थी, लेकिन बाद में अनुकूल मौसम दलहन के लिए वरदान साबित हुई.
शीतलहर से कीट का प्रकोप थम गया. वहीं, शिशु पौधे ने तेजी से ग्रोथ किया. किसान सलाहकार संदीप कुमार ने जानकारी दी कि मटर की फसल को शीतलहर से थोड़ा नुकसान हुआ है, जबकि मसूर व चना की फसलें बेहतर हैं. इधर, पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक डॉ एनएन मल्लिक ने कहा कि टाल में दलहन की फसल पर शीतलहर का प्रतिकुल प्रभाव नहीं पड़ा.
ठंड से रबी फसलों की बुआई में आयी तेजी
पटना : ठंड से रबी फसलों की बुआई में तेजी आयी है. गेहूं की बुआई लक्ष्य के करीब पहुंच गयी है. 23.25 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है, जिसमें अब तक 22.50 लाख हेक्टेयर से अधिक में बुआई हो चुकी है. मक्का की तो लक्ष्य से अधिक बुआई हुई है.
करीब 35 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती का लक्ष्य कृषि विभाग ने तय किया है. शुरुआत में ठंड कम पड़ रही थी. इससे बुआई की गति काफी धीमी थी,लेकिन जैसे ही ठंड बढ़ी किसानों के चेहरे खिल गये.
क्या कहते हैं किसान
सितंबर के अंतिम सप्ताह में लगी फसलों को शीतलहर से नुकसान पहुंचा है, लेकिन अधिकतर खेतों में अक्तूबर के अंत में दहलन की दोबारा बुआई की गयी थी. वह फसल काफी बेहतर है.
अनिल सिंह, बरहपुर ,मोकामा
शीतलहर से दलहनी फसलों में लग रहे फूल नष्ट हो गये. इससे मटर की फसल प्रभावित हुई, जबकि मसूर व चना की फसलें काफी अच्छी हैं. दलहन की खेती से किसानों को काफी उम्मीद जगी है.
बबन सिंह, सकरवार टोला, मोकामा
टाल के निचले इलाकों मेंं देरी से बुआई शुरू हुई थी. इसको लेकर पौधों का विकास संभव नहीं था, लेकिन शीतलहर से पौधे तेजी से विकसित हुए. अब शीतलहर जारी रहा, तो फसलों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
मुनचुन सिंह, शिवनार, मोकामा
शीतलहर से दलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों को भरपूर फायदा हुआ, लेकिन यदि अब शीतलहर जारी रही तो फसल गलका रोग की चपेट में आ जायेंगे. ऐसे में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
लुसी सिंह, मरांची, मोकामा