पटना : बिहार में इन दिनों राजनीतिक दलों और उनके नेताओं द्वारा किसी घटना की चंद नेताओं की टीम बनाकर जांच करने और उसकी रिपोर्ट मीडिया के सामने पेश करने का दौर चल पड़ा है. इसी बहाने सभी दल एक दूसरे पर हमलावर होते हैं और अपनी रिपोर्ट के बहाने राजनीतिक रोटी सेंकने में जुट जाते हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर विकास समीक्षा यात्रा के दौरान हमला हुआ था, जिसकी जांच प्रशासनिक पदाधिकारी कर रहे हैं. हमले के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का ऐसा दौर शुरू हुआ कि सीएम के काफिले पर हुए हमले का मुद्दा गायब हो गया और कई दल और उसके नेता, इस हमले को अपनी पार्टियों द्वारा की जा रही जांच के बहाने भुनाने लगे.
मुख्यमंत्री ने घटना के बाद स्वयं ही स्वीकार किया था कि मेरी विकास और आम लोगों की प्रतिबद्धता से कुछ लोगों को समस्या है, इसलिए इस तरह की घटना को अंजाम दिलवाया गया. वहीं दूसरी ओर इस घटना के बाद जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह ने बयान दे दिया कि इसके पीछे राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मिलीभगत है. फिर क्या था, हमले को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया. सभी पार्टियों ने इस घटना को सियासी रंग दिया और टीम बनाकर नंदन गांव पहुंच गयीं और अपने हिसाब से जांच करने लगीं. सभी पार्टियों ने जांच रिपोर्ट को अपने तरीके से पेश करने की कोशिश शुरू कर दी है. संजय सिंह से भी एक कदम आगे बढ़कर पार्टी के महासचिव संजय झा ने कह दिया कि नीतीश कुमार को राजनीतिक रूप से नहीं हरा सकने वाले लोग अब उन्हें खत्म करने की साजिश कर रहे हैं. जदयू नेताओं के निशाने पर विरोधी दल राजद है और उसके नेता तेजस्वी यादव. घटना के बाद राजद की टीम पूर्व कला संस्कृति मंत्री शिवचंद्र राम की अध्यक्षता में नंदन गांव घटना की जांच के लिए पहुंची. साथ में बक्सर संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद जगतानंद भी पहुंचे. पार्टी नेताओं ने अपनी रिपोर्ट प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को सौंप दी है.
राजद नेशुक्रवारको अपनी जांच रिपोर्ट को मीडिया के सामने रखा और कहाकि राजद पर झूठा इल्जाम लगाया जा रहा है. तेजस्वी यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नीतीश कुमार को खुद की नीति, विचार और सिद्धांत पर विचार करना और सोचना चाहिए कि आखिर वह जहां कही भी समीक्षा यात्रा में जाते हैं, तो विरोध क्यों शुरू हो जाता है. राजद ने यहां तक दावा किया कि अगर हमलोग इस मामले में जिम्मेदार हैं, तो सरकार कार्रवाई करे. हमले के बाद कांग्रेस भी हरकत में आयी और राजद से अलग जाकर एक कमेटी बनायी और घटना की जांच करायी. हालांकि, यह बात अलग है कि कांग्रेस के जांच कमेटी के बार में जिले के एकमात्र विधायक को भी कोई सूचना नहीं मिली. कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष तेजस्वी की बात को समर्थन देकर सियासी हवा तेज करनेमें लगे रहे. उनका कहनाथा कि नंदन गांव में गरीबों को प्रताड़ित किया जा रहा है और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जो बिल्कुल निर्दोष हैं. कुल मिलाकर राजद और कांग्रेस की ओर से प्रशासन द्वारा गरीबों और दलितों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया जा रहा है.
लगे हाथ हिंदुस्तानी आवास मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी एक टीम बनाकर बक्सर जांच के लिए भेज दी. मांझी ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि यह सीएम के हत्या की साजिश थी. उन्होंने नीतीश के काफिले पर हमले के कारण में खुफिया विभाग की विफलता को भी बताया. एनडीए में शामिल लोजपा ने भी अपने स्तर से जांच की लेकिन पार्टी नेताओं ने जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है. लोजपा नेता सुनील पांडेय ने मीडिया से अपनी जांच की जगह प्रशासनिक रिपोर्ट के सामने आने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं. राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद दत्त कहते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश को जेड प्लस की सुरक्षा देकर एक तरह भाजपा ने भी अपनी राजनीतिक इच्छा पूरी कर ली. उधर, दलितों पर हुए हमले के नाम पर मांझी ने अपनी टीम भेजकर सियासत को साध लिया. उन्होंने कहा कि पूरी घटना को पार्टियों और नेताओं ने अपने-अपने हिसाब से देखा.
गौरतलब हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर 12 जनवरी को समीक्षा यात्रा के दौरान पथराव किया गया था. गांव के स्थानीय ग्रामीणों और कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा यह एक हिंसक हमला किया गया था. वह अपनी विकास समीक्षा यात्रा के दौरान नंदन गांव जा रहे थे. मुख्यमंत्री को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. मुख्यमंत्री ने घटना के बाद कहा था कि लोगों को उकसाने और गुमराह करने की राजनीति में लिप्त लोगों को विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता से दिक्कत है. लेकिन हमें उनकी परवाह नहीं है. उन्होंने वहां जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि राज्य की प्रगति को लेकर मेरी प्रतिबद्धता से कुछ लोग परेशान हैं. वे लोगों को गुमराह करने और उकसाने की कोशिश करते हैं लेकिन लोगों को इस तरह की छोटी चीजों को लेकर व्यग्र नहीं होना चाहिए.
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