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मानव श्रृंखला : सत्ता पक्ष ने सराहा, तो विपक्ष ने दी नसीहत, …पढ़ें किसने क्या कहा

सुशील मोदी बोले, जन जागरूकता से ही सामाजिक कुरीतियों का खात्मा संभव, राजद-कांग्रेस का समर्थन मिलता तो और बेहतर होता पटना : बेहतर होता कि राजद और कांग्रेस भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल होकर अपना समर्थन देते, मगर पिछले साल जो लोग शराबबंदी के पक्ष में मुख्यमंत्री के साथ खड़े थे, […]

सुशील मोदी बोले, जन जागरूकता से ही सामाजिक कुरीतियों का खात्मा संभव, राजद-कांग्रेस का समर्थन मिलता तो और बेहतर होता

पटना : बेहतर होता कि राजद और कांग्रेस भी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मानव श्रृंखला में शामिल होकर अपना समर्थन देते, मगर पिछले साल जो लोग शराबबंदी के पक्ष में मुख्यमंत्री के साथ खड़े थे, वे आज विरोध कर अभियान का मजाक उड़ा रहे हैं. वहीं, पिछले साल विपक्ष में होने के बावजूद भाजपा ने जहां मानव श्रृंखला में हिस्सा लिया था, वहीं शराबबंदी का भी पुरजोर समर्थन किया था.मानव श्रृंखला को सफल बनाने के लिए तमाम बिहारवासियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि दहेज और बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है. इसका खात्मा केवल कानून से संभव नहीं है. 1872 में बंगाल के समाज सुधारक केशवचंद्र सेन के प्रयास से स्पेशल मैरेज एक्ट बना था, जिसके तहत शादी के लिए लड़की की उम्र 14 और लड़के की 18 वर्ष तय की गयी थी. 57 वर्षों के बाद 1929 में शारदा एक्ट के जरिये लड़की और लड़का की शादी की उम्र में बढ़ोतरी कर 18 और 21 वर्ष कर दी गयी. मगर, केवल कानून बना देने मात्र से बाल विवाह पर रोक लग जाती, तो करीब डेढ़ सौ साल पहले बने कानून के बावजूद बिहार जैसे राज्य में आज भी सौ में 39 लड़कियां बाल विवाह का शिकार नहीं होती.बाल विवाह की मूल वजह दहेज प्रथा है. बच्ची की उम्र ज्यादा होने पर दहेज देना पड़ेगा, इसलिए लोग बाल विवाह कर देते हैं. वहीं, बाल विवाह की वजह से ही शिशु मृत्यु और मातृत्व मृत्यु की दर भी आज इतनी अधिक है. सामाजिक कुरीतियों की खात्मा कानून के साथ-साथ ऐसे ही जागरूकता अभियान के जरिये संभव है. कानून दंडित तो कर सकता है, मगर हृदय परिवर्तन नहीं. लेकिन, जब समाज जाग उठता है, तो किसी भी प्रकार का सुधार व बदलाव संभव हो जाता है. सती प्रथा जैसी कुरीति का अंत भी केवल कानून से नहीं, बल्कि सामाजिक जनचेतना से ही संभव हो पायी थी.

मानव शृंखला ने रचा इतिहास : नंदकिशोर

पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि मानव शृंखला ने एक नया इतिहास रचा है. उन दलों और उनके नेता इतिहास के इन पन्नों में अपना नाम दर्ज कराने में पूरी तरह विफल रहे, जो अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय देते हुए शृंखला का विरोध किया और सामाजिक कुरीतियों के पक्षधर बने रहे. राज्य सरकार का यह अभियान आगे भी चलता रहेगा. इसका विरोध करनेवाले लोगों का चेहरा खुद-ब-खुद बेनकाब होता रहेगा.

कुरीतियों के खिलाफ मिसाल बनेगी शृंखला : मंगल पांडेय

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि मानव शृंखला देश के लिए मिसाल है. सरकार और लोगों का प्रयास बाल विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को उखाड़ फेंकने में प्रेरक सिद्ध होगा. ये कुरीतियां सामाजिक अभिशाप हैं. इसे दूर करना हमारी जिम्मेदारी है. तेजस्वी यादव और राजद को नकार कर आम लोगों का ऐतिहासिक मानव श्रृंखला में भाग लेना बताता है कि वे भी भविष्य में अप्रासंगिक हो जायेंगे.

अभूतपूर्व बनी मानव शृंखला : वशिष्ठ

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि मानव शृंखला अभूतपूर्व रही. नीतीश कुमार ने समाज के हर वर्ग को जिस तरह से जोड़ कर एक किया है, वह अनोखा है. वर्तमान में पूरे देश में उनके जैसा दूसरा कोई राजनेता नहीं है. अपने नेता के आह्वान पर बिहार की जनता ने एक बार फिर जैसा उत्साह दिखाया है, उससे मुख्यमंत्री के संकल्प को और बल मिलेगा. ्

दहेज निषेध व बाल विवाह पर कांग्रेस ने बनाये कानून, सिर्फ अमल करने की जरूरत : कौकब कादरी

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने नसीहत देते हुए कहा कि दहेज निषेध व बाल विवाह पर कांग्रेस सरकार ने कानून बनाये. उस कानून पर अमल कराने की जिम्मेवारी सरकार की है. उन्होंने कहा कि सरकार जातिवाद व धर्मवाद के खिलाफ मानव शृंखला क्यों नहीं बनाती. भाजपा नेता बेरोजगारों की मानव शृंखला कब बनवा रहे हैं, इस पर भी उन्हें कुछ बोलना चाहिए.

दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ संकल्प लेने से दूर होंगी कुरीतियां : उपेंद्र कुशवाहा

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सामाजिक कुरीतियों को जड़ से मिटाने के लिए लोगों को संकल्प लेना होगा कि दहेज न लेंगे और न दहेज देंगे. आज समाज में शिक्षा के अभाव के कारण ही दहेज व बाल विवाह जैसी कुरीतियां मौजूद हैं.

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