पटना : बिहार में एक बार फिर सियासी सरगर्मी तेज हो गयी है. गत 12 जनवरी को विकास समीक्षा यात्रा के क्रम में नंदन गांव पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर हमले वाले गांव का दौरा करने पहुंचे राजद नेता तेजस्वी यादव पर गांव वालों ने फूल बरसाये. फिर क्या था, नये सिरे से हमले की घटना को देखा जाने लगा है और एक बार फिर बयानों की राजनीति तेज हो गयी है. नंदन वहीं गांव है, जहां मुख्यमंत्री के काफिले पर पथराव किया गया था. घटना के बाद पुलिसिया कार्रवाई में महादलित परिवार के लोगों को परेशान किया जा रहा है. इसी क्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव उस गांव के आरोपी परिवारों से मिलकर उनका दर्द बांटने पहुंचे थे. जब तेजस्वी पहुंचे, तो वहां के दलित परिवार के लोगों ने तेजस्वी का फूल बरसा कर स्वागत किया. इतना ही नहीं राष्ट्रीय जनता दल ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि जिस नंदन गांव में सीएम पर लोग पत्थर बरसा रहे थे, वहीं तेजस्वी पर फूल बरसा रहे हैं.
बिहार में एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश पर पत्थर बरस रहे है तो वही दूसरी तरफ विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पर फूल। pic.twitter.com/AO704V5IS2
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) January 20, 2018
इधर, उस गांव में पहुंचे तेजस्वी यादव ने जमकर अपनी भड़ास निकाली और बिहार सरकार के साथ केंद्र सरकार पर भी हमला बोला. इतना ही नहीं एक कदम आगे बढ़कर तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार को चेतावनी तक दे डाली. जब तेजस्वी नंदन गांव के बाद कैमूर जिले के आदिवासी बहुल गांव पडरी पहुंचे, तो उन्होंने कहा कि अगर राज्य में दलितों और गरीबों को कुछ हुआ तो वह नीतीश कुमार की सीएम की कुर्सी को चकनाचूर कर देंगे. तेजस्वी ने अपने ट्वीट में कहा कि मैं अभी पडरी गांव पहुंचा हूं. यहां एक आदिवासी को बुरी तरह पीटने के बाद उसके खून से लथपथ शरीर को जिला प्रशासन वाराणसी से लेकर कैमूर तक घुमाता रहा. उसके प्राण लेने के बाद उसके परिवार वालों को पोस्टमार्टम के बहाने बरगलाते रहे और अंत में उनका शव भी नहीं सौंपा. तेजस्वी उन सभी जगहों को टारगेट कर रहे हैं, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का थोड़ा सा भी विरोध हुआ हो. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि तेजस्वी को ऐसा लग रहा है कि यही माकूल वक्त है, लोगों के दिमाग में यह बात डालने का कि यह सरकार उनके लायक नहीं है.
नंदन गांव में देर शाम जब मंच पर जाकर तेजस्वी ने कहा कि आपलोग अभी गुस्से में हैं और इस गुस्से को बनाये रखिये, यह गुस्सा ईवीएम के बटन पर दिखना चाहिए. तेजस्वी का यह बयान साफ दर्शाता है कि नीतीश के काफिले पर हमला अब पूरी तर राजनीतिक रंग ले चुका है. तेजस्वी ने कैमूर में दिये अपने एक बयान में कहा कि नीतीश कुमार ने प्रदेश की क़ानून व्यवस्था का जनाजा निकलवा दिया है. कानून के रखवाले ही बेक़सूर नागरिकों को मार रहे हैं. विगत 20 दिसंबर को कैमूर जिले में आदिवासी समाज के एक निर्दोष ग्रामीण पूर्ण चेरो को पुलिस ने तानाशाही तरीके से उठाकर उसकी निर्मम हत्या कर दी. तेजस्वी ने यह भी कहा कि कुर्सी बाबू को पूरी सुरक्षा के तामझाम के साथ भी दिन में दलितों से मिलने में डर लगता है और मैं रात को भी विकास से दूर इसी गरीब टोले में प्रेम से सबों से बात कर रहा हूं. नीतीश जी ने दिन दहाड़े जनादेश की डकैती की, इसलिए अब दिन दहाड़े मुंह छिपाकर जनता से बचकर भागना पड़ रहा है.
नीतीश कुमार, कान खोलकर सुन ले अगर दलितों और गरीबों को कुछ हुआ तो आपकी कुर्सी को चकनाचूर कर देंगे। pic.twitter.com/wdM6OYrTOC
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 20, 2018
इधर, तेजस्वी पर फूल बरसने की बात और बयान सामने आने के बाद जदयू नेताओं ने राजद पर हमला तेज कर दिया. जदयू ने कहा है कि भाड़े के लोगों से अपने ऊपर फूल बरसाकर तेजस्वी ने ग्रीन कॉरपेट राजनीति की शुरूआत कर दी है. जदयू प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि तेजस्वी की राजनीति का असली चेहरा सामने आ चुका है, क्योकि वह नंदन गांव गये थे, वहां के महादलित परिवारों को सांत्वना देने, मगर वहां पर भाड़े के लोगों से अपने ऊपर फूल बरसवाये. संजय सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि तेजस्वी यादव को बिहार की जनता अनुकंपा के नेता के तौर पर देखती है. जदयू ने कहा कि है तेजस्वी यादव अब नकारात्मक राजनीति करने में नंबर वन हो गये हैं और इनके कथित सलाहकार इन्हें टेबल पॉलिटिक्स में माहिर बना रहे हैं. संजय सिंह ने यह भी बयान दिया कि तेजस्वी राजनीति में अनैतिकता के रोल मॉडल बन चुके हैं. उन्हें अपनी बेनामी संपत्ति बचाने के लिए रोचाना प्रपंच करना पड़ता है. जदयू ने कहा है कि लालू परिवार से जनता ऊब चुकी है और उन्हें जनता को बताना चाहिए कि उन्होंने इतनी अकूत संपत्ति कैसे जमा की.
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