बिहार : राज्यसभा की अपनी सीटों को बचाने की जद्दोजहद में BJP, RJD की बल्ले-बल्ले, JDU को होगा नुकसान

कौशल किशोर @ पटना चुनाव आयोग द्वारा बिहार में राज्यसभा चुनाव कराये जाने की घोषणा से पहले ही बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है.अपने सांसदों की कुर्सी बरकरार रखने की कवायद में भाजपा जुटी है. उसे अपनी दोनों सीटें बरकरार रखने के लिए जहां मशक्कत करनी पड़ सकती है, वहीं राजद की बल्ले-बल्ले है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 23, 2018 3:44 PM

कौशल किशोर @ पटना

चुनाव आयोग द्वारा बिहार में राज्यसभा चुनाव कराये जाने की घोषणा से पहले ही बिहार में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गयी है.अपने सांसदों की कुर्सी बरकरार रखने की कवायद में भाजपा जुटी है. उसे अपनी दोनों सीटें बरकरार रखने के लिए जहां मशक्कत करनी पड़ सकती है, वहीं राजद की बल्ले-बल्ले है. जदयू को नुकसान होता दिख रहा है. जदयू की तीन सीटें खाली हो रही हैं. वहीं, दो सांसद बागी होकर पार्टी से बाहर हो चुके हैं. ऐसे में राज्यसभा में पांच सांसदों को भेजना जदयू के लिए टेढ़ी खीर साबित होगी.

दो अप्रैल, 2018 को बिहार के पांच राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इनमें भाजपा कोटे से धर्मेंद्र प्रधान और रविशंकर प्रसाद की सीटें रिक्त हो रही हैं. जबकि, जदयू कोटे से डॉ महेंद्र प्रसाद, डॉ अनिल कुमार साहनी और वशिष्ठ नारायण सिंह की सीटें रिक्त हो रही हैं. जदयू से बागी हुए अली अनवर भी दो अप्रैल को रिटायर होनेवाले थे. हालांकि, यह सीट राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू द्वारा अयोग्य घोषित कर दिये जाने के बाद से रिक्त है. वहीं, जदयू से बागी हुए शरद यादव को भी राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने अयोग्य करार दिया है. हालांकि, मामला न्यायालय में लंबित होने के कारण चुनाव आयोग अभी इनकी सीट पर चुनाव कराने से पहले अदालत के फैसले का इंतजार कर सकता है.

बिहार विधानसभा सचिव रामश्रेष्ठ राय की नियुक्ति निर्वाचन अधिकारी के रूप में प्रस्तावित किये जाने के बाद से राजनीतिक हलचल बढ़ने लगी है. बिहार विधानसभा का बजट सत्र 26 फरवरी से चार अप्रैल तक होना है. ऐसे में बजट सत्र के मध्य यानी मार्च महीने में ही चुनाव आयोग द्वारा राज्यसभा की खाली हो रही सीटों के लिए चुनाव कराये जाने की उम्मीद की जा रही है.

फायदे मेंमहागठबंधन

राज्यसभा की सीटों के लिए मतदान नियमों के अनुसार, बिहार में एक उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए कम-से-कम 35 विधायकों का मत मिलना जरूरी है. रिक्त हो रही सीटों में राजद और कांग्रेस के सांसद नहीं हैं. लेकिन, आंकड़ों में राजद को फायदा होता दिख रहा है. वहीं, कांग्रेस भी राज्यसभा में बिहार से अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की हरसंभव कोशिश करेगी. वर्तमान में राजद के विधानसभा में 80 सदस्यों में 79 सदस्य (मुंद्रिका सिंह यादव के निधन से एक सीट कम) हैं. इसलिए राजद कोटे में दो सांसद आसानी से जीत दर्ज कर सकते हैं. शेष नौ विधायकों के मतों को वह कांग्रेसी विधायकों के साथ साझा करने में दिलचस्पी दिखायेगा. वहीं, कांग्रेस के 27 विधायक हैं. वह राजद के नौ विधायकों के सहयोग से अपने एक उम्मीदवार को राज्यसभा तक पहुंचाने की कोशिश करेगी. मालूम हो कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के झारखंड स्थित जेल में रहने के बावजूद चहलकदमी बढ़ गयी है. नेताओं का रांची आना-जाना लगातार बना हुआ है. इन्हें मालूम है कि लालू के प्रसाद मिले बिना कुछ नहीं हो सकता.

भाजपा को करनी है राज्यसभा की अपनी सीटें बचाने की मशक्कत

भाजपा और जदयू अपने-अपने प्रत्याशियों को राज्यसभा में भेजने की कवायद में जुटी हैं. जदयू के 71 विधायक होने से वह भी अपने दो सांसद राज्यसभा में आसानी से भेज सकता है. लेकिन, भाजपा के 52 विधायक (आनंद भूषण के निधन से एक सीट कम) होने से केवल एक प्रत्याशी ही आसानी से राज्यसभा पहुंच सकता है. ऐसे में दूसरी सीट बचाने के लिए उसे मशक्कत करनी है. गठबंधन दलों लोजपा के दो विधायक, हिंदुस्तानी आवाम मोरचा के एक और रालोसपा के दो विधायकों के आने से भी आंकड़ा 57 तक पहुंच रहा है. निर्दलीय उम्मीदवारों की चार सीटों को मिलने से यह आंकड़ा 61 तक पहुंच जायेगा. ऐसे में कम-से-कम और नौ विधायक साथ होने चाहिए, ताकि भाजपा राज्यसभा कीअपनी दोनों सीटों को बरकरार रख पाये.

एनडीए के करीब हैं निर्दलीय विधायक

वाल्मीकि नगर से धीरेंद्र प्रसाद सिंह, बोचहां से बेबी कुमारी, मोकामा से अनंत कुमार सिंह, कांटी से अशोक कुमार चौधरी निर्दलीय विधायक हैं. इन विधायकों को साथ मिलाने की होड़ जारी है. रमई राम को हरा कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत दर्ज करनेवाली बेबी कुमारी ने भी रमई राम की तरह सरस्वती पूजा का आयोजन किया. इस मौके पर उनके यहां एनडीए नेताओं का जमावड़ा लगा. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव, नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा, सहकारिता मंत्री राणा रंधीर सिंह, जदयू प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुशवाहा आदि सरस्वती पूजा मनाने पहुंचे. इससे पहले मदर टेरेसा विद्यापीठ में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करते हुए बेबी कुमारी की क्षेत्र में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना की मांग को रालोसपा अध्यक्ष व केंद्रीय मानव विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी मौखिक सहमति दे चुके हैं.

वहीं, वाल्मीकि नगर से विधायक धीरेंद्र प्रसाद सिंह से भी एनडीए नेताओं की नजदीकी बढ़ी है. बीते साल नवंबर माह में बगहा में आयोजित पार्टी स्तर पर हुई एक बैठक में एनडीए नेताओं के साथ धीरेंद्र प्रसाद सिंह शिरकत कर चुके हैं. साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा के दौरान भी वह मंच साझा कर चुके हैं.

मोकामा से विधायक अनंत सिंह का राजद से पुराना टशन रहा है. वह लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों के साथ-साथ उनकी पार्टी पर लगातार हमला करते रहे हैं. लालू प्रसाद यादव का घोड़ा उन्होंने खरीदने के बाद भी उन्होंंने था कि अगर लालू प्रसाद को पता चल जाता, तो वह घोड़ा उन्हें कभी नहीं बेचते. अब वह घोड़ा ‘बादल’ उनकी घुड़साल की शोभा बढ़ा रहा है. पिछले साल जेल से बाहर आनेवाले अनंत सिंह मुख्यमंत्री के करीबी माने-जाते हैं. उन्होंने हाल ही में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर शॉपिंग मॉल हथियाने की भी बात कहते हुए उनके पुत्रों को चुनावी मैदान में उतरने की चुनौती तक दे डाली थी.

आती रही हैं कांग्रेस में टूट की खबरें

बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने के बाद से कांग्रेस में राजद के साथ गठबंधन कायम रखने को लेकर खींचतानदेखने को मिली थी. उस दौरान पार्टी के विधायकों के एक गुटद्वारा कांग्रेस से अलग होकर जदयू का दामन थामने को लेकर चर्चाएं जोरों पर थी.इसीक्रम में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को भी बदल दिया गया. बावजूद गतिरोध के जारी रहने पर पार्टी आलाकमान को भी हस्तक्षेप करना पड़ा, जिसके बाद मामला ठंडा पड़ गया. हाल के दिनों में पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी का जदयू के दही-चूड़ा भोज में शामिल होना या रामचंद्र भारती द्वारा मानव श्रृंखला में भाग लेना, झारखंड स्थित देवघर में पार्टी के कुछ नेताओं की ओर से बैठक करने का मामला होयापार्टी की बैठकों में विधायकोंकी गैरमौजूदगी, ये सभी घटनाएं इस बात संकेत देती है कि कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलहअब भी जारी है,जिसकाफायदाएनडीए उठाना चाहेगी.

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