बिहार : ….अब किसान कॉल सेंटर कर रहा समस्याओं का निदान…जानें कैसे

कृषि विभाग, राज्य सरकार एवं इफको किसान संचार निगम लिमिटेड कर रहा सहयोग पटना : मैं मुंगेर जिले के झिट्टी गांव से अजय सिंह बोल रहा हूं. मैं नवादा के कौआकोल से मोहन कुमार बोल रहा हूं, मेरे चना व आलू की फसल में पाला मार गया है. इसे कैसे ठीक किया जा सकता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2018 5:01 AM
कृषि विभाग, राज्य सरकार एवं इफको किसान संचार निगम लिमिटेड कर रहा सहयोग
पटना : मैं मुंगेर जिले के झिट्टी गांव से अजय सिंह बोल रहा हूं. मैं नवादा के कौआकोल से मोहन कुमार बोल रहा हूं, मेरे चना व आलू की फसल में पाला मार गया है. इसे कैसे ठीक किया जा सकता है. रोजाना सैकड़ों किसान इस तरह का फोन किसान कॉल सेंटर में करते हैं.
सेंटर से किसानों की समस्याओं का निदान किया जाता है. कॉल सेंटर के टॉल फ्री नंबर 18001801551 पर किसान फोन करके कृषि से संबंधित परेशानी से निजात पा सकते हैं या खेती से संबंधित सलाह ले सकते हैं. कृषि विभाग, राज्य सरकार एवं इफको किसान संचार निगम लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में मीठापुर कृृषि फार्म पटना में किसान कॉल सेंटर स्थापित किया गया है. सेंटर के बारे में धीरे-धीरे जानकारी लोगों में बढ़ रही है.
कॉल सेंटर किसानों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है. मीठापुर कॉल सेंटर में अभी 25 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें दो पर्यवेक्षक और अन्य टेली एडवाइजर हैं. सेंटर 24 घंटे 365 दिन काम करता है. सेंटर सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक किसानों की सेवा करता है.
अगर इस दौरान किसान फोन नहीं कर पाते हैं तो रात 10 बजे के बाद और सुबह 6 बजे के पहले अपनी समस्या को 18001801551 पर फोन रिकाॅर्ड भी करा सकते हैं और उनकी समस्या का समाधान कॉल बैक कर किया जाता है.
रोजाना 500 से अधिक आते हैं कॉल
किसान कॉल सेंटर में रोजाना राज्य भर से औसतन 500-600 कॉल आते हैं. अधिकतर किसान फसलों में होनेवाली बीमारी या कब कौन सी फसल लगानी है, इससे संबंधित कॉल करते हैं. किसानों को इससे लाभ भी हो रहा है. कॉल सेंटर से खेती–बाड़ी, पशुपालन, मत्स्यपालन आदि के अलावा केंद्र व राज्य सरकार की खेती-किसानी से संबंधित विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों की जानकारी भी किसानों को दी जाती है.
कॉल सेंटर में रहने वाले पर्यवेक्षक अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाते हैं तो वह संबंधित विभाग के पदाधिकारियों, आईसीएआर, कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को किसानों से कॉन्फ्रेंस करा कर समस्या का समाधान कराते हैं.

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