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बिहार : घाघरा, अजय, लखनदेई व दुर्गावती नदियों में अब नहीं रहता पहले जैसा पानी
पटना : एक समय में घाघरा, अजय, लखनदेई और दुर्गावती नदियों में गर्मी के मौसम में भी पानी की कमी नहीं हुआ करती थी. इनसे हजारों हेक्टेयर इलाके में लगी फसलों की सिंचाई होती थी. साथ ही ये नदियां बड़ी नदियों में मिल जाती थीं, जिससे इन बड़ी नदियों में भी सालोंभर पानी की कमी […]
पटना : एक समय में घाघरा, अजय, लखनदेई और दुर्गावती नदियों में गर्मी के मौसम में भी पानी की कमी नहीं हुआ करती थी. इनसे हजारों हेक्टेयर इलाके में लगी फसलों की सिंचाई होती थी.
साथ ही ये नदियां बड़ी नदियों में मिल जाती थीं, जिससे इन बड़ी नदियों में भी सालोंभर पानी की कमी नहीं होती थी. अब हालात बदल गये हैं. घाघरा, अजय, लखनदेई और दुर्गावती नदियों में केवल बरसात के समय ही अच्छी मात्रा में पानी दिखता है.
अन्य मौसम में पानी की कमी होने से सिंचाई सुविधाओं पर असर पड़ा है. साथ ही इन नदियों में मछलियों सहित जलीय जीवों की संख्या में भी कमी आयी है. घाघरा, अजय, लखनदेई और दुर्गावती नदियों के किनारे रहने वाले लोगों द्वारा गंदगी और कचरा इसमें डालने की वजह से इनमें भी गाद की समस्या दिखती है. इस कारण इनका पानी भी गंदा हुआ और इनके पानी के बहने की तीव्रता में भी कमी आयी है. इसका असर यह दिख रहा है कि जिन बड़ी नदियों में ये मिलकर उनका पानी बढ़ाती थीं अब वहां तक कम पानी पहुंचने लगा है. इससे उन इलाकों में मछलीपालन और खेती में स्थानीय किसानों को अब काफी परेशानी हो रही है. इससे इन्हें जीवनयापन करने में भी अब दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
– घाघरा नदी
घाघरा नदी गंगा नदी की मुख्य सहायक नदी है. यह दक्षिणी तिब्बत के पास हिमालय से निकलकर नेपाल से बहती हुई उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में प्रवेश करती है. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के निकट राप्ती और छोटी गंडक इसमें मिलती हैं.
– लखनदेई नदी
लखनदेई दक्षिणी नेपाल से होकर बिहार के सीतामढ़ी में आती है. यह बागमती की सहायक नदी है. यह सीतामढ़ी शहर से होते हुए मुजफ्फरपुर जिले के कटरा में बागमती नदी में मिल जाती है. बारिश में इसमें बाढ़ आ जाती है लेकिन अन्य दिनों में बहुत कम पानी रहता है.
– अजय नदी
इसका उद्गम जमुई जिले से होता है. यह झारखंड और पश्चिम बंगाल में पहुंचकर गंगा में मिल जाती है. इस नदी की चर्चा महाभारत में भी मिलती है. गम्हरिया के पास बांध बनाया गया जिसकी मदद से मछलीपालन और खेतों में सिंचाई होती थी.
यहां से बालू भी निकलता था.
– दुर्गावती नदी
दुर्गावती नदी रोहतास के पास कैमूर की पहाड़ी से निकलती है. यह रोहतास और कैमूर जिले से बहती हुई कर्मनाशा नदी में मिल जाती है. रास्ते में इसमें कई छोटी नदियां भी मिलती हैं. दु्र्गावती नदी पर करमचट डैम बनाया गया है. इससे हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती है.
क्या कहते हैं पर्यावरणविद
पर्यावरणविदों का कहना है कि इस नदी के किनारे बसे गांवों के मल-जल का निस्तारण इन नदियों में किया जा रहा है. इस कारण नदी के पानी में रहने वाले जीवों के जीवन पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है. बरसात के समय भी नदी में मछलियों की संख्या बहुत कम हो गयी है.
पहले इन नदियों में जलीय जीवों मगरमच्छ, घोंघा, सीप, कछुआ आदि बहुतायत में दिखते थे लेकिन अब उनकी संख्या बहुत कम हो गयी है. घाघरा को छोड़कर अन्य नदियों अजय, लखनदेई और दुर्गावती का उद्गम किसी ग्लेशियर जैसी जगह से नहीं है. पठारी इलाकों से उद्गम होने के कारण इनमें अब पहले जैसा पानी नहीं रहता. इसकी वजह यह है कि पठारों से वृक्ष की अंधाधुंध कटाई हुई है. इस कारण पठारी भागों में जल संचय नहीं हो पा रहा है. इसका असर इन नदियों पर पड़ा है.
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