पटना : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी का दर्द करीब तीन सालों बाद छलक कर बाहर आ गया है. जीतन राम मांझी ने 2015 में बिहार विधानसभा को भंग नहीं करने के फैसले को अपनी ऐतिहासिक भूल बताया. उन्होंने तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी पर भी सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया. पूर्व सीएम ने कहा कि इसके बाद रही-सही गलती उदय नारायण चौधरी ने कर दी. उन्होंने 16 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी. वे साथ दिये होते तो स्थिति दूसरी होती.
विद्यापति भवन में स्वतंत्रता सेनानी जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में जीतन राम मांझी ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा था. उनके पास बिहार विधानसभा भंग करने का भी पत्र था, लेकिन उन्होंने उस पत्र को राज्यपाल को नहीं दिया. ऐसा करना उनकी ऐतिहासिक भूल थी. अगर विधानसभा भंग करवा दिया होता तो बिहार में राष्ट्रपति शासन लग गया होता और वे चुनाव तक कार्यकारी मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे होते. इस दौरान मामला भी बदल सकता था.
मजबूरी में किया काम, तकलीफ के लिए दें माफी : उदय नारायण चौधरी
जगलाल चौधरी जयंती समारोह में विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि स्पीकर रहते उन्होंने जो कुछ काम किया उसमें कुछ मजबूरी थी. यह काम अपनी इच्छा से नहीं बल्कि संवैधानिक मजबूरी में किया है. स्पीकर जो काम करते हैं उसमें मुख्यमंत्री और सत्ताधारी दल का प्रभाव होता है. उनके इस काम से अगर जीतन राम मांझी को तकलीफ हुई होगी तो वे उनसे माफी मांगते हैं.
ये भी पढ़ें…10 दिवसीय दौरे परपटना पहुंचे संघ प्रमुख इन मुद्दों पर करेंगे बात, चढ़ा सियासी पारा