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बिहार : दो दोस्तों की पहल, पुराने अखबार बेच गरीब बच्चों को कर रहे शिक्षित

मसौढ़ी : किसी भी काम को करने के लिए जज्बा, जुनून और प्रबल इच्छाशक्ति अगर मनुष्य के मन में घर कर जाये तो उसे मुकाम तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता. साथ ही कोई भी परेशानी उसकी उड़ान पर बाधा नहीं डाल सकती. ऐसे ही जज्बे, जुनून और इच्छाशक्ति के धनी नगर के रहमतगंज […]

मसौढ़ी : किसी भी काम को करने के लिए जज्बा, जुनून और प्रबल इच्छाशक्ति अगर मनुष्य के मन में घर कर जाये तो उसे मुकाम तक पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता. साथ ही कोई भी परेशानी उसकी उड़ान पर बाधा नहीं डाल सकती.
ऐसे ही जज्बे, जुनून और इच्छाशक्ति के धनी नगर के रहमतगंज निवासी 17 वर्षीय सूफियान आजाद और उनके सहपाठी धीरज कुमार ने वह काम कर दिखाया है, जिसका लोग कायल हैं. दोनों ने मिलकर स्लम क्षेत्र के छोटे-छोटे गरीब बच्चों, जो किसी प्रकार अपनी दो जून की रोटी की व्यवस्था मेहनत-मजदूरी कर करते हैं, उनको शिक्षा देने की बीड़ा उठाया है. इसमें उसका साथ नगर के लख्खीबाग के रिटायर्ड
शिक्षक सीताराम शर्मा और तारेगना जीआरपी के कर्मी बखूबी दे रहे हैं. अपने स्तर से सूफियान व धीरज ने स्लम बस्ती में रहने वाले बच्चों को बेसिक शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का अनूठा प्रयास किया है, जिसमें दोनों ने काफी हद तक सफलता पायी है.
किसी प्रकार आज से एक साल पूर्व 50 बच्चों को लेकर अपने अभियान की शुरुआत करने वाले सूफियान आजाद बताते हैं कि फिलहाल यहां 150 बच्चे प्रतिदिन पढ़ने आते हैं.
जीआरपी थाने के पास प्रतिदिन दोपहर दरी बिछ जाती है और बच्चों की पढ़ाई शुरू हो जाती है, जिसमें उनका साथ रिटायर्ड शिक्षक सीताराम शर्मा देते हैं. शुरुआत के दिनों में इन्हें काफी परेशानियां उठानी पड़ी थीं, क्योंकि बच्चे पढ़ाई के प्रति रुचि नहीं लेते थे.
पाठ्य सामग्री कैसे जुटाते हैं बच्चों की
सूफियान और धीरज ने घर में रखे पुराने अखबार को बेचकर उससे मिले पैसे से काॅपी-पेंसिल खरीद रेलवे स्टेशन के आसपास की झुग्गी-झोंपड़ी में रहने वाले बच्चों को पाठ्य सामग्री उपलब्ध करायी. पाठ्य सामग्री मिलते ही इन बच्चों के चेहरे खिल उठे.
बाद में उन्होंने नगर के विभिन्न मुहल्लाें में घर-घर जाकर उनके यहां से पुराने अखबारों को इकट्ठा कर बेचते और उससे मिलने वाले पैसे से इनके लिए पाठ्य सामग्री खरीदना शुरू कर दिया. फिलहाल अब तो इसमें नगर के कई बुद्धिजीवियों समेत जनप्रतिनिधियों की भागीदारी से बच्चों के लिए पाठ्य सामग्री का इंतजाम हो जा रहा है. हालांकि, सूफियान व धीरज ने लोगों से पुराने अखबार लेकर उससे प्राप्त राशि से पाठ्य सामग्री जुटाने का काम को जारी रखा हुआ है .
कूड़े की ढेर से राष्ट्रपति भवन तक पहुंचे तारेगना जीआरपी के छात्र
मसौढ़ी की तारेगना जीआरपी में पढ़ने वाले झुग्गी-झोंपड़ी के गरीब बच्चों को आखिरकार देश के राष्ट्रपति से मिलने का अवसर मिल ही गया. एक खत के सहारे राष्ट्रपति से मिलने की इच्छा जाहिर करने वाले जीआरपी के छात्रों को उनसे मिलने का सपना पूरा हो गया.
बीते 14 नवंबर को बाल दिवस के मौके पर तारेगना जीआरपी के छात्र राजा कुमार (7 वर्ष), आर्यन कुमार (11 वर्ष), रमेश कुमार (12 वर्ष), सौरव कुमार (11 वर्ष) के साथ शिक्षक सूफियान आजाद और धीरज कुमार को राष्ट्रपति भवन से बुलावा आया और महामहिम से मिलने की स्वीकृति मिली.
रेल एसपी ने की मदद
राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति मिलने के बाद अब इन बच्चों को वहां जाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ी तो पटना के रेल एसपी जीतेंद्र मिश्र ने आर्थिक मदद दी और बच्चों के आने-जाने का जिम्मा उठाया. सभी बच्चे 13 नवंबर को संपूर्ण क्रांति एक्सप्रेस से दिल्ली पहुंचे और वहां महामहिम से मिले.
इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बच्चों को अपने जीवन में निरंतर प्रयास करने की सलाह देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. इस बीच इन बच्चों को राष्ट्रपति भवन का पूरा भ्रमण कराया गया.

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