बिहार : 50 हजार से अधिक स्थानों पर समाज को संगठित करने का चल रहा काम

संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा पटना : एक विचार को लेकर एक ही समय एक दिशा में देश के 50 हजार से अधिक स्थानों पर संघ कार्यकर्ता काम कर रहे हैं. इनका मकसद समाज को जोड़ने और संगठित करने का प्रयास करना है. ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 14, 2018 7:00 AM
संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा
पटना : एक विचार को लेकर एक ही समय एक दिशा में देश के 50 हजार से अधिक स्थानों पर संघ कार्यकर्ता काम कर रहे हैं. इनका मकसद समाज को जोड़ने और संगठित करने का प्रयास करना है.
ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहीं. वे मंगलवार को आरएसएस के पांच सरसंघचालकों के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लिखी पुस्तकों के विमोचन कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि समाज को सही दिशा देने और संघ के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए ऐसी पुस्तकों का आना जरूरी है. ये पुस्तकें प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित की है.
होसबाले ने सरसंघचालक डॉ हेडगेवार, गोलवरकर, बालासाहब देवरस, रज्जू भैया और सुदर्शनजी के कामकाज की सरहना की. उन्होंने कहा कि हर अच्छे काम की शुरुआत के समय उपहास करने वाले लोग भी मिल जाते हैं लेकिन काम पूरा होने पर ही उनकी महानता सामने आती है.
उन्होंने कहा कि संघ का विचार समाज को जोड़ने वाला है. इसकी स्थापना का उद्देश्य भी यही था. इसकी कार्यपद्धति बहुत सरल है. इसमें कोई मेंबरशिप की प्रक्रिया नहीं है. साथ ही सभी को यह संदेश देने का प्रयास किया जाता है कि समाज को बांटकर नहीं देखें. पूरे समाज को परिवार जैसा देखें. पंथ, संप्रदाय और जाति-पाति के आधार पर लोगों में भेदभाव नहीं करें.
92 साल बाद भी मजबूती से खड़ा है संघ
बतौर मुख्य अतिथि उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि संघ में सभी धर्म के लोगों के लिए दरवाजा खुला है. इसमें यदि मुस्लिम धर्म के लोग भी आना चाहें तो उनके लिए रोक नहीं है.
संघ की स्थापना 1925 में हुई थी. तब से अब तक 92 साल के दौरान यह मजबूती से खड़ा है. विचारक डॉ राकेश सिन्हा ने कहा कि आरएसएस की स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका थी. इसके बावजूद संघ पर स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं. उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में अंग्रेजों की सेना को मदद पहुंचाने का भाकपा पर आरोप लगाया.

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