सुशील मोदी का Tweet, सजायाफ्ता नेताओं से टिकट पाने वालों को हराये जनता
पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्विट कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक की तरह ऐसे लोगों के पार्टी प्रमुख बनने पर भी रोक लगायी जा सकती है या नहीं, लेकिन इससे पहले […]
पटना : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने ट्विट कर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक की तरह ऐसे लोगों के पार्टी प्रमुख बनने पर भी रोक लगायी जा सकती है या नहीं, लेकिन इससे पहले जनता सजायाफ्ता नेताओं से टिकट पाये उम्मीदवारों को हरा कर अपना फैसला तो सुना ही सकती है. चार सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्रियों की पार्टी पर कोर्ट के फैसले का असर होना तय है.
हालांकि अभी सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक की तरह ऐसे लोगों के पार्टी प्रमुख बनने पर भी रोक लगायी जा सकती है या नहीं, लेकिन इससे पहले जनता सजायाफ्ता नेताओं से टिकट पाये उम्मीदवारों को हरा कर अपना फैसला तो सुना ही सकती है… pic.twitter.com/rlPVQeHYEl
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 14, 2018
वहीं, दूसरे ट्विट में सुशील मोदी ने कहा कि उपचुनाव में पार्टी के तीन प्रत्याशी तय करने के लिए राजद के राज्य संसदीय बोर्ड और केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठकों ने सिर्फ यही तय किया कि वे दोनों बोर्ड कोई नाम तय करने में सक्षम नहीं हैं. इसलिए रांची की जेल में बंद पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद को ही सर्वसम्मति से अधिकृत कर दिया गया. आंतरिक लोकतंत्र की बाहें मरोड़ कर फिर उसे एक व्यक्ति के कदमों में डाल दिया गया.
उपचुनाव में पार्टी के तीन प्रत्याशी तय करने के लिए राजद के राज्य संसदीय बोर्ड और केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठकों ने सिर्फ यही तय किया कि वे दोनों बोर्ड कोई नाम तय करने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए रांची की जेल में बंद पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद को ही सर्वसम्मति से अधिकृत कर दिया… pic.twitter.com/sHWxlL8UKL
— Sushil Kumar Modi (@SushilModi) February 14, 2018
उपमुख्यमंत्री ने तीसरे ट्विट में डोकलाम सीमा विवाद के समय चीनी राजदूत से मिलने वाले राहुल गांधी अब चीनी अर्थव्यवस्था की तारीफ के पुल बांध रहे हैं और बता रहे हैं कि चीन के प्रति भारत को आक्रामक या सैन्य तरीका नहीं, बल्कि शांतिपूर्ण रास्ता अपनाना चाहिए. कांग्रेस क्या भारत को 1962 की पराजय वाले नेहरू युग में लौटाना चाहती है?
ये भी पढ़ें…बिहार उपचुनाव : महागठबंधन में फंसा पेंच सुलझा, भभुआ सीट कांग्रेस को देने पर बनी सहमति