योशिता उपाध्यक्ष, आजाद संयुक्त सचिव निर्वाचित
पटना : छह साल बाद हुए पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में निर्दलीय दिव्यांशु भारद्वाज अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. शनिवार को दिन में हुए मतदान के बाद देर रात तक चली मतगणना में दिव्यांशु ने छात्र जाप के गौतम कुमार को 112 वोटों से हरा दिया. दिव्याशु को 1862 वोट मिले, जबकि गौतम को 1750 वोट आये. तीसरे स्थान पर आईसा-एआईएसएफ की मीतू कुमारी रहीं. उन्हें 1168 वोट मिले. 269 वोट रद्द कर दिये गये. खास बात है कि अध्यक्ष पद के बॉक्स में उपाध्यक्ष पद के 368 वोट पड़े थे. मालूम हो कि दिव्यांशु ने एबीवीपी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था.
उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी की योशिता पटवर्धन जीती हैं. उन्होंने आईसा-एआईएसएफ की अनुष्का आर्य को 853 वोटों से हराया. योशिता को 1768 और अनुष्का को 915 वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे छात्र जदयू के सादाब आलम को 872 वोट मिले. छात्र जाप के आजाद चांद संयुक्त सचिव निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने एबीवीपी के राजीव रंजन को 150 वोटों से हरा दिया. आजाद को 1545, जबकि राजीव को 1395 वोट मिले. सेंट्रल पैनल के पांच पदों के लिए 67 उम्मीदवारों में मुकाबला था. अकेले अध्यक्ष पद के लिए 16 दावेदार मैदान में थे. कुल 19870 में से 8458 मतदाताओं ने वोट डाला.
देर रात बमबाजी पथराव व हिंसा
मतगणना के दौरान बाहर देर रात अचानक प्रत्याशियों के समर्थक आपस में भिड गये. जबरदस्त पत्थरबाजी की गयी. तोडफोड व मारपीट भी हुई. गोली व बम भी चले. इससे मतगणना बाधित होती रही.
ये हैं परिणाम
अध्यक्ष -दिव्यांशु- 1862 वोट
उपाध्यक्ष-योशिता पटवर्धन- 1768 वोट
महासचिव- सुधांशु भूषण-1647 वोट
संयुक्त सचिव-आजाद चांद-1545 वोट
कोषाध्यक्ष-नीतीश पटेल- 1206 वोट
कुल 42.56% वोटिंग
पटना विवि छात्र संघ चुनाव में शनिवार को कुल 42.56% वोटिंग हुई. कुल 19,870 में 8458 छात्र-छात्राओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. मतदान शांतिपूर्ण रहा. हालांकि मतदान की धीमी शुरुआत हुई. पहले दो घंटों में सिर्फ 10% मतदान हुआ.
छात्राओं ने नहीं दिखायी रुचि
पटना. पटना विवि के तीन महिला कॉलेजों को मिला कर 7961 छात्राओं में सिर्फ 2145 छात्राओं (26%) ने ही वोट किया है. यानी 5814 छात्राओं ने वोट नहीं किया, जो यह इन कॉलेजों में छात्राओं की कुल संख्या का 74% है. वहीं अन्य कॉलेजों में भी जो 6313 वोट पड़े हैं, उनमें भी कुल संख्या में लड़कियों की संख्या 20 से 25% ही मानी जा रही है. कुल वोटिंग 42.56% हुई है. यानी पहले जो समझा जा रहा था लड़कियों के हाथों में रिजल्ट होगा, वह नहीं हो सका. इसके कई कारण हो सकते हैं. एक तो पारिवारिक दबाव और उस पर भी परीक्षाएं , तीसरा कि उनकी भागीदारी इस चुनाव में काफी कम थी. 154 में सिर्फ 35 छात्राएं मैदान में थीं. यह सब एक बड़ी वजह हो सकती है. चुनाव से पहले भी छात्र संगठनों ने छात्राओं को अधिक वेटेज देने की बात कही थी और विवि से भी 50% आरक्षण देने की मांग थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इसका परिणाम वोटिंग पर दिखना लाजिमी है.