पटना : जापान में भारतीय दूतावास, टोक्यो में मंगलवार को आयोजित बिहार स्टेट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में निवेश की अपार संभावनाओं की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि बिहार की आकर्षक औद्योगिक नीति किफायती श्रम संसाधन, बिहार में इलेक्ट्रोनिक तथा ऑटोमोबाईल निर्माण केंद्रों की स्थापना के लिए उत्कृष्ट संभावना उपलब्ध कराता हैं. बिहार में नये युग की औद्योगिक एवं तकनीकी क्रांति के लिए प्रचुर संसाधन और संभावनाएं है. युवाओं की प्रतिभा इस राज्य का बल है.
मुख्यमंत्री ने इन्वेस्टरों को बताया कि बिहार पूर्वी और उत्तरी भारत के विशाल बाजारों तथा कोलकाता, हल्दिया और पारादीप जैसे बंदरगाहों के निकट है. पड़ोसी राज्यों के कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंच के कारण बिहार को भौगोलिक स्थिति है. जापानी संगठनों का सकारात्मक सहयोग बिहार को ज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित परिवर्तनकारी अर्थव्यवस्था स्थापित करने में मदद कर सकता है. इससे बिहार को ज्ञान आधारित समाज के रूप में स्थापित करने में भी सहायक साबित होगी. विकास का एक अलग मॉडल प्रस्तुत करेगा.
बिहार में बुनियादी ढांचे के सृजन और मानव क्षमता के विकास, विशेषकर तकनीकी सहयोग, औद्योगिक साझेदारी, प्रभावी सेवा प्रणाली और शैक्षिक अनुसंधान के विकास में निवेश करने के लिए भी उन्होंने जापानी निवेशकों को आमंत्रित किया. जापान बिहार में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की संभावनाओं पर विचार कर सकता है.
निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की संभावना
बिहार में वर्तमान में औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में जापान के दो स्तरों पर विशिष्ट हस्तक्षेप की आवश्यकता है. सेवा , तकनीकी ज्ञान, परिचालन, वित्तीय प्रबंधन और प्रक्रियाओं में सुधार के लिए प्रशिक्षण के साथ क्षमता का विकास पहला स्तर हो सकता है. भौतिक ढांचे की स्थापना और नये निवेश तथा संयुक्त उद्यमों के माध्यम से औद्योगिक क्षेत्र में प्रत्यक्ष हस्तक्षेप दूसरा स्तर हो सकता हैै. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति, 2016 तैयार की है. इसमें उद्यमियों के लिए प्रभावी कार्यान्वयन, निगरानी और शिकायत निवारण के लिए नीति में स्पष्ट प्रावधान हैं. राज्य में खाद्य प्रसंस्करण, कपड़ा, वस्त्र और चमड़ा, सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित सेवाएं और इलेक्ट्रनिक सिस्टम डिजाइन को उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में रखकर इनके क्लस्टर आधारित विकास पर विशेष बल दिया जा रहा है. इन क्षेत्रें में निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए सक्रिय रूप से विचार किया जा सकता है.
खाद्य प्रसंस्करण की अपार संभावना
बिहार भारत में बागवानी फसलों के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. गंगा की उपजाऊ मिट्टी, समृद्ध जल संसाधन, उपयुक्त कृषि-परिस्थितिकी और प्रचुर श्रम संसाधन के कारण यह राज्य खाद्यान्न का भी प्रमुख उत्पादक है. कुल जीएसडीपी में कृषि क्षेत्र का हिस्सा लगभग 18 प्रतिशत है. लगभग 76 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों पर निर्भर हैं. बिहार की इस क्षमता को बढ़ाने के लिए खाद्य प्रसंस्करण एवं जनित उत्पादों के अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग को प्रोत्साहित किया जा सकता है. बिहार में पर्यटन को समृद्ध बौद्धिक विरासत के साथ यहां की समकालीन कला और कृषि आधारित संस्कृति के संयोजन से बढ़ाया जा सकता है.
पर्यटकों को खेती व ग्रामीण अनुभव से जोड़ा जा सकता है
ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों पर बल देते हुए लोगों के बीच आपसी संपर्क और स्थानीय भ्रमण के माध्यम से एक अनोखा पर्यटकीय अनुभव बनाने का अवसर है. उदाहरण के लिए बोधगया के सांस्कृतिक अनुभव के लिए आये पर्यटकों को नालंदा की सब्जी की खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के भ्रमण के साथ जोड़ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि बिहार जापान के संदर्भ में क्यों इसलिए अनोखा है कि यहां परम पूजयनीय फूजी गुरूजी, जो बौद्ध धर्म के आदर्शों का प्रचार करने भारत आये थे. उन्होंने बिहार भ्रमण के क्रम में राजगीर को सभी पवित्र स्थानों में सबसे पवित्र माना. उन्हें यह ज्ञान हुआ कि एक मंत्र नमु मिहोहो रेंगे क्यो का जाप इस धरती पर करने से मोक्ष प्राप्त होगा. गृृद्धकूट पर्वत, जहां भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को उपदेश दिया था, के सामने राजगीर में विश्व शांति स्तूप की स्थापना की. राजगीर का यह शांति स्तूप बिहार का सबसे व्यस्ततम पर्यटक स्थलों में से एक है. यह जापान और भारत के लोगों के बीच पारस्परिक विश्वास और दृढ़ मैत्री का प्रतीक है और बिहार को जापान के लिए एक अनोखा गंतव्य बनाता है.
बिहार में बुद्ध सर्किट पर्यटन का एक मुख्य आधार है.इसमे बोधगया (यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल), राजगीर, नालंदा महाविहार (यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल) लौरिया नंदनगढ़, अरेराज, केसरिया, विक्रमशिला और जहानाबाद जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल शामिल हैं. पर्यटन क्षेत्र में आतिथ्य, परिवहन, यात्र सेवाएं, बैठक, सम्मेलन और प्रदर्शनियों की सुविधाएं, प्रशिक्षण संस्थाएं और पर्यटकीय सुविधाओं में निवेश के लिए प्राथमिकता दी जा रही है. बिहार में अवस्थित बौद्ध स्थलों पर आधुनिक होटलों के निर्माण के लिए हम जापान को आमंत्रित करते हैं. पटना-गया-बोधगया-राजगीर-नालंदा के बीच तीव्र गति के रेल लिंक जो गया एयरपोर्ट एवं बिहटा स्थित पटना के एयरपोर्ट को भी जोड़े, को विकसित करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता का जापान से अनुरोध करता हूं.
आपदा के अनुभव का मिल सकता है लाभ
जापान की भूकंप, ज्वालामुखी और सुुनामी जैसी आपदाओं से बचाव की तैयारी और चेतावनी प्रणाली विश्व में सबसे अच्छी मानी जाती है. इसमें बिहार को सहायता मिल सकती है.