बिहार बजट पर जानें एक्सपर्ट व्यू : आकार बढ़ने से विकास को मिलेगी रफ्तार
पीके अग्रवाल, अध्यक्ष, बिहार चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज राज्य के औद्योगिकीकरण के सपने को साकार करने के िलए उद्योग िवभाग का आवंटन बढ़ाना चािहए. निबंधन शुल्क में वृद्धि से प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर पड़ेगा असर. आम बजट, 2018-19 के आकार में पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी वृद्धि किये जाने से राज्य के […]
पीके अग्रवाल, अध्यक्ष, बिहार चैंबर ऑफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्रीज
राज्य के औद्योगिकीकरण के सपने को साकार करने के िलए उद्योग िवभाग का आवंटन बढ़ाना चािहए.
निबंधन शुल्क में वृद्धि से प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर पड़ेगा असर.
आम बजट, 2018-19 के आकार में पिछले वर्ष की तुलना में 10 फीसदी वृद्धि किये जाने से राज्य के विकास कार्यों को गति मिलेगी. साथ ही राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मुख्यमंत्री के सात निश्चय को कार्यान्वित कराने की दिशा में यह बजट काफी कारगर सिद्ध होगा.
बजट में राज्य के चहुमुखी विकास पर बल देने के लिए कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, ऊर्जा आदि के विकास पर विशेष बल दिया गया है.
राज्य सरकार द्वारा राजगीर में जू सफारी का निर्माण से अधिकाधिक पर्यटक आकर्षित होंगे. हालांकि राज्य में पहले से ही निबंधन शुल्क अधिक था. उसमें और वृद्धि किये जाने का प्रतिकूल प्रभाव प्रॉपर्टी की खरीद–बिक्री पर पड़ेगा. इसलिए राज्य सरकार को इस पर पुनर्विचार करते हुए इस संबंध में देश के अन्य प्रदेशों के निबंधन शुल्क का आकलन करना चाहिए.
राज्य के समुचित औद्योगिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उम्मीद थी कि इस बजट में उद्योग विभाग को पिछले वर्ष की तुलना में कम-से-कम दोगुनी राशि का आवंटन किया जायेगा, लेकिन केवल 622.04 करोड़ का ही आवंटन किया है. इससे बिहार के समुचित औद्योगिकरण का सपना साकार होने में कठिनाइयां आ सकती हैं.
राज्य में आवश्यकता अनुरूप उद्योग के लिए लैंड बैंक के जरिये जमीन उपलब्ध कराना, साथ ही समुचित संख्या में नये औद्योगिक क्षेत्रों के विकास की योजनाओं की सफलता में दिक्कतें आ सकती हैं. औद्योगिक क्षेत्र में जमीन के वर्तमान सर्किल रेट को घटाने की भी कोई घोषणा बजट में नहीं की गयी है.
राज्य के उद्यमियों को ऐसी आशा थी कि सरकार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 की समीक्षा कर कम-से-कम 2011 की नीति के अनुरूप प्रोत्साहन औद्योगिक इकाइयों को देगी, लेकिन उद्योग विभाग को यदि आशानुरूप राशि नहीं उपलब्ध करायी गयी तो यह आशा भी धूमिल हो सकती है.
पहली बार
– बजट में चार शब्दों का रूपांतरण नये शब्दों के रूप में किया गया है. गैर योजना के स्थान पर प्रतिबद्ध एवं स्थापना व्यय, स्टेट प्लान के स्थान पर वार्षिक स्कीम, केंद्र प्रायोजित प्लान स्कीम को केंद्र प्रायोजित योजना और सेंट्रल प्लान योजना के स्थान पर सेंट्रल सेक्टर स्कीम नाम रखा गया है.
– जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) के लागू होने के बाद यह पहला मौका है, जब राज्य का बजट पेश हुआ है. इस वजह से इसमें किसी वस्तु के दाम बढ़ने या घटने जैसी कोई घोषणा या नीति नजर नहीं आयी. सिर्फ योजनाओं और अन्य जरूरी खर्च के अनुमान पर ही पूरा बजट आधारित है.