बिजली, सड़क और शिक्षा के लिए खोला खजाना, जानें बजट की बड़ी बातें
वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधानमंडल में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक लाख 76 हजार 990 करोड़ का बजट पेश किया.इसमें 21 हजार 311 करोड़ के राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) का अनुमान किया गया है, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 4.13% है. नये बजट का आकार चालू वित्तीय वर्ष […]
वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने मंगलवार को विधानमंडल में वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए एक लाख 76 हजार 990 करोड़ का बजट पेश किया.इसमें 21 हजार 311 करोड़ के राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) का अनुमान किया गया है, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 4.13% है. नये बजट का आकार चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट एक लाख 60 हजार करोड़ से 16 हजार 990 करोड़ रुपये अधिक है.
पटना : महागठबंधन से अलग होने के बाद जदयू और भाजपा ने मिलकर फिर से एनडीए की सरकार बनायी, जिसका यह पहला बजट है. इस बजट में मुख्य रूप से तीन सेक्टर- शिक्षा, सड़क और ऊर्जा पर फोकस किया गया है.
हालांकि कृषि को कोर सेक्टर मानते हुए इसे बजट का मूल आधार बताया गया है. नये वित्तीय वर्ष के दौरान सभी तरह की योजनाओं पर खर्च के लिए पूंजीगत व्यय के रूप में 92 हजार 317 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है.
वहीं, पेंशन-वेतन, ऋण अदायगी समेत अन्य सभी प्रतिबद्ध व्यय के रूप में 84 हजार 672 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान रखा गया है. कुल बजट आकार 1.77 लाख करोड़ में एक लाख 26 हजार करोड़ रुपये केंद्रीय अनुदान और टैक्स शेयर से प्राप्त होंगे, जबकि राज्य सरकार अपने स्तर पर 31 हजार दो करोड़ रुपये कर राजस्व के रूप में एकत्र करेगी. योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार 22 हजार 795 करोड़ रुपये ऋणलेने का भी प्रावधान रखा है.
कृषि को गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से तैयार किये गये कृषि रोडमैप से जुड़े सभी 13 विभागों में योजनाओं को गति देने के लिए उचित पैसे का प्रबंध किया गया है. इसके अलावा सात निश्चय के लिए भी सरकार ने इस बार बजट में कोई अलग से प्रावधान नहीं किया है, लेकिन इससे संबंधित सभी विभागों में योजनाओं को गति देने के लिए उचित पैसे दिये गये हैं.
विभागवार या सेक्टर के आधार पर बजट में सबसे अधिक खर्च के प्रबंध की बात करें तो शिक्षा के लिए सबसे ज्यादा 18.15% राशि का प्रावधान किया गया है. इसके बाद ग्रामीण और शहरी सड़कों को मिलाकर सड़क निर्माण पर कुल बजट का 9.89% खर्च किया जायेगा.
पुल-सड़क व अन्य आधारभूत संरचनाओं के निर्माण के िलए Rs 40,250 करोड़ का प्रावधान, जो पिछले साल से 2,767 करोड़ ज्यादा है.
लोक ऋण का दायित्व 1.37 लाख करोड़ होने का अनुमान है, जो जीएसडीपी का 26.74% है. पिछले साल यह 33.05% था.
इस बजट में आय और व्यय का संतुलन बेहतर तरीके से बैठाया गया है. इसी का नतीजा है कि राजकोषीय घाटा मात्र 11,203 करोड़ रहने का अनुमान है, जो जीएसडीपी का 2.17% है. केंद्र के एफआरबीएम (राजकोषीय उत्तरदायी एवं बजट प्रबंधन) एक्ट, 2003 के अनुसार किसी राज्य का राजकोषीय घाटा उसके कुल जीएसडीपी का तीन फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके मद्देनजर बिहार के लिए लगातार यह चौथा साल है, जब उसने अपना राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा के अंदर बनाये रखा है.
प्राप्त सूचना के अनुसार, सरकार ने राजकोषीय घाटा को ढाई प्रतिशत के अंदर बनाये रखने के लिए सभी स्रोतों से कुल संभावित आमदनी 1.81 लाख करोड़ तक पहुंच सकती थी, लेकिन इसे 1.26 लाख करोड़ ही दिखाया गया है, ताकि घोषित आमदनी का लक्ष्य हर हाल में प्राप्त किया जा सके और कर्ज की अधिकता नहीं होने से राजकोषीय घाटा भी सीमा के अंदर बरकरार रहे.
राजद शासन में विकास की कोई चिंता नहीं की गयी, इसलिए राज्य सरकार का बजट 15 साल में 23 हजार करोड़ रुपये के पार नहीं गया. एनडीए सरकार ने 2005 से विकास के इतने काम किये कि आज हम नये आत्मवश्विास के साथ 1 लाख 76 हजार 990 करोड़ का बजट सदन के सामने रख रहे हैं. बजट के आकार में आठ गुना वृद्धि हमारी तेज आर्थिक प्रगति का सबसे ठोस प्रमाण है. विपक्ष बजट का स्वागत करने के बजाय ध्यान भटकाने के मुद्दे गढ़ रहा है.
सुशील कुमार मोदी, उपमुख्यमंत्री
डबल इंजन की सरकार डिरेल हो गयी है. बजट में राज्य सरकार ने जनता को ठगने काकाम किया है. बिहार के स्पेशल पैकेज का क्या हुआ? एक पैसा बता दीजिए जो केंद्र से आया हो. बीआरजीएफ फंड में पहले केंद्र-राज्य की हिस्सेदारी 85:15 थी, जो अब घटकर60:40 ही रह गयी. ऐसे में बिहार का विकास कैसे होगा?
तेजस्वी प्रसाद यादव, नेता, प्रतिपक्ष
जानें बजट की बड़ी बातें
बिहार का राजकोषीय घाटा इस बार रहा महज 2.17 प्रतिशत, जो राज्य सकल घरेलू उत्पाद का 11 हजार 203 करोड़
पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार राज्य को 20,893 करोड़ रुपये अधिक राजस्व होगा प्राप्त
शिक्षा, सड़क और ऊर्जा पर सबसे ज्यादा खर्च, कृषि को बताया राज्य के बजट का मूल आधार
मौजूदा बजट और नये बजट में बेहद अहम फर्क
-वित्तीय वर्ष 2018-19 में एक लाख 76 हजार 990 करोड़ का बजट पेश हुआ, जो वित्तीय वर्ष 2017-18 के एक लाख 60 हजार 085 करोड़ के बजट से ज्यादा है.
-स्थापना और प्रतिबद्ध व्यय के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2018-19 में 84,672 करोड़ का प्रावधान है, जो वित्तीय 2017-18 के 78,818 से 5,854 करोड़ ज्यादा है.
-वार्षिक स्कीम के तहत 2018-19 में 91,794 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है, जो 2017-18 के 80, 891 करोड़ से 10,903 करोड़ ज्यादा है. मतलब योजनाओं पर पिछली बार से 10, 903 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च होंगे.
-राजस्व व्यय मतलब सरकार के चालू खर्च यानी पेंशन, वेतन, अनुदान, ब्याज, छात्रवृत्ति, पोशाक समेत अन्य मद में खर्च के लिए 2018-19 में एक लाख 36 हजार 739 करोड़ का प्रावधान रखा गया है, जो 2017-18 में निर्धारित राजस्व व्यय एक लाख 22 हजार 602 करोड़ से 14,136 करोड़ ज्यादा है.