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अगले माह से सभी जिलों में नीरा उत्पादन

पटना : सरकार ने अप्रैल से नीरा उत्पादन का काम अब 12 जिलों से बढ़ाकर सभी 38 जिलों में शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए जीविका के उत्पादक समूहों का गठन होगा. पिछले साल तक गया, नवादा, नालंदा, पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सारण और जहानाबाद सहित कुल 12 जिलों में नीरा उत्पादन होता था. […]

पटना : सरकार ने अप्रैल से नीरा उत्पादन का काम अब 12 जिलों से बढ़ाकर सभी 38 जिलों में शुरू करने का निर्णय लिया है. इसके लिए जीविका के उत्पादक समूहों का गठन होगा. पिछले साल तक गया, नवादा, नालंदा, पटना, मुजफ्फरपुर, वैशाली, सारण और जहानाबाद सहित कुल 12 जिलों में नीरा उत्पादन होता था. इन जिलों में ताड़ के पेड़ सबसे ज्यादा हैं. योजना के तहत ज्यादा ध्यान नीरा को स्थानीय स्तर पर बेचने और गुड़ बनाने पर दिया जायेगा.

बनेगा नीरा का गुड़
‘जीविका’ ने अब तक इस बारे में 250 से ज्यादा उत्पादक समूहों का गठन कर लिया है. उत्पादक समूह उत्पादकों से ‘नीरा’ का संग्रहण करेंगे, जिसके बाद इसे तीन हिस्सों में बांटा जायेगा. एक हिस्से का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर किया जायेगा. इसके तहत ‘नीरा’ की बिक्री की जायेगी. वहीं दूसरे भाग का इस्तेमाल गुड़ बनाने में किया जायेगा.
क्या है नीरा : ताड़ के पेड़ से निकलने वाले रस को नीरा कहते हैं. इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह, विटामिन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं. यह पाचन शक्ति व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है. अनुमान के मुताबिक बिहार में ताड़ के 92 लाख 19 हजार और खजूर के 40 लाख नौ हजार पेड़ हैं. राज्य सरकार बिहार राज्य दुग्ध उत्पादक परिसंघ (कंफेड) के जरिये हाजीपुर, नालंदा, भागलपुर वगया में प्रसंस्करण संयंत्र लगा रही है.

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