मिसाल : माता-पिता की हौसला आफजाई से इस बेटी ने हासिल किया नया मुकाम, जानिए क्या
पटना : पूनम कुमारी जब छठी क्लास में पढ़ रही थी, तभी उसे आंखों की एक गंभीर बीमारी हो गयी. माता-पिता ने अपनी हैसियत के अनुसार इलाज कराया, लेकिन आंख की रोशनी नहीं लौट पायी. इस घटना के बाद पूनम के पिता सदमे में आ गये लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उनका समूचा ध्यान अपनी […]
पटना : पूनम कुमारी जब छठी क्लास में पढ़ रही थी, तभी उसे आंखों की एक गंभीर बीमारी हो गयी. माता-पिता ने अपनी हैसियत के अनुसार इलाज कराया, लेकिन आंख की रोशनी नहीं लौट पायी. इस घटना के बाद पूनम के पिता सदमे में आ गये लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उनका समूचा ध्यान अपनी बेटी की पढ़ाई पर था. उसे प्रोत्साहित किया. आर्थिक तंगी के बावजूद अर्जुन प्रसाद ने अपनी बेटी का हौसला बनाये रखा. स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करायी.
पढ़ाई का नतीजा यह है कि पूनम कुमारी आज अपने पैरों पर खड़ी ही नहीं हुईं, समाज के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं. 28 वर्षीय पूनम आज देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक में अंटा घाट स्थित पेंशन शाखा में बतौर अवार्ड स्टाफ के रूप में कार्यरत हैं. अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह पूरा कर रही हैं. दो बहन और एक भाई में पूनम सबसे बड़ी हैं.
आज मैं अपने पैरों पर खड़ी हूं : पूनम ने बताया कि वर्ष 2000 मेरे लिए जीवन का काला वर्ष साबित हुआ और बीमारी के कारण मेरी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे समाप्त हो गयी. लेकिन मैं निराश नहीं हुई.
बल्कि आगे की पढ़ाई के लिए पिता जी को तैयार किया ओर उन्होंने मुझे कुम्हरार स्थित अंतर ज्योति बालिका उच्च विद्यालय में नामांकन कराया और मैट्रिक परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास हुई. इंटर की पढ़ाई पटना काॅलेजिएट से पूरी की.
पारिवारिक जीवन चल रहा है अच्छा
पूनम के लिए वर्ष 2016 यादगार साबित हुआ जब उनका विवाह बैंक ऑफ इंडिया की मुख्य शाखा में कार्यरत क्लर्क गोल्डेन कुमार से हुआ. पूनम ने बताया कि उनकी भी आंखों की रोशनी कम है. लेकिन सास, ससुर, ननद और जेठानी के सहयोग से पारिवारिक जीवन काफी अच्छा चल रहा है. घर और कार्यालय की जिम्मेदारी का निर्वाह पूरी ईमानदारी से करने का प्रयास करती हूं. एक छह माह की बेटी है.