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बिहार : खाने-खिलाने के शौक से सरिता जैन ने बनायी पहचान, अमेजन से भी मिल रहे आर्डर

पटना का अक्षत नमकीन ब्रांड देश-िवदेश के बड़े-बड़े ब्रांडेड नमकीनों के मुकाबले खड़ा है पटना : पटना के बोरिंग रोड के आनंदपुरी में रहने वाली सरिता जैन एक चर्चित नाम है. उन्होंने अपनी सफलता से न केवल अपनी सशक्त पहचान बनायी है, बल्कि पूरे परिवार और समाज के साथ महिलाओं के तरक्की का मार्ग प्रशस्त […]

पटना का अक्षत नमकीन ब्रांड देश-िवदेश के बड़े-बड़े ब्रांडेड नमकीनों के मुकाबले खड़ा है
पटना : पटना के बोरिंग रोड के आनंदपुरी में रहने वाली सरिता जैन एक चर्चित नाम है. उन्होंने अपनी सफलता से न केवल अपनी सशक्त पहचान बनायी है, बल्कि पूरे परिवार और समाज के साथ महिलाओं के तरक्की का मार्ग प्रशस्त कर दिया है. उनकी कहानी एक महिला के आत्मविश्वास, उसके जज्बे और काम के प्रति समर्पण की कहानी है. आज वह अक्षत नमकीन के नाम से अपनी पहचान बना चुकी हैं. राजधानी समेत कई छोटे-बड़े जिलों में उनके द्वारा बनाये अक्षत नमकीन बड़े ब्रांड के नमकीनों के मुकाबले में खड़ी है.
चाहे बिग बाजार जैसे शाॅपिंग कॉम्प्लेक्स हो या फिर से बड़े फूड स्टोर. जहां अक्षत नमकीन नामक नमकीन बड़े-बड़े ब्रांडेड नमकीनों के मुकाबले खड़ी है. इनके बनाये नमकीन की क्वालिटी ऐसी की अमेजन जैसे ऑनलाइन कंपनियों से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं.
शुरुआत नहीं थी आसान: लेकिन, यह सब कुछ इतना आसान नहीं था. इस सफलता की राह संघर्षों से निकली है. सरिता इकोनॉमिक्स से पीजी थी पर परिवार की अन्य महिलाओं की तरह वह भी पढ़ाई के बाद शादी और उसके बाद घर संभालने में ही जुटी थी. उनके पति राजेश जैन भी बीए तक की पढ़ाई करने के बाद नौकरी कर रहे थे.
कुछ अलग करने की चाहत
शादी के बाद सरिता अपने दो बच्चों के परिवार के साथ खुशहाल जिदंगी जी रही थी. पर सरिता को अक्सर कुछ कमी खटकती रहती थी, वह कमी थी उनकी अपनी पहचान की. उन्हें लगता था. मेरी कोई अपनी पहचान नहीं है.
पहले बेटी, फिर पत्नी और उसके बाद बस मां के किरदारों को निभाने के बाद उन्होंने अपनी पहचान बनाने के दिशा में काम करने का निर्णय लिया. पर कैसा काम और कैसे शुरू किया जाये. उन्होंने खाना बनाने के अलावा भुजिया बनाने का शौक था. उनके इस शौक की कई बार रिश्तेदारों और पड़ोसियों में तारीफ भी होती थी.
मिलने लगी पहचान
सरिता के बनाये अक्षत नमकीन की मांग बढ़ने के साथ-साथ वह नमकीन की कई वैरायटियां बनाना शुरू कर दी. चुड़ा निमकी, गेहूं भुजिया, हिंग कचौड़ी, बूंदी भुजिया, रायता भुजिया. बादाम पकौड़ा, चना मसाला, आगरा दालमोट , झालमुरी , काबुली चना समेत 20 प्रकार के नमकीन उनके द्वारा तैयार किये जा रहे है.
करोबार इतना बढ़ चुुका है कि 110 रूपये से शुरू कारोबार सलाना एक करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. बिहार के कटिहार, गया, नालंदा, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर के अलावा सभी बिग बाजार व बड़े शॉप में आसानी से उपलब्ध है. उनके काम ने न केवल उन्हें पहचान दिलायी बल्कि कई महिलाओं के रोजगार देने में भी सशक्त भूमिका निभाई है.
डाली बदलाव की नींव
फिर क्या इसी शौक को उन्होंने बदलाव की नींव के रूप में बदल डाला. वर्ष 1998 में सरिता ने एक छोटे से कड़ाही में 100 रुपये के लागत से परिवार से चोरी- चुपके नमकीन बनाने का काम शुरू कर दिया. फिर उस नमकीन को आस-पास के दुकानों में यह कहकर रखना शुरू किया कि नमकीन बिकने पर वह उसकी कीमत भी देगी. एक दो दुकानों से की गयी शुरुआत धीरे-धीरे बढ़ चला. उनके बनाये भुजिया और नमकीन की डिमांड भी बढ़ने लगी.
उनके इस कार्य का शुरू में तो घरवालों ने विरोध जताया. पर उनके काम में मिलने वाली सफलता को देखते हुए किसी की हिम्मत नहीं हुई उन्हें रोकने की. अक्षत नमकीन का कारवां एक दुकान से 100 दुकानों उसके बाद बड़े -बड़े पॉश इलाकों में चलने वाले फूड व स्वीट्स शाॅप पर भी बढ़ चला था. घरेलू उद्योग अब कारखाने का रूप ले लिया था.

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