बिहार कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं अशोक चौधरी, राज्यसभा टिकट दावेदारों में आपसी खींचतान बढ़ी
पटना : बिहार में इन दिनों उपचुनाव को लेकर जीतनी सरगर्मी बढ़ गयी है, उससे ज्यादा अंदरखाने राज्यसभा की 6 सीटों के चुनाव को लेकर सियासत तेज है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति में कांग्रेस है, जो अपने एक भी उम्मीदवार को राज्यसभा भेज पायेगी कि नहीं, इसे लेकर काफी परेशान है. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में […]
पटना : बिहार में इन दिनों उपचुनाव को लेकर जीतनी सरगर्मी बढ़ गयी है, उससे ज्यादा अंदरखाने राज्यसभा की 6 सीटों के चुनाव को लेकर सियासत तेज है. सबसे ज्यादा खराब स्थिति में कांग्रेस है, जो अपने एक भी उम्मीदवार को राज्यसभा भेज पायेगी कि नहीं, इसे लेकर काफी परेशान है. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में हो रही चर्चा की मानें, तो तेजस्वी यादव के सोनिया के साथ डिनर के बाद पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी. फिलहाल, कांग्रेस में राज्यसभा जाने वाले दावेदारों की लिस्ट लंबी है और लिस्ट लंबी होने की वजह से जोड़ तोड़ और खींचतान जारी है. साथ ही हाल में कांग्रेस से अलग हुए डॉ. अशोक चौधरी पार्टी के लिए खतरा साबित हो सकते हैं. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें, तो नीतीश कुमार की नजर में अपना नंबर बढ़ाने के लिए अशोक चौधरी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का भरपूर प्रयास कर सकते हैं.
आंकड़ों के हिसाब से बिहार की सियासत को राज्यसभा के आईने में देखें, तो कांग्रेस का अभी बिहार से राज्यसभा में कोई भी उम्मीदवार नहीं है. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो कांग्रेस की ओर से राज्यसभा की टिकट की दौड़ में अशोक चौधरी से दूरी बनाने वाले और लालू के नजदीकी नेता अखिलेश प्रसाद सिंह का नाम सबसे आगे चल रहे हैं. इस कतार में लोकसभा की पूर्व अध्यक्षा मीरा कुमार भी शामिल हैं. उसके अलावा पूर्व मंत्री शकील अहमद, सीपी जोशी और जनार्दन द्विवेदी के साथ राजीव शुक्ला को भी मजबूत दावेदार बताया जा रहा है. इस कड़ी में एक और नाम अभिषेक मनु सिंघवी का भी जुड़ गया है. हाल में राजीव शुक्ला ने बिहार आकर कांग्रेसी विधायकों और यहां के नेताओं से मुलाकात की थी. अंदर के सूत्रों की मानें, तो बेजोड़ समीकरण के साथ सेटिंग-गेटिंग का भी खेल चल रहा है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के सपने को पलीता लगाने के लिए अशोक चौधरी भी सक्रिय हैं.
उधर, डॉ. अशोक चौधरी के कांग्रेस छोड़ने के बाद जिस तरह से कांग्रेस के कुछ विधायकों ने उनके फैसले का समर्थन किया, उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि 11 आवर में कांग्रेस के कई विधायक बाजी पलट सकते हैं. वहीं दूसरी ओर बिहार के संसदीय कार्य मंत्री और जदयू नेता श्रवण कुमार ने विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत में हाल में यह इशारा किया था कि राजनीति में सबकुछ संभव है. श्रवण कुमार ने क्रास वोटिंग के सवाल पर आगे-आगे क्या होता है, देखने की सलाह दी थी. उधर, कांग्रेस के बक्सर से विधायक संजय कुमार तिवारी और पार्टी के एक अन्य विधायक ने सदन में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह की आलोचना करते हुए कहा था कि वह उनके बारे में पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत करेंगे. विधायकों ने यह भी बताया था कि जिस तरह से हाल में उन्हें किनारा करने की साजिश रची जा रही है, उसे लेकर वह काफी नाराज हैं.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी को यह लग रहा है कि अशोक चौधरी के जदयू में जाने के बाद पार्टी में टूट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अशोक चौधरी के संपर्क में कांग्रेस के कई विधायक बने हुए हैं. विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो कांग्रेस के कई विधायकों ने अंदर ही अंदर क्रास वोटिंग करने की तैयारी कर ली है. चर्चा है कि पार्टी से बगावत पर उतारू कुछ विधायक एनडीए के संपर्क में हैं, हालांकि एनडीए की ओर से उन्हें अभी शांत रहने को कहा गया है. वहीं कांग्रेसी विधायकों ने मीडिया के सामने यह बयान दिया है कि वह पार्टी लाइन से अलग नहीं जायेंगे, लेकिन आशंका जतायी जा रही है कि इन विधायकों को क्रास वोटिंग के लिए अशोक चौधरी उकसा रहे हैं. यह तय है कि कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा में किसी का प्रवेश तभी संभव हो पायेगा, जब विधायक एकजुट रहें और राजद का सहयोग भी मिले.
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