पटना : बिहार में राज्य के लोगों के लिए आवंटित कल्याण की राशि बिहार सरकार खर्च नहीं कर पायी है. बिहार के योजना एवं विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहाहै कि हालांकि, वित्तीय वर्ष 2016—17 की तुलना में वर्ष 2017—18 में 4820.10 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए. बिहार विधानसभा में राजद विधायक ललित कुमार यादव द्वारा पूछे गये एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए ललन ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017—18 में राज्य स्कीम के मद का मूल उद्व्यय 80891.61 करोड़ रुपये तथा पुनर्रीक्षित उद्व्यय 87362.60 करोड़ रुपये है.
उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017—18 में 15 नवंबर 2017 तक मूल उद्व्यय 80891.61 करोड़ रुपये के विरूद्ध 30500.49 करोड़ रुपये जो कि 37.71 प्रतिशत है । ललन ने बताया कि गत वर्ष 15 नवंबर तक निर्धारित उद्व्यय विरुद्ध पथ निर्माण विभाग द्वारा 55.23 प्रतिशत और ग्रामीण कार्य द्वारा 39.35 प्रतिशत राशि व्यय की गयी. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017—18 के प्रथम सात में चार माह राज्य बाढ़ की विभीषिका से प्रभावित रहा, जिसके फलस्वरूप इस अवधि में विकास और राज्य के कल्याण से संबंधित योजनाओं के लिए प्रावधानित राशि व्यय नहीं हो पायी.
ललन ने बताया कि जो वर्किंग सीजन है, वह जून से सितंबर तक नहीं होता है बल्कि उसके बाद का महीना ही वर्किंग सीजन होता है. उन्होंने कहा कि 8 मार्च 2018 तक मूल उदव्यय के विरुद्ध 60.16 प्रतिशत तथा संशोधित उद्व्यय के विरुद्ध 55.70 प्रतिशत राशि खर्च की जा चुकी है. ललन ने बताया कि यह पिछले साल की तुलना में 4820.10 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुआ है. उन्होंने बताया कि मूल राशि खर्च होने जो कठिनाई आयी है, वह केंद्र प्रायोजित योजनाओं से प्राप्त होेने वाले केंद्रांश कम मिला. हमारी मांग 31654.68 करोड़ रुपये के विरूद्ध 13503.20 करोड़ रुपये प्राप्त हुआ.
ललन ने बताया कि केंद्र प्रायोजित योजना की लंबित यह राशि 18 विभागों से जुडे हुए हैं. केंद्र से जैसे जैसे राशि प्राप्त होती जाएगी उसमें मैचिंग ग्रांट जोड़कर उक्त राशि को खर्च किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें-
बिहार उपचुनाव : BJP प्रदेश अध्यक्ष के ISIS वाले पर भारी बवाल, राजद ने किया पलटवार