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बिहार : पीयू छात्र संघ के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का निर्वाचन रद्द, दोनों को दिया जायेगा ‘कारण बताओ नोटिस’

पटना : पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज और उपाध्यक्ष योशिता पटवर्धन का निर्वाचन रद्द कर दिया गया है. जांच कमेटी की रिपोर्ट पर विवि प्रशासन ने मंगलवार को यह निर्णय लिया. जांच में दिव्यांशु के खिलाफ एक ही समय में दो विवि में एडमिशन लेने का आरोप सही पाया गया, जबकि योशिता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2018 7:01 AM

पटना : पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष दिव्यांशु भारद्वाज और उपाध्यक्ष योशिता पटवर्धन का निर्वाचन रद्द कर दिया गया है. जांच कमेटी की रिपोर्ट पर विवि प्रशासन ने मंगलवार को यह निर्णय लिया. जांच में दिव्यांशु के खिलाफ एक ही समय में दो विवि में एडमिशन लेने का आरोप सही पाया गया, जबकि योशिता ने शपथपत्र में प्रोमोटेड छात्र होने की जानकारी छिपायी थी. पीयू प्रशासन अब दोनों को नोटिस देकर पूछेगा कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए गलत सर्टिफिकेट क्यों प्रस्तुत किया.

दोनों से जवाब तलब होने के बाद दाेनों का एडमिशन भी रद्द किया जा सकता है. साथ ही संबंधित कॉलेज और विभागों से भी जवाब मांगा जायेगा कि उन्होंने किस आधार पर इन छात्रों को सर्टिफिकेट प्रदान किये, जबकि इनके डॉक्यूमेंट्स सही नहीं थे. विवि के इस निर्णय के बाद एक तरफ जहां समर्थित छात्र संगठनों ने मंगलवार को विवि में जमकर हंगामा किया तो वहीं दूसरी ओर कई छात्र संगठनोंने इस निर्णय का स्वागत किया.

ज्वाइंट सेक्रेटरी को क्लीनचिट

ज्वाइंट सेक्रेटरी आजाद चांद को क्लीनचिट मिल गयी है. उन पर पांच वर्षों से अधिक समय से विवि में पढ़ाई करने का आरोप था और लिंगदोह कमेटी की सिफारिश के अनुसार पांच वर्षों से अधिक समय से विवि में पढ़ने वाले छात्र चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि आजाद चांद पर जो आरोप लगे हैं, उनकी भी जांच की गयी, जबकि आवेदन पर आरोप लगाने वाले के हस्ताक्षर तक नहीं थे और इस वजह से वह वैध भी नहीं है. आरोप लगाने वाले ने जरूरी डॉक्यूमेंट्स भी प्रस्तुत नहीं किये. फिर भी जांच की गयी, लेकिन आजाद चांद के नामांकन व निर्वाचन को वैध पाया गया. वह पीयू के ही छात्र हैं और वर्तमान में पीजी कर रहे हैं. लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अंतर्गत उनका निर्वाचन वैध है.

छात्रों ने किया जमकर हंगामा

निर्वाचन रद्द होने के बाद दिव्यांशु व योशिता के समर्थकों ने विवि में जमकर हंगामा किया और जांच में घालमेल का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपने आप को सही बताया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय दबाव में लिया गया है. उनका निर्वाचन बिल्कुल सही है. देर शाम तक छात्रों का हंगामा चलता रहा.

पटना विवि के स्टूडेंट्स वेलफेयर डीन प्रो एनके झा ने कहा कि जांच रिपोर्ट आ गयी है. पूरी निष्पक्षता के साथ जांच की गयी और सारे पहलुओं को देखा गया. लिंगदोह कमेटी के नियम के अनुसार निर्णय लिये गये, जिनमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के निर्वाचन को रद्द किया गया है.

कल से सभी विजेता छात्रों को सर्टिफिकेट्स प्रदान किये जायेंगे. जल्द ही शपथ ग्रहण की तिथि भी घोषित की जायेगी. जिनका निर्वाचन रद्द हुआ है, उनकी जगह महासचिव कार्यभार संभालेंगे. लिंगदोह के नियमों के अनुसार परीक्षा के दौरान चुनाव नहीं करा सकते और उनकी जगह नीचे के पद के अधिकारी कार्यभार देखेंगे. अब सितंबर में नये सत्र के लिए चुनाव कराया जायेगा. जांच रिपोर्ट को विवि की वेबसाइट पर भी जारी कर दिया गया.

दिव्यांशु ने एक ही समय दो विश्वविद्यालय में लिया नामांकन

दिव्यांशु के सर्टिफिकेट्स की जांच के बाद कमेटी ने पाया कि उसका कोई एकेडमिक एरियर नहीं है. लेकिन एक ही समय में उन्होंने दो विश्वविद्यालयों में नामांकन ले लिया.

2016 में उन्होंने बीएन कॉलेज से त्याग प्रमाणपत्र (सीएलसी) लिया, जबकि इसके पहले ही 2014-17 सत्र में ही हिमालयन विवि, इटानगर अरुणाचल प्रदेश में नामांकन ले लिया. यूजीसी के नार्म्स के अनुसार एक ही समय में दो विवि में पढ़ाई पूरी तरह से अवैध है. इस संबंध में पटना विवि प्रशासन हिमालयन विवि से तो जवाब तलब करेगा ही, वह यूजीसी से भी पत्राचार कर सकता है.

योशिता ने प्रोमोटेड होने की जानकारी छिपायी

उपाध्यक्ष योशिता पटवर्धन के खिलाफ यह आरोप सिद्ध सही पाया गया है कि वह 2016-17 सत्र में प्रोमोटेड हैं. इसके बावजूद उन्होंने अपने शपथपत्र में यह गलत जानकारी दी कि उनका कोई बैकलॉग नहीं है. इसलिए उनका भी निर्वाचन रद्द कर दिया गया. उन्हें भी नोटिस देकर पूछा जायेगा कि उन्होंने क्यों और किन परिस्थितियों में ऐसा किया और उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जाये. साथ ही मगध महिला काॅलेज को भी इस संबंध में एक शोकाॅज दिया जायेगा कि कॉलेज प्रशासन ने उनके आवेदन को क्यों और किस आधार पर फॉरवर्ड किया.

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