पटना : बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के दौरान विरोधी दलों के विधायकों ने सदन के बाहर और अंदर दोनों जगह प्रदर्शन किया. सदन के अंदर राजद के सदस्यों ने इंदिरा आवास और प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार को लेकर हंगामा किया. इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी. वहीं, विधानसभा के मुख्यद्वार पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विपक्ष के विधायकों ने प्रदर्शन किया. विधायकों ने किसानों के साथ धोखाधड़ी करने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार और सरकार के विरोध में नारेबाजी की. उन्होंने किसानों के साथ कृषि रोड मैप के जरिये धोखाधड़ी और मक्के की फसल में दाना नहीं होने के मामले की जांच कराने की बात कही.
वहीं, बजट सत्र में शामिल होने आये विधायकों ने उपचुनाव को लेकर अपनी प्रतिक्रिया भी दी. राजद के भाई वीरेंद्र ने कहा कि उपचुनाव में महागठबंधन तीनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि लड़ाई में राजद के साथ जदयू कहीं भी नहीं है. हमारी लड़ाई सिर्फ भाजपा के साथ है. उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहीं नहीं हैं. उन्होंने नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोलते हुए विवादास्पद बयान भी दिया.
उप चुनाव के परिणाम को लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गयी है. श्याम रजक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में तीनों सीट हम जीत रहे हैं. नीतीश कुमार के पक्ष में ही जनादेश आयेगा. राजद नेता बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि ”उनकी आदत है सपनों में जीने की.” वे लोग जीन निकलने की बात कह रहे हैं, ये उनकी फितरत है. अंतिम निर्णय एनडीए के पक्ष में आयेगा.
राजद के विधायक विजय प्रकाश ने कहा कि तेजस्वी की प्रतिष्ठा का यह सवाल नहीं है. उन्होंने तो अभी अपनी राजनीति यात्रा शुरू ही की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपन प्रतिष्ठा बचाएं.
कांग्रेस विधायक भावना झा ने कहा कि चुनाव हार जाने का अर्थ यह नहीं है कि आगे का रास्ता बंद हो जाता है. उप चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होता है. आम चुनाव स्थानीय मुद्दों पर नहीं होता. लेकिन, कांग्रेस को आत्ममंथन की जरूरत है.
वहीं, कांग्रेस विधायक मुन्ना तिवारी ने कांग्रेस के सदानंद सिंह पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि इस हार की जिम्मेदारी विधायक दल के नेता सदानंद सिंह की है. उन्होंने ब्राह्मण बहुल भभुआ सीट पर अपने चहेते पटेल को टिकट दे दिया. अगर ऐसा नहीं होता, तो भभुआ में हमारी स्थिति काफी मजबूत होती. वहां से अशोक पांडेय को टिकट दिया जाना चाहिए था. हार-जीत की बात अलग है. लेकिन, लड़ाई कांटेदार होती. वहां करीब 70 हजार ब्राह्मण हैं. वहां अशोक पांडेय को टिकट मिलता, तो हमारी स्थिति मजबूत होती और संभावना है कि हम जीत भी दर्ज करते.