VIDEO : उपचुनाव में जीत पर विधानसभा में मनी होली, लालू जिंदाबाद के नारों के बीच उड़े गुलाल
पटना : बिहार के उपचुनाव में महागठबंधन की सफलता ने आज विधानसभा परिसर के नजारे को रंगीन कर दिया. वैसे इस बार मुजफ्फरपुर सड़क हादसे के बाद विधानसभा परिसर में हर साल की भांति होली नहीं हुई थी और विपक्षी दल के सदस्यों ने भी इससे परहेज किया था. आज नजारा बिल्कुलअलग था. भोजनावकाश के […]
पटना : बिहार के उपचुनाव में महागठबंधन की सफलता ने आज विधानसभा परिसर के नजारे को रंगीन कर दिया. वैसे इस बार मुजफ्फरपुर सड़क हादसे के बाद विधानसभा परिसर में हर साल की भांति होली नहीं हुई थी और विपक्षी दल के सदस्यों ने भी इससे परहेज किया था. आज नजारा बिल्कुलअलग था. भोजनावकाश के बाद हुई कार्यवाही के बाद जब अररिया लोकसभा सीट और जहानाबाद के कमोबेश फाइनल रिजल्ट की सुगबुगाहट जैसे ही महागठबंधन दल के विधायकों को लगी, वह विधानसभा के गेट पर आ गये. उन्होंने आते ही. हाथों में अबीर और गुलाल लेकर उड़ाना शुरू किया. उत्साह ऐसा कि पूरा विधानसभा परिसर लालू यादव जिंदाबाद के नारों से गूंज उठा. यह होली इस मायने में भी खास थी, कि महागठबंधन से जदयू के अलग होने के बाद यह पहली बड़ी सफलता तेजस्वी यादव और लालू यादव को मिली है.
परिसर में होली मन रही थी और कांग्रेस राजद के विधायक तेज आवाज में होली भी गा रहे थे. सभी विधायक एक दूसरे के गालों में हरे रंग का गुलाल लगाकर स्वागत कर रहे थे. महिला विधायकों ने एक दूसरे के गालों में गुलाल लगाकर और लालू यादव जिंदाबाद के नारे के साथ होली को सेलिब्रेट किया. बाहर निकले विधायक भाई विरेंद्र ने कहा कि हम सुबह से कह रहे हैं कि मुझे पता था कि कहां का वोटर कैसा है और कौन वोट देगा. रिजल्ट हमको पता था. उन्होंने कहा कि यह सामाजिक न्याय की जीत है, हमारे नेता लालू प्रसाद यादव के विचारों की जीत है. हमारे प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव जिन्हें लोग बबुआ कहते थे, बिहार की जनता ने इस चुनाव में मुहर लगा दी है कि हमारा अगला मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव होगा. भभुआ सीट पर हुई महागठबंधन की हार का ठीकरा राजद विधायक ने कांग्रेस के नेताओं पर फोड़ा. भाई विरेंद्र ने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता नीतीश कुमार से मिले हुए हैं, वहीं लोगों ने मिलकर वहां चुनाव हराया है.
भाई विरेंद्र ने यह भी कहा कि भभुआ में प्रशासन नेगलतनियत से खराब इवीएम भेजा और चुनाव में गड़बड़ी करवायी है. वहां पर स्लो पोलिंग करवायी गयी. अररिया और जहानाबाद में जीत से विपक्ष के नेताओं का उत्साह आज देखते बन रहा था. सत्तापक्ष के किसी नेता ने बयान देने से परहेज किया और वह मनायी जा रही होली के बीच से बचकर निकलते दिखे. हालांकि, दोनों जगहों पर एनडीए की हार को लेकर राजनीतिक गलियारे में बयानबाजी का दौर जारी है. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो एनडीए से अभी हाल में जीतन राम मांझी का महागठबंधन में जाना पूरी तरह से एनडीए के खिलाफ मैसेज लेकर गया. जहानाबाद के हजारों दलित तबके का वोट पूरी तरह महागठबंधन की ओर मुड़ गया. यह भी कहा जा रहा है कि मुंद्रिका यादव के बेटे होने के नाते सुदय यादव को लोगों ने सहानुभूति वोट भी दिया. एनडीए की ओर से मिल रही विश्वसनीय जानकार सूत्र बताते हैं कि जहानाबाद में एनडीए में जो आपसी खींचतान थी, उसने महागठबंधन को जीतने में मदद की. अभिराम शर्मा स्थानीय रालोसपा सांसद अरुण कुमार का पसंदीदा न होना भी हार का एक कारण बना. अभिराम शर्मा पूरी तरह अरुण कुमार से कटे हुए माने जाते हैं . उनकी नाकामी का कारण एनडीए के नेताओं में एकजुटता का नहीं होना भी बताया जा रहा है.
दूसरी ओर अररिया लोकसभा सीट पर तस्लीमुद्दीन के समर्थकों का जलवा एक बार फिर बरकरार रहा और उन्होंने तस्लीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम को विजयी बनाकर यह जता दिया कि वहां राजद भाजपा से ज्यादा मजबूत स्थिति में है. राजनीतिक प्रेक्षकों की मानें, तो सीमांचल का वह सीट पूरी तरह से राजद के कब्जे में था, हालांकि एनडीए ने जीतने की कवायद की थी, उसमें अंत समय में नित्यानंद राय का बयान पूरी तरह राजद के पक्ष में चला गया. नित्यानंद राय ने वहां एक बयान दिया कि यदि सरफराज आलम जीत जाता है, तो यह इलाका पूरी तरह आईएसआईएस के लिए सुरक्षित हो जायेगा. इस बयान को आम वोटरों ने पूरी तरह से दिल पर ले लिया और सरफराज के पक्ष में एकजुटता बनती चली गयी. नित्यानंद राय का यह बयान देशभक्ति की भावना बढ़ाने की जगह उल्टा पड़ गया और सरफराज आलम ने अपने पिता की सीट को बचा लिया.
बहरहाल, महागठबंधन में इस जीत को लेकर खुशी है और यह खुशी सियासी रूप से इसलिए दोगुनी हो जाती है कि राजद में लालू यादव के नहीं रहने से एक खालीपन सा है, लेकिन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चल रही पार्टी को एक बड़ा सबल मिला है. अब एनडीए को यह मंथन करना होगा कि आखिर यह क्या कारण रहा कि यूपी और बिहार के प्रमुख सीटों के उपचुनाव में उनकी हार हुई है. इस चुनाव ने यह दर्शा दिया है कि लालू यादव के समर्थक आज भी उनके पीछे डंटकर खड़े हैं. इस चुनाव ने एक बात यह भी साबित किया कि अब तेजस्वी यादव पूरी तरह लालू की राजनीतिक विरासत संभालने के लिए तैयार हैं.