इको व अल्ट्रासाउंड कराना है तो एक माह बाद आयेगा नंबर
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भले ही नयी विल्डिंग व नयी सुविधाएं बढ़ाने की बात की जा रही है, लेकिन जांच के मामले में यह संस्थान आज भी राजधानी के बाकी सरकारी अस्पतालों से पीछे चल रहा है. यहां आने वाले मरीजों को खासकर इको व अल्ट्रासाउंड के लिए एक से डेढ़ माह […]
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भले ही नयी विल्डिंग व नयी सुविधाएं बढ़ाने की बात की जा रही है, लेकिन जांच के मामले में यह संस्थान आज भी राजधानी के बाकी सरकारी अस्पतालों से पीछे चल रहा है. यहां आने वाले मरीजों को खासकर इको व अल्ट्रासाउंड के लिए एक से डेढ़ माह बाद ही तारीख दी जा रही है, जबकि पटना पीएमसीएच में या आईजीआईसी अस्पताल में एक से दो दिन बाद ही नंबर आ जाता है. यह स्थिति तब है जबकि यहां के मरीज जांच के लिए रुपये भी जमा करते हैं.
आईजीआईएमएस में इको के लिए 80 से 100 तो अल्ट्रासाउंड के लिए 200 से 250 मरीज जांच के लिए आते हैं. लेकिन इन मरीजों में आधे यानी 50 प्रतिशत ही जांच करा पाते हैं. इस कारण बाकी के मरीजों को अपनी बारी के लिए महीनों तक प्रतीक्षा करना पड़ता है. या फिर निजी पैथोलॉजी सेंटर जाना पड़ता है.
इको व अल्ट्रासाउंड के अलावा यहां ऑपरेशन के लिए भी लंबी वेटिंग चल रही है. खासकर हड्डी, गैस्ट्रो और न्यूरो विभाग में मरीजों को ऑपरेशन के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. वेटिंग के इंतजार में मरीज पलायन कर जाते हैं. जबकि ऑपरेशन के लिए यहां मरीजों से मार्केट रेट पर आधे दाम भी लिये जाते हैं. इस बात की शिकायत मरीज लगातार अस्पताल प्रशासन को करते आ रहे हैं.
नहीं बढ़ रही
मशीनों की संख्या
आईजीआईएमएस में अल्ट्रासाउंड व इको मशीनों की क्षमता कह होने की वजह से यह समस्या सामने आ रही है. सूत्रों की माने तो पिछले तीन साल से यहां अल्ट्रासाउंड, इको, सिटी स्कैन आदि मशीन को बढ़ाने की बात चल रही है. लेकिन यह बाते सिर्फ कागजों में ही चल रही धरातल पर अभी तक नहीं उतर पायी है. उपकरण कम होने के चलते जहां जांच समय पर नहीं हो पा रही वहीं दूसरी ओर दलालों का कब्जा जमा हुआ है. इसका फायदा उठाते हुए दलाल निजी सेंटर पर मरीजों ले जा रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते वेटिंग दी जाती है. हालांकि जो गंभीर मरीज होते हैं उनका तुरंत जांच करा कर इलाज करने का आदेश जारी किया गया है. यही वजह है कि गंभीर मरीजों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती है. जिन जांच में वेटिंग चल रही उन मशीनों की संख्या बढ़ायी जायेगी. संख्या बढ़ते ही वेटिंग की परेशानी खत्म हो जायेगी.
डॉ एनआर विश्वास, डायरेक्टर आईजीआईएमएस.