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बिहार : लालू-राबड़ी शासनकाल में नरसंहारों का दौर था : संजय सिंह

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को यह जानना चाहिए कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में नरसंहारों का दौर चलता था. उस दिन को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. 18 मार्च, 1999 वह दिन था जब सेनारी नरसंहार हुआ था. […]

पटना : जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा है कि विरोधी दल के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को यह जानना चाहिए कि लालू-राबड़ी के शासनकाल में नरसंहारों का दौर चलता था. उस दिन को याद कर लोगों की रूह कांप जाती है. 18 मार्च, 1999 वह दिन था जब सेनारी नरसंहार हुआ था. उन्होंने कहा कि सेनारी नरसंहार में 34 लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया था.
इसी तरह से गया जिले के बारा गांव में 12 फरवरी, 1992 को अगड़ी जाति के 35 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गयी थी. उस समय सरकार के मुखिया लालू प्रसाद ही थे. लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार राज्य में सबसे बड़ा और नृशंस नरसंहार माना जाता है. इसमें बच्चों और गर्भवती महिलाओं को भी निशाना बनाया गया था.
30 नवंबर और एक दिसंबर, 1997 की रात हुए इस नरसंहार में 58 लोगों की हत्या हुई थी. इसी तरह से शंकर बिगहा नरसंहार हुआ था. 25 जनवरी, 1999 की रात बिहार के जहानाबाद जिले में हुए शंकर बिगहा नरसंहार में 22 दलितों की हत्या कर दी गयी थी. बथानी टोला नरसंहार में वर्ष 1996 में भोजपुर जिले के बथानी टोला गांव में दलित, मुस्लिम और पिछड़ी जाति के 22 लोगों की हत्या कर दी गयी.
मियांपुर नरसंहार में औरंगाबाद जिले के मियांपुर में 16 जून, 2000 को 35 दलित लोगों की हत्या कर दी गयी. इसी तरह से लालू-राबड़ी शासनकाल में 1994 से 2005 के बीच पुलिस हिरासत में कुल 86 बंदियों की मौत हुई थी.

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