बिक्रम में किसानों को किया जागरूक, तो बदला खेती का तरीका

पहले फसलों का वेस्ट खेतों में ही जला कर करते थे अपना नुकसान मिट्टी में ऑर्गेनिक काॅर्बन के साथ ही अन्य तत्व हो रहे थे खत्म पटना : पटना जिला के बिक्रम ब्लॉक के बाघाकोल गांव की तस्वीर अब बदलने लगी है. पहले यहां फसलों का वेस्ट को किसान खेत में ही आग लगा देते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 19, 2018 8:54 AM
पहले फसलों का वेस्ट खेतों में ही जला कर करते थे अपना नुकसान
मिट्टी में ऑर्गेनिक काॅर्बन के साथ ही अन्य तत्व हो रहे थे खत्म
पटना : पटना जिला के बिक्रम ब्लॉक के बाघाकोल गांव की तस्वीर अब बदलने लगी है. पहले यहां फसलों का वेस्ट को किसान खेत में ही आग लगा देते थे. पूरा वेस्ट खेत में ही जलता था. इससे मिट्टी का पोषक तत्व खत्म होता जाता था.इससे अवशेष में जो भी तत्व बचा, वह भी बेकार हो जाता था. वायु प्रदूषण बढ़ता था सो अलग से. इन क्षेत्रों में ऐसा बड़े पैमाने पर होता था.
भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) ने इस गांव में जलवायु परिवर्तन कृषि एवं खाद्य सुरक्षा परियोजना के तहत काम शुरू किया, तो हालात बदल गये हैं. अब यहां किसान वेस्ट को आग के हवाले नहीं करते, बल्कि वैज्ञानिक तरीके से खेती करने लगे हैं. फसलों पर उसका असर भी देखने का मिलने लगा है.
परियोजना से जुड़े कृषि वैज्ञानिक केके राव ने बताया कि बाघाकोल गांव का पहले सर्वे किया गया था. सर्वे जानकारी मिली कि यहां के किसान फसल का अवशेष खेत में ही जला देते हैं. यह सब जानते हैं कि बिक्रम ब्लॉक की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है. इसलिए यहां किसानों को सचेत करना ज्यादा जरूरी था. आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने किसानों से संपर्क साधा. यहां प्रयोग के तौर पर दो खेतों को चुना गया.
एक खेत ऐसा था, जिसमें अवशेष को जलाने के बाद पूरी जुताई करके पारंपरिक तरीके से खेती की गयी. दूसरे खेत में खेती का आधुनिक तरीका अपनाया गया. हैपी सीडर मशीन से बीज डाला गया. इससे मिट्टी में भी नमी बची रही और एक से दो हफ्ते का समय भी बच गया.वहीं, दूसरे खेत में पारंपरिक तरीके से जुताई हुई, तो मिट्टी की नमी भी चली गयी. इसके लिए सिंचाई में ज्यादा पानी की जरूरत पड़ी. बेहतर फसल आधुनिक तरीके से की गयी खेती वाले खेत में हुई. किसानों ने इसका लाभ जाना, तो खेतों में फसल का वेस्ट जलाने से तोबा कर लिया है.

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