बिहार : मौत के बाद भी जिंदा रहेंगी सरोज की आंखें, देखेंगी दुनिया

नेत्रदान. अंतिम इच्छा का किया सम्मान पटना सिटी : पत्नी की अंतिम इच्छा का पूर्ण सम्मान करते हुए पति ने अंतिम संस्कार से पहले पत्नी का नेत्रदान कराया. व्यवसायी पति सज्जन दुग्गड़ बताते हैं कि धार्मिक विचारधारा व समाज के लिए कुछ अलग करने की चाह रखने वाली पत्नी 52 वर्षीय सरोज देवी दुग्गड़ की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2018 8:10 AM
नेत्रदान. अंतिम इच्छा का किया सम्मान
पटना सिटी : पत्नी की अंतिम इच्छा का पूर्ण सम्मान करते हुए पति ने अंतिम संस्कार से पहले पत्नी का नेत्रदान कराया. व्यवसायी पति सज्जन दुग्गड़ बताते हैं कि धार्मिक विचारधारा व समाज के लिए कुछ अलग करने की चाह रखने वाली पत्नी 52 वर्षीय सरोज देवी दुग्गड़ की इच्छा थी कि मरने के बाद नेत्र किसी को रोशनी दे सकें. इसके लिए आप इसका दान कर दीजियेगा.
मंगलवार की सुबह लगभग दस बजे जब पत्नी ने दम तोड़ा, तो दुखी पति इस कोशिश में लग गये, किसी तरह पत्नी का नेत्रदान कराया जा सके. घर के अंदर रोते-बिलखते परिजन को ढांढस बंधाने के बदले पत्नी की अंतिम इच्छा को पूर्ण करने में लग गये. उन्होंने इस मामले में पारस बोथरा व मारवाड़ी युवा मंच के पूर्व अध्यक्ष संजीव देवड़ा से संपर्क साध पत्नी की इच्छा बतायी. इसके बाद पारस बोथरा ने रक्तदान से जुड़े मुकेश हिसारिया से संपर्क किया. फिर पूरी जानकारी दी. उसके बाद उन्होंने आईजीआईएमएस के डॉक्टरों से संपर्क किया.
आधा घंटा चली प्रक्रिया : मंच के पूर्व अध्यक्ष संजीव देवड़ा व मंच के वरिष्ठ सदस्य पति सज्जन दुग्गड़ ने बताया कि मुकेश हिसारिया की पहल के बाद टेढ़ी घाट स्थित आवास पर आईजीआईएमएस से डॉ संतोष ठाकुर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम दोपहर दो बजे के आसपास आयी. इसमें डॉक्टर के साथ अजय कुमार व अमित सोनी थे. लगभग आधे घंटे की प्रक्रिया के बाद नेत्र दान संपन्न हुआ. इसके बाद परिजनों की उपस्थिति में चिकित्सक ने नेत्र दान का प्रमाणपत्र दिया. प्रमाणपत्र देने के समय पुत्र विशाल व दोनों पुत्रियां भारती व पूजा उपस्थित थीं.
तीनों बच्चे बताते हैं कि मां ने अपना नेत्र दान कर समाज को नयी दिशा दी है. पिता ने भी मां की इच्छा का सम्मान करते हुए जिस तरह दुख की इस घड़ी में कार्य किया, वह भी लोगों के लिए अनुकरणीय बन सकता है. मंच के राजकुमार गोयनका, विमल बरमेचा, प्रकाश कोठारी, बबलु मुरारका, मनोज खेतान समेत अन्य ने इस कार्य की सराहना की. नेत्र दान की प्रक्रिया पूरी होने के बाद खाजेकलां शमशान घाट पर दाह संस्कार किया गया, मुखाग्नि पति ने दी.
बिहार में अब तक 130 लोगों ने किया नेत्रदान
पटना . कॉर्निया ट्रांसप्लांट को लेकर बिहार में धीरे-धीरे जागरूकता आ रही है. अब तक 130 से अधिक लोगों का आईजीआईएमएस का क्षेत्रीय चछु संस्थान की ओर से नेत्रदान हो चुके हैं.
जानकारी देते हुए नेत्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विभूति प्रसाद सिन्हा ने कहा कि नेत्रदान के लिए आई बैंककर्मी लोगों की काउंसेलिंग करते हैं. इससे होने वाले फायदे और लोगों की जरूरतों की जानकारी देते हैं.
नेत्रदान के मामले में अस्पतालकर्मी के साथ ही मृतक के परिजनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि उनकी सहमति और प्रयास के बगैर यह नहीं हो पाता है. उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस के अलावा सूबे के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नेत्र बैंक की आवश्यकता है. ताकि अधिक से अधिक कॉर्निया ट्रांसप्लांट हो सके.

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